अक्षय कुमार की नई फिल्म गोरखा का पोस्टर रिलीज हो गया है । पोस्टर में अक्षय कुमार सेना की वर्दी में खुखरी के साथ नजर आ रहे है । फ़िल्म का पोस्टर शेयर करते हुए अक्षय कुमार ने फ़िल्म को 1971 युद्ध के महान हीरो मेजर जनरल इयान कॉर्डोजो को समर्पित किया है । आइये जानते है मेजर जनरल इयान कॉर्डोजो के बारे में
कौन है मेजर जनरल इयान कॉर्डोजो
1971 में पाकिस्तान के साथ हुई भारत की जंग एक गौरवपूर्ण अध्याय है जिसने साबित कर दिया कि नया भारत अब बदल चुका है और अपने दुश्मनों से कड़ाई से निपट सकता है। इस युद्ध ने जहां जीत के गौरवशाली क्षण दिये वहीं हमारे काफी जवानो ने शहादत भी दी ।
मेजर जनरल इयान कॉर्डोजो इसी युद्ध के हीरो है। ऐसे हीरो जिन्होंने इस युद्ध मे अपनी जान की बाजी लगा दी । जब जब 1971 के युद्ध की बात होगी तब तब इयान कॉर्डोजो की बहादुरी याद की जाएगी ।
मेजर जनरल इयान कॉर्डोजो का जन्म 1937 में मुम्बई में हुआ । उन्होंने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए कॉलेज के बाद नेशनल डिफेंस एकेडमी जॉइन कर ली । डिफेंस अकादमी और फिर इंडियन मिलिट्री एकेडमी । इसके बाद उनका चयन गोरखा राइफल्स में हो गया । जहां उन्होंने अपनी हिम्मत से भारतीयो को गौरवान्वित किया।
1971 का युद्ध
उन दिनों पूर्वी पाकिस्तान जो आजाद होकर आज बांग्लादेश कहलाता है , वहां के निवासियों पर पाकिस्तानी सेना दमनचक्र चला रही थी । भारत सरकार ने मानवाधिकारों को देखते हुए उस पूर्वी हिस्से को पाकिस्तान से मुक्त कराने का बीड़ा उठाया । जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच जंग की शुरुआत हो गयी । इस जंग में एक महत्वपूर्ण अफसर की शहादत के बाद भारतीय सेना का पहला हेलीकॉप्टर मिशन शुरू किया गया । जिसमें उन शहीद अफसर की जगह पर इयान कॉर्डोजो को युद्ध मे भेजा गया ।
इयान कॉर्डोजो के पास सेना की एक छोटी सी टुकड़ी थी जिसके साथ उन्हें एक बड़ी सेना से युद्ध करना था । सामने से खूब गोली और बारूद की बरसात हो रही थी । इस बीच टुकड़ी के सामने विपरीत परिस्थिति आ गयी ।
दरअसल मोर्चे पर इयान कॉर्डोजो के पास कम सैनिक थे वहीं पाकिस्तानी सैनिक अधिक संख्या में थे । 48 घंटे में बड़ी पलटन और रसद उनके पास पहुंचने थे । लेकिन किसी वजह से देरी हो गयी और यह इंतेजार 10 दिनों तक बढ़ गया । लेकिन सैनिक बहादुरी से लड़ते रहे ।
वो घटना जिसमें दिया असीम हिम्मत और साहस का परिचय
भारतीय सेना के साहस के सामने पाकिस्तान की सेना के हथियार डालने की नौबत आ गयी । तभी खबर मिली कि बांग्लादेश के कुछ कैदी फंस गए है और उन्हें निकालने की जिम्मेदारी इयान की टुकड़ी को मिली है ।
इयान कॉर्डोजो उन बंदियो को छुड़ाने उस जगह पहुंचे जहां वे फंसे हुए थे । पाकिस्तानी सेना वहां से जा चुकी थी लेकिन उन्होंने एक बड़ी साजिश रची । इलाका दिखने में एकदम खाली दिख रहा था लेकिन जाते जाते उन्होंने लेंड माइंस बिछा दी थी ।
इयान बंदियो को लेने आगे बढ़े तो उनका पैर लेंड माइन पर रख गया जिससे एक बड़ा धमाका हुआ । धमाके ने उन्हें कई फ़ीट ऊंचा उछालकर दूर फेंक दिया । पैर के चीथड़े उड़ गए । बेइंतहा दर्द के साथ आंखों के आगे अंधेरा छा गया । लेकिन इयान कहाँ हिम्मत हारने वाले थे । उन्हें थोड़ी देर में ही होश आया गया। बुरी तरह घायल इयान कॉर्डोजो को एक बांग्लादेशी सेना के कैम्प तक लेकर आया ।
खुखरी से खुद अलग किया अपना पैर
इस घटना में उनका पैर बुरी तरह जख्मी था । घायल पैर में जख्म के साथ साथ जहर पूरे शरीर मे फैलना शुरू होने का खतरा था । लेकिन वहां न कोई डॉक्टर था न दवाई । अब उनके सामने एक ही रास्ता था कि वे अपना पैर कटवा ले । लेकिन कोई मेडिकल फैसिलिटी नही थी और न कोई ऐसा व्यक्ति जो यह काम कर सके ।
इयान कॉर्डोजो ने अंत मे ऐसा कुछ किया कि जिसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता । उन्होंने अपनी खुखरी ली और खुद ही अपने पैर को शरीर से अलग कर दिया । इसके बाद अपने साथियों को पैर वहीं मिट्टी में दबा देने का निर्देश दिया ।
इसके बाद उन्होंने एक और साहसिक निर्णय लिया । इयान कॉर्डोजो बैठे नही रहे बल्कि उसी अवस्था मे जंग में कूद पड़े । वे आर्मी के पहले ऐसे डिसएबल अधिकारी रहे जिन्होंने जंग में बटालियन का नेतृत्व किया ।
जंग की समाप्ति पर हुआ पैर का ऑपेरशन
1971 के युद्ध मे पाकिस्तान ने मुँह की खायी और भारतीय सेना ने बांग्लादेश को आजाद करा दिया । बड़ी संख्या में उनके सैनिकों और अधिकारियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। यह घटना वैश्विक इतिहास में एक बड़ी घटना के तौर पर दर्ज हुई।
युद्ध खत्म हो गया पर इयान कॉर्डोजो के जख्म अभी तक भरे नही थे । ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के डॉक्टर मेजर बशीर ने उनका ईलाज करने की पेशकश की। लेकिन यह कहकर मना कर दिया कि वे दुश्मन देश के डॉक्टर से इलाज कराकर जान नही बचाना चाहते । सेना के जवानों और अन्य के काफी समझाने पर वे ईलाज के लिए सहमत हुए।
ठीक होकर पूरी ब्रिगेड को कमांड किया
इस घटना में अपना पैर खोने के बाद उन्होंने सेना में ही बने रहने का निर्णय लिया । मेजर इयान कॉर्डोजो ने डिमोट होकर स्टाफ ड्यूटी करने की जगह मुश्किल फ़िटनेस टेस्ट पास किया । ये फिटनेस टेस्ट पास करने में जहां दोनों पैर होने पर भी मुश्किल आती है वही असीम साहस और आत्मबल का परिचय देते हुए उन्होंने इतिहास रचा । प्रमोशन के बाद उन्होंने पूरी ब्रिगेड को कमांड किया ।
1971 की जंग के लिए मिला अति विशिष्ट सेवा मेडल
इस युद्ध मे असीम साहस और त्वरित निर्णय लेकर जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मेजर जनरल इयान कॉर्डोजो को भारतीय सेना की तरफ से अति विशिष्ट सेवा मेडल और सेना मेडल मिला । आज भारतीय फौज दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेना है तो इसका श्रेय हमारे इयान कॉर्डोजो जैसे महान सैनिकों को जाता है।