कोरोना के चलते हज़ारो लोगो के जीवन बदल गए, कइ लोगो ने अपना रोज़गार खो दिया, तो कइ लोगो का कारोबार ठप हो गया. ऐसे मे कई लोग हिम्मत हार कर घर बैठ गए तो कई लोगो ने दोबारा उठ, हिम्मत दिखा कर आगे बढ़े. इन्ही मे नाम है केरेला के तीन यूवाओं का. जो केरेला के कोल्लम डिस्ट्रिक्ट के रहने वाले है.
लॉकडाउन मे खोया रोज़गार
आनंदू और शफी दोनो ने ही कॉलेज मे साथ थे और साथ ही उन्होने केरेला की कइ कंपनियों मे काम किया, शनवास ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की और उन्होने भी गुजरात कि कई कंपनियों मे काम किया. लॉकडाउन के चलते इन तीनो ने ही अपना रोज़गार खो दिया.
खुद का बिज़नेस शुरू करने की ठानी
लॉकडाउन खत्म होते ही जब लोग नौकरी की तलाश मे एक बार फिर सड़कों पर नज़र आने लगे थे और धीरे धीरे लोगो को एहसास भी होने लगा था, कि पहले के मुकाबले अब ज़्यादा नौकरियां नही है, यह चीज़ समय चलते आनंदू और उसके दोस्तो को समझ आइ और उन्होने नौकरी ना करके खुद का बिज़नेस शुरू करने की ठानी.
इस टी स्टॉल को कोल्लम जिले के सबसे भीड़ भाड़ वाले इलाके मे शुरू किया गया था, जिससे वहां के स्थानीय लोगो मे काफी जल्दी प्रचलित हुआ. यह टी स्टॉल तीन इंजीनियरों ने शुरू किया, इसलिए प्रचलित नही हुआ बल्की यहां मिलने वाली चाय की विभिन्नता के लिए हुआ.
50 से ज़्यादा हौ चाय के फ्लेवर
आनंदू और उनके दोस्तो के अनुसार स्टॉल पर 50 से ज़्यादा फ्लेवर है, यह फ्लेवर कहीं से कॉपी नही किए गए, सभी फ्लेवर खुद ही बनाए गए है. इनके स्टॉल मे सबसे ज़्यादा लोकप्रिय चाय गिन्जा है, जिसमे कइ तरीके की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी शामिल है.
हर दिन बढ़ रही लोकप्रियता
तीनो के इस फैसले से उनके घरवाले नाराज़ थे, घरवाले चाहते थे कि वे नौकरी के लिए फिर से कोशिश करें, लेकिन सबके खिलाफ जाकर उन्होने अपना काम शुरू किया. परिवार के विरोध के बाद अब घर से मदद मिलने की उम्मीद नही थी. जैसे तैसे दोस्तो कि मदद से करीब 1.5 लाख का फंड जुटा पाए.
एक महीने से भी कम समय मे बी.टेक चाय स्टॉल सफलता का झुला झूलते नज़र आ रहा है.