निर्देशक कितना ही महान हो, एक फ्लॉप तो सबने दी है भारत के महानतम फ़िल्म निर्देशकों के नाम पूछने पर आप तपाक से बोल पड़ेंगे रमेश सिप्पी, रोहित शेट्टी, अनुराग कश्यप, मनमोहन देसाई, संजय भंसाली, राजामौली इत्यादि।
और अगर आपको ज़ोर लगाकर पूछा जाए तो आप कला फिल्मों के निर्देशकों के बारे में बोलेंगे जैसे सत्यजीत रे, वी शांताराम, विमल रॉय, गुरुदत्त, महबूब खान, राज कपूर, हृषिकेश मुखर्जी और यश चोपड़ा। और भी कई निर्देशकों के नाम आपके ज़बान पर चढ़ जाएंगे। लेकिन हम आपको एक ऐसे फ़िल्म निर्देशक के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने इतने लंबे करियर में आज तक एक भी फ्लॉप या एवरेज फ़िल्म नही दी है।
डायरेक्टर बनने से पहले इस कारण बने एडिटर
यहाँ बात हो रही है राजकुमार हिरानी ( Rajkumar Hirani )की जिन्हें उनके दोस्त राजू कहकर पुकारते हैं। नागपुर में पले बढ़े राजू हिरानी (Raju Hirani ) सिर्फ थिएटर और फिल्मों के ही शौकीन रहे थे। उन्हें लगता था कि वे इसी के लिए बने हैं। फ़िल्म इंस्टिट्यूट में उनका सिलेक्शन नही हो रहा था तब किसी ने सलाह दिया कि निर्देशक वाले फील्ड से डालोगे तो सीट नही मिलेगा। अगर एडिटर के रूप में अप्लाई करो तो शायद बात बने। और इस तरह राजू हिरानी निर्देशक बनने से पहले एक एडीटर बन गए।
कई टीवी विज्ञापनों का किया निर्देशन
राजकुमार हिरानी एफटीआई (Films and Television Institute Of India) से निकलने के बाद किस्मत आजमाने चल पड़े मुम्बई की तरफ। मुकद्दर ने उनके लिए कुछ और ही लिख रखा था। यहाँ आते ही उन्हें काम नही मिला और वे टेलेविज़न विज्ञापन बनाने लगे। उनके कुछ टीवी विज्ञापन बहुत पसंद किए गए, हालांकि टीवी विज्ञापन के निर्देशकों को जनता नाम से जानती तक नही थी।
फेविकॉल जैसे ब्राण्ड्स के साथ उन्होंने काम किया। अच्छे खासे पैसे बन रहे थे लेकिन राजू को बनानी थी फिल्में। उन्होंने काम से गैप लिया और विधु विनोद चोपड़ा के संग चल पड़े। उन दिनों चोपड़ा साहब 1942 : ए लव स्टोरी बना रहे थे। उस फिल्म के ट्रेलर और प्रोमो कांटने का काम राजू ने ही किया।
मिशन कश्मीर में पहली दफा एडिटर के रूप में मिला क्रेडिट
एडीटर के रूप में राजू हिरानी को बॉलीवुड के लोग पहचानने लगे थे। 1998 में आई ‘करीब’ फ़िल्म के प्रमोशन का सम्पादन इन्होंने ही किया था। सन 2000 में आई फ़िल्म ‘मिशन कश्मीर’ में उन्हें एक पूरी फिल्म एडिटिंग करने का मौका मिला। इस फ़िल्म के बाद उन्होंने अपनी लिखी एक छोटी से कहानी को फ़िल्म के रूप में कन्वर्ट करना शुरू किया। मुन्ना भाई एमबीबीएस का जन्म उसी कहानी से हुआ जिसे उन्होंने एफटीआई के दौरान लिखा था।
जब सुनील दत्त ने उर्दू में लिखकर लाने को कहा फ़िल्म के संवाद
मुन्ना भाई एमबीबीएस से जुड़े कई किस्से हैं जैसे फ़िल्म के लिए पहली पसंद सुपरस्टार शाहरुख खान थे। जिसके साथ राजकुमार हिरानी ने आगे कभी काम नही किया लेकिन जल्द ही दोनों अगली फिल्म में नज़र आने वाले हैं। सुनील दत्त साहब ने फ़िल्म की पटकथा और संवाद उर्दू में लिखकर लाने को कहा था। इस फ़िल्म को पहले संजय दत्त करने को राजी नही थे लेकिन पिता के मानने में मान गए और इस फ़िल्म के साथ राजू हिरानी के साथ उनकी दोस्ती तगड़ी हो गई।
पांचों फिल्में रही सुपर डुपर हिट
राजकुमार हिरानी की फिल्मों ( Rajkumar hirani movies ) में वे हास्य, रोमांन्स, संगीत, नृत्य, ड्रामा, सामाजिक इश्यू और भावुक सीन सभी का मिश्रण रखते हैं। उनके फिल्मों में मार धाड़ वाले दृश्य नही होते। मुन्ना भाई के बाद उन्होंने लगे रहो मुन्ना भाई (2006), थ्री इडियट्स (2009), पीके (2014) और संजू (2018) बनाई। उनकी ये सभी फिल्में एक से बढ़कर एक थी और सभी फिल्मों में सामाजिक संदेश भी कूटकूट कर भरे हुए थे। राजू हिरानी 3 नेशनल अवार्ड और 11 फिल्मफेयर पुरुस्कारों से नवाजे जा चुके हैं।
जब भारत मे मीटू का दौर आया था तब राजू हिरानी पर भी छींटे लगे और उसी दौरान बन रही फिल्म ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ कि क्रेडिट से उनका नाम कांट दिया गया। यह विधु विनोद चोपड़ा प्रोडक्शन के साथ उनका आखिरी कोलैबोरेशन था। राजू हिरानी साला खडूस फ़िल्म के निर्माताओं में से एक थे। अब वे शाहरुख की रेड चिलीज़ के साथ डंकी नामक फ़िल्म ला रहे हैं।