शक्ति कपूर ( shakti Kapoor ) ने अपने लंबे करियर में 700 से भी ज्यादा फिल्में की है। शक्ति कपूर को विलन की भूमिकाओं में खूब पसंद किया गया तो वहीं कॉमेडी करके उन्होंने सभी को दीवाना बना लिया। शक्ति कपूर फ़िल्म इंस्टीट्यूट पुणे से पास होकर आ गए मुम्बई अपना लक आजमाने। शुरुआत में उन्हें बेहद छोटे-मोटे रोल मिले लेकिन एक दिन उनके साथ ऐसा हादसा हुआ कि उन्हें फिरोज़ खान की सुपरहिट फिल्म ‘कुर्बानी’ में काम करने का मौका मिला। कुर्बानी के गाने ‘बात बन जाये’ और ‘लैला ओ लैला’ उस ज़माने में काफी पॉपुलर हुए थे।
जब फिरोज़ खान ने अपनी गाड़ी से शक्ति कपूर की गाड़ी को टक्कर मारी
बात उन दिनों की है जब शक्ति कपूर छोटी-मोटी फिल्में कर चुके थे। उन्होंने 61 मॉडल की फिएट गाड़ी खरीद ली थी। वे लिंक रोड से टाउन की तरफ जा रहे थे। दोपहर का वक़्त था तभी एक चमकती महंगी मर्सिडीज गाड़ी ने शक्ति कपूर की गाड़ी को ठोक दिया। शक्ति कपूर की गाड़ी के अंजर-पंजर ढीले हो गए। उन्हें बेहद गुस्सा आया। एक तो नई-नवेली गाड़ी, ऊपर से किसी ने ठोक दी।
शक्ति कपूर ने कार से निकलते ही ठान लिया कि वे उस मर्सिडीज के ड्राइवर का कचूमर बना देंगे। उन पर लात घुसे बरसायेंगे और गाड़ी के टूट-फुट की भरपाई करवाएंगे। वे तमतमाते हुए जब मर्सिडीज के पास पहुंचे और उसके मालिक को कार से बाहर आते देख उनका गुस्सा छू मंतर हो गया। वहाँ खड़े थे लंबे कद काठी वाले बॉलीवुड के सुपर सितारे फिरोज़ खान। वे उनसे गाड़ी की भरपाई के बारे में बोलने के बजाय दूसरी बात कहने लगें। देखते ही देखते लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी लोग ‘फ़िरोज़ खान, फिरोज़ खान’ कहकर चिल्लाने लगे।
बीच सड़क में फिरोज़ खान से काम मांगने लगे शक्ति कपूर
शक्ति कपूर ने फिरोज़ खान को देखते ही फ़िल्म में काम माँगने के लिए अपना परिचय देना शुरू कर दिया। शक्ति कपूर गाड़ी के बारे में भूलकर कहने लगे, “सर मेरा नाम सुनील है। मैं फ़िल्म इंस्टिट्यूट से पढ़ा हूँ और फिल्मों में काम करता हूँ।” शक्ति कपूर का असली नाम सुनील सिकंदर लाल कपूर है। लोग फिरोज़ खान को देखकर पागल हुए जा रहे थे। लोगों ने शक्ति कपूर को भगाना शुरू कर दिया। फिरोज़ खान वहां से चले गए और शक्ति कपूर ने खस्ताहाल गाड़ी को बनवाने के लिए गैराज में छोड़ दिया।
उस दिन कुर्बानी के लेखक के घर भोजन करने पहुंचे थे शक्ति
उन दिनों शक्ति कपूर और डेजी ईरानी का अच्छा रिश्ता हुआ करता था। डेजी उन्हें अपने भाई की तरह प्रेम करती थी। डेजी ईरानी, फ़िल्म निर्देशक फराह खान की आंटी हैं। उस दिन गाड़ी को बनाने के लिए छोड़कर शक्ति कपूर अपनी मुंहबोली बहन डेजी शाह के घर चले गए। उन्होंने डेज़ी के हाथ का बना हुआ भोजन किया।
डेज़ी के पति के के शुक्ला फिरोज़ खान की ‘कुर्बानी’ लिख रहे थे। के के शुक्ला जब उस दिन घर लौटे तो उन्होंने शक्ति कपूर को देखा। उन्होंने सबसे पहले कहा, “तेरी किस्मत बहुत खराब है। मैं फिरोज़ खान की फ़िल्म लिख रहा हूँ। उसमें तेरा नाम सजेस्ट किया तो फिरोज़ खान किसी और लड़के को कास्ट करने की बात कर रहे हैं।”
शक्ति ने पूछा कौन लड़का। केके शुक्ला ने बताया कि फिरोज़ खान उस लड़के की तलाश कर रहे हैं जिसकी गाड़ी से दोपहर फिरोज़ खान की टक्कर हुई थी। वह लड़का भी पुणे इंस्टीट्यूट का ही है।
किस्मत का खेल निराला होता है
शक्ति कपूर खुशी से झूमते हुए बोले कि वह लड़का तो मैं ही हूँ। बाद में फिरोज़ खान ने शक्ति को बताया कि उन्होंने शक्ति को फ़िल्म में रखने का निर्णय क्यों लिया। जब शक्ति कपूर गुस्से से फिरोज़ खान के पास आये तभी उन्हें शक्ति के अंदर फ़िल्म का वह किरदार दिख चुका था। फिरोज़ खान उस वक़्त शक्ति कपूर को देखकर बुरी तरह से डर गए थे। उन्होंने सोचा था कि वह 21-22 साल का लड़का आकर उन्हें लोगों के बीच ज़लील करेगा और मारेगा। उस डर की वजह से शक्ति कपूर को कुर्बानी फ़िल्म मिली जो उनके करियर में मील का पत्थर साबित हुई। शक्ति कपूर बताते हैं कि किस्मत का खेल बड़ा निराला होता है। आप चाहें कितनी भी मेहनत करो लेकिन जब तक नसीब आपके साथ न हो आप सफल नही हो सकते। शक्ति उन एक्टर्स में से एक हैं जो भाग्य पर विश्वास रखते हैं।
यह फ़िल्म शक्ति के करियर की सबसे बड़ी फिल्म थी जो सुपरहिट भी रही। कुर्बानी (1980) को फ़िरोज़ खान ने डायरेक्ट भी किया था। इस फ़िल्म में विनोद खन्ना, ज़ीनत अमान, अमजद खान, कादर खान और अमरीश पुरी भी थे। इस फ़िल्म के बाद तो शक्ति कपूर के पास फिल्मों की झड़ी लग गई।