भारत में एक समय ऐसा भी था कि जहाँ के घरों में बच्चे के जन्म दौरान लडका ही होने उम्मीद की जाती थी. वही जहाँ बेटी पैदा हो जाने पर इसे अपशकुन माना जाता था. लड़की न पैदा हो इसके लिए लोग पूजा पाठ-झाड़ फूक जैसे काम किया करते थे. लेकिन आज के समय में लोगों ने अपनी सोच बदल दी है. अब लोग लडकों की तरह लडकी पैदा होने की कामना करने लगे है. ऐसे ही एक परिवार की कहानी बीते कुछ दिनों से सोशल मिडिया में वायरल हो रही है. जिनके गाँव में बेटी को एक बोझ के रूप में देखा जाता था. वहां के एक परिवार में पुरे 80 साल बाद बेटी पैदा हुई है.
80 साल बाद इस परिवार में बेटी ने जन्म लिया
मध्यप्रदेश प्रदेश के श्योपुर जिले के ग्वालियर-चंबल में एक समय ऐसा था. जहाँ बेटी पैदा होना एक अभिशाप माना जाता था. लेकिन इसी इलाके में एक परिवार ऐसा भी था जो पुरे 80 साल से बेटी का इंतजार कर रहा था और बेटी के जन्म के बाद पूरा परिवार ख़ुशी से झूम उठा. गाँव के सभी परिवार इस परिवार को बधाई देने आने लगे और हो क्यों न इतने लम्बे समय बाद बेटी ने जो जन्म लिया था.
बेटी के जन्म के बाद पुरे हॉस्पिटल में मिठाई बाँट कर बच्ची और उसकी माँ को बैंड बाजे के साथ घर लेकर आये. इस परिवार के घर बेटी पैदा होना तो एक त्यौहार जैसा हो गया है. उनके लिए बेटी के रुप में लक्ष्मी ने जन्म ले लिया है. बहु के घर आने पर उसकी आरती उतारी गयी और बेटी के पद चिन्ह लेकर घर में स्थापित भी किया गया. इस परिवार ने साबित कर दिया कि बेटी बेटों से कम नहीं होती. क्योंकि बेटियों का नाता दो परिवार से होता है.
DJ लगवाकर पुरे गाँव को नचाया
जैसे ही बेटी के पिता भूपेंद्र जाटव को ये खबर मिली कि उनको बेटी पैदा हुई है. उन्होंने फ़ौरन कार्यक्रम की तैयारियां शुरू करवा दी और अपने करीबी रिश्तेदारों को बुलाकर उनकों मिठाइयाँ बांटी. इसके बाद बेटी और उसकी माँ के आगमन पर फुल बिछाकर उनका स्वागत किया गया.
इस ख़ुशी के मौके पर परिवार ने डीजे भी लगवाया, जिसमें परिवार ने तो जमकर डांस किया ही बल्कि सारे गाँव ने भी जमकर ठुमके लगाये. बेटी के पैदा होने पर इस तरह के आयोजन से सोशल मीडिया पर इस परिवार की जमकर वाह वाही हो रही है. वही इस परिवार के मुखिया से बात चीत के दौरान उन्होंने काफी अच्छी बाते की. उनका कहना था कि बेटी नहीं लक्ष्मी है, उन्हें बेटे के जन्म पर इतनी खुशी नहीं होती, जितनी बेटी के जन्म पर हुई है क्योंकि, बेटी एक नहीं बल्कि दो परिवारों को जोड़ती है. बेटी के बिना संसार नहीं चल सकता..
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