Saturday, November 30, 2024

5 भारतीय क्रिकेटर जो गरीबी से उठकर बने सक्सेसफुल क्रिकेटर

भारत में क्रिकेट एक ऐसा खेल है जो बाकी खेलों के मुकाबले सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. यहाँ एक इंट्रस्टिंग बात यह भी है कि क्रिकेट खेलने वाले खिलाडी एक बॉलीवुड एक्टर या एक्टर्स के बराबर पैसा कमाते हैं और उन्हीं की तरह शानो शौकत की जिंदगी बिताते हैं.

लेकिन इनकी सक्सेसफुल लाइफ को तो हर कोई देख लेता है. लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कितना स्ट्रगल किया यह बहुत ही कम लोग जानते हैं. आज के इस खास लेख में हम भारत के ऐसे पांच क्रिकेटर्स के बारे में बताने जा रहे हैं. जो गरीबी से उठकर सक्सेसफुल क्रिकेटर बने और आज भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर रहे है.

रविंद्र जडेजा

आज के समय में रविंद्र जडेजा ऐसे क्रिकेटर है जो भारत के टॉप ऑलराउंडर क्रिकेटर में गिने जाते हैं. रविंद्र जडेजा का जन्म सन 1988 मैं गुजरात के एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता एक सिक्योरिटी कंपनी में वॉचमैन का काम करते थे. जिस कारण उनकी घर की माली हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी. जडेजा का सपना तो क्रिकेटर बनने का था. लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वह एक आर्मी ऑफिसर बने हैं

वैसे उनकी लाइफ में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन एक दिन अचानक उनकी मां की मौत हो जाने के बाद उन्होंने क्रिकेटर बनने का सपना छोड़ दिया. हालांकि उस समय उनकी बड़ी बहन ने नर्स की नौकरी करना शुरू कर दिया. जिससे वह जडेजा को क्रिकेट सीखने के लिए बाहर भेज सकें. वही रविंद्र जडेजा ने भी अपनी बड़ी बहन के समर्पण का पूरा सम्मान किया और उनके सपने को अपनी मेहनत से साकार किया और आज के समय में जडेजा भारतीय क्रिकेट टीम में अहम भूमिका निभाते हैं.

महेंद्र सिंह धोनी

महेंद्र सिंह धोनी एक ऐसे क्रिकेटर हैं जिनके बारे में भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया के लोग उन्हें प्यार करते हैं. वैसे तो क्रिकेट के सबसे महान क्रिकेटरों में से एक है. लेकिन बहुत ही कम लोग यह बात जानते हैं की उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में कितना स्ट्रगल करना पड़ा. महेंद्र सिंह धोनी का जन्म सन 1981 में झारखंड के शहर झांसी में हुआ था. उनके फादर का नाम पान सिंह है. जो कि एक प्राइवेट कंपनी में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर काम किया करते थे. इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उनके घर की हालत ज्यादा ठीक नहीं थी.

ऐसे में उनके पिता चाहते थे कि वह सरकारी नौकरी करें. हालांकि धोनी ने उनकी बात का सम्मान रखते हुए साल 2001 से लेकर 2003 तक खड़कपुर जंक्शन में टीटी की नौकरी की.लेकिन कहीं ना कहीं वह नौकरी करते हुए अपने क्रिकेटर बनने के सपने को जीते रहे. टीटी की नौकरी करते हुए उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें अपनी नौकरी या क्रिकेट में से किसी एक को चुनना था. तब उन्होंने अपनी नौकरी को साइड में रख कर अपने पैशन क्रिकेट को चुना. उनके इसी फैसले की बदौलत वो आज पूरी दुनिया में क्रिकेटर्स के लिए एक इंस्पिरेशन बन गए है.

भुवनेश्वर कुमार

भुवनेश्वर कुमार एक ऐसे सफल गेंदबाज हैं जिन्हें शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी होगा जो उन्हें ना जानता हो. लेकिन भुवनेश्वर कुमार आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं. वहां पहुंचने के लिए उन्हें कांटो भरा सफर तय करना पड़ा.

भुवनेश्वर कुमार का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में हुआ था जिनकी फैमिली की आर्थिक स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं थी. हालांकि भुवनेश्वर कुमार बचपन से ही बहुत टैलेंटेड क्रिकेटर थे और यह बात उनकी फैमिली बहुत अच्छे से समझती थी लेकिन परिवार की माली हालत ठीक ना होने की वजह से भुवनेश्वर ने क्रिकेट छोड़ नौकरी करने का फैसला कर लिया था. लेकिन उनकी बड़ी बहन और उनके फादर ने उन्हें क्रिकेट ना छोड़ने की सलाह दी और अपने पैशन को फॉलो करने के लिए उन्हें मोटिवेट किया. उनकी फैमिली के इसी सपोर्ट के कारण आज भुवनेश्वर कुमार भारतीय क्रिकेट टीम मैं एक तेज गेंदबाज के रूप में जाने जाते हैं.

उमेश यादव

जैसा कि आप सभी लोग जानते ही हैं कि लगातार खराब परफॉर्मेंस की वजह से फिलहाल वह भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा नहीं है. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब उमेश यादव भारतीय क्रिकेट टीम में बॉलर के रूप में शीर्ष पर आते थे. हालांकि आज भी उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे बेहतरीन गेंदबाज के रूप में जाना जाता है.

तेज गेंदबाज उमेश यादव का जन्म सन 1987 में महाराष्ट्र के नागपुर शहर में हुआ था. उनके परिवार की भी माली हालत ज्यादा ठीक नहीं थी. उनके पिता कर कर चलाने के लिए एक कारखाने की खदान में खुदाई का काम करते थे. घर की हालत देखते हुए उमेश यादव ने पुलिस कॉन्स्टेबल बनने का फैसला किया लेकिन उसमें वह सफल ना हो सके. देखा जाए तो उस समय उनको लगा होगा कि यह उनके साथ बहुत बुरा हुआ है. लेकिन आज के समय में वह जो भी है. वह कॉन्स्टेबल की नौकरी ना लगने की वजह से ही है

इरफान पठान और युसुफ पठान

भारतीय टीम के प्रसिद्ध खिलाड़ी भाइयों की जोड़ी इरफान पठान और यूसुफ पठान का बचपन भी गरीबी में बीता है । एक समय था जब उनके पिता परिवार चलाने के लिये छोटे मोटे काम किया करते थे और उनके पास अच्छी कोचिंग के पैसे नही होते थे । दोनों भाइयों ने जी तोड़ मेहनत की और अपने दम पर यहां तक पहुंचे । एक इंटरव्यू में इनके पिता ने बताया था कि उन्हें क्रिकेटर बनाना उनका सपना था जो पूरा हुआ ।

मुनाफ पटेल

मुनाफ पटेल का बचपन बेहद विपरीत परिस्थितियों में गुजरा है । एक समय था जब वो 35 रुपये के लिये 8 घंटे काम किया करते थे।

परिवार में पिता ही एकमात्र कमाने वाले थे । उन्हें सहारा देने के लिये मुनाफ पटेल ने एक टाइल फैक्ट्री में काम किया जहां 8-9 घंटे काम करने के बाद उन्हें कुछ रुपये मिलते थे। अपनी मेहनत की बदौलत वे यहां तक पहुंचे और खुद को साबित किया।

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