भारत भूमि ने अनेकों ऐसे योद्धाओं को जन्म दिया है जिन्होंने अपना पूरा जीवन मातृभूमि की रक्षा के लिये समर्पित कर दिया। ऐसे ही एक महान प्रतापी राजा हुए है गुर्जर सम्राट मिहिर भोज महान जिन्होंने अपने जीवन के 50 महत्वपूर्ण वर्ष अरब आक्रांताओं से युद्ध करने में गुजार दिये ।
धर्म रक्षक गुर्जर सम्राट मिहिर भोज
धर्म रक्षक गुर्जर सम्राट मिहिर भोज गुर्जर सम्राट मिहिर भोज ने 836 ईसवी से 885 ईसवी तक करीब 49 साल तक राज किया । इनके साम्राज्य का विस्तार आज के मुल्तान से पश्चिम बंगाल में गुर्जरपुर और कश्मीर से कर्नाटक तक था। उनके शासनकाल में इनके साम्राज्य को गुर्जर देश के नाम से जाना जाता था । इन्होंने पूरे जीवन में अरब आक्रांताओ से युद्ध किये ।
सम्राट मिहिर भोज का 50 वर्षो तक अरबों से संघर्ष
अपने जीवन के महत्वपूर्ण 50 वर्षों तक गुर्जर सम्राट मिहिर भोज ने अरब आक्रांताओं को धूल चटाई । 50 वर्षों तक एक महासंघ बनाकर युद्ध अभियान चलाए और अरब हमलावरों को हिंदूकुश तोरा-बोरा की पहाड़ियों में घुस घुस कर सर्वनाश किया। अरब आक्रांता इन्हें अरबों का सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे । समकालीन लेखकों ने जिनमें कई अरबी लेखक हैं उन्हें अपना सबसे बड़ा शत्रु माना है ।
एक तरफ कट्टर आतातायी अरब ,इराक और सीरिया के इस्लामिक सैनिक थे जिनका मकसद पूरी दुनिया में इस्लामिक हुकूमत कायम करना था तो दूसरी तरफ महान संस्कृति के रक्षक ‘गुर्जर योद्धा’ ! जहां अरबी धर्मांध योद्धा ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे के साथ युद्ध में हिस्सा लेते तो वही मिहिर भोज की सेना हर हर महादेव , जय गुर्जरेश्वर , जय महाकाल की ललकार के साथ अरबी सेनाओं से को का #टती रहती ।
जहां हिंदू योद्धा धर्म और आचरण के मुताबिक युद्ध करते थे वही इस्लामी सैनिक कभी भी हम^ला कर देते थे । हिंदू युद्ध नीति के हिसाब से रात में सोए हुए सैनिकों पर आक्रमण नहीं करते थे लेकिन मुस्लिम आक्रांता रात के समय कभी भी आ जाते थे अरब भारत मे अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत थे लेकिन बहादुर हिंदू गुर्जर सम्राट मिहिर भोज ने संघर्ष करके उन क्षेत्रों को खाली कराया जहां अरब कब्जा जमा चुके थे । अरब आक्रांताओं के लिए मिहिरभोज की तलवार का सामना करना सबसे बड़ी चुनौती थी । मिहिरभोज खुद घोड़े की पीठ पर सवार होकर अरब आक्रांताओं से लोहा लेने निकलते थे
बचने के लिए अरबो ने बनाई अनमहफूज गुफाएं
धीरे-धीरे गुर्जर सम्राट मिहिर भोज ने उन सभी जगहों को कब्जे में लेना शुरू कर दिया जहां अरबों ने कब्जा कर लिया था । अरबों को अपनी जान बचाकर भागना मुश्किल हो रहा था इसलिए उन्होंने बचने के लिए अन महफूज नाम की गुफाएं बनवाई जिनमें छुपकर अरब अपनी जान बचाने लगे । सम्राट मिहिर भोज नहीं चाहते थे अरब कहीं पर भी सुरक्षित रहें और भविष्य में फिर हमला करें इसलिए सम्राट मिहिर भोज ने सैन्य अभियान चलाकर अन-महफूज नाम की जगह को भी जीत लिया और अरबों को धूल चटा दी
अरब यात्रियों ने बताया ईस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु
समकालीन अरब यात्री सुलेमान और मसूदी ने अपनी पुस्तकों में लिखा है कि गुर्जर सम्राट जिनका नाम वराह मिहिर भोज है उसकी राजधानी कन्नौज है। उसके राज्य में चोर डाकुओं का कोई डर नहीं है यह इस्लाम और अरब का सबसे बड़ा शत्रु है । अरबी लेखक अल मसूदी के अनुसार सिंधु नदी गुर्जर साम्राज्य के एक शहर के बीचो-बीच बहती थी । गुर्जर सम्राट ने इतने बड़े भूभाग पर कब्जा करके साम्राज्य विस्तार किया था कि अरबों के पास बस दो छोटे-छोटे राज्य रह गए थे । अरबों को छिपने के लिए कोई जगह नहीं मिलती थी
300 सालों तक गुर्जर प्रतिहारो ने अरबो से संघर्ष किया
सम्राट मिहिर भोज जिस वंश से थे उस गुर्जर प्रतिहार वंश ने 300 सालों तक अरब आक्रांताओं से संघर्ष किया और उन्हें भारत भूमि में घुसने नहीं दिया। गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना सम्राट मिहिर भोज के पूर्वज नागभट्ट प्रथम ने की थी। गुर्जर जाति से संबंधित होने के कारण इनका राज्य गुर्जर देश और राजवंश गुर्जर प्रतिहार राजवंश कहलाया। आठवीं से लेकर 11 वीं सदी तक इनका शासन काल माना जाता है । यह साम्राज्य शिल्प कला के लिए भी जाना जाता है। गुर्जर प्रतिहार वंश के दौरान अनेकों मंदिरों का निर्माण भी हुआ
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