Tuesday, October 15, 2024

मैनपुरी के खेतों में मिले 4000 साल पुराने ताम्र अस्त्र ,महाभारत युद्ध से जुड़े हो सकते है बक्से में बंद मिले अस्त्र

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मैनपुरी (Mainpuri) के एक खेत से खुदाई में करीब 4000 साल पुराने अस्त्र (हथियार) मिले है। बताया जा रहा है कि एक खेत के टीले की खुदाई के दौरान ये तांबे के अस्त्र निकले है ।

अस्त्रों के मिलने की जानकारी मिलते ही कुछ ग्रामीण किसान अस्त्रों को लेकर चले गए । हालांकि बाद में प्रशासन द्वारा  इन्हें बरामद कर लिया गया । इनमें तलवार, भाला, कांता सहित त्रिशूल की बनावट के अस्त्र शामिल हैं।

4000 साल पुराने हो सकते है अस्त्र

ताम्र पाषाण युग के बताए जा रहे इन अस्त्रों को लेकर पुरातत्व विभाग की टीम काफी उत्साहित है ।  उनके अनुसार इससे उस काल के बारे में काफी जानकारी मिलेगी । ये भी बताया जा रहा है कि ये अस्त्र द्वापर युग के हो सकते है जिनका प्रयोग संभवतः महाभारत में भी किया गया हो । खुदाई में अस्त्र मिलने की जानकारी मिलते ही आगरा और दिल्ली से पुरातत्व विभाग की टीम वहां पहुंच गयी और खुदाई में मिली वस्तुओ को अपने कब्जे में ले लिया ।

ताम्र अस्त्र मैनपुरी उत्तरप्रदेश

खेत के समतलीकरण के दौरान मिले

थाना कुरावली क्षेत्र के ग्राम गणेशपुरा के रहने वाले बहादुर सिंह उर्फ फौजी का खेत टीले पर है। जमीन को खेती योग्य बनाने के लिए वह टीले का समतलीकरण करा रहे थे। बीते 9 जून को जेसीबी से खुदाई के दौरान एक बक्सा निकला था। जिसमें प्राचीन काल के तीर कमान, कटारी, छुरी आदि भरे हुए थे। तांबे के बने ये विभिन्न प्रकार के अस्त्र एक बॉक्सनुमा चीज में थे । जिसके बाद कुछ किसान उन्हें अपने साथ ले गए । बाद में प्रशासन को जानकारी मिलते ही मुनादी करवाई गई और किसानों ने सामान को वापिस लौटा दिया ।

महाभारत काल के हो सकते है अस्त्र

4000 साल के करीब पुराने ये अस्त्र द्वापर युग के बताए जा रहे है । कुछ स्थानीय लोगो के अनुसार इन हथियारों का उपयोग महाभारत की लड़ाई में होने की संभावना भी जताई है। इन अस्त्रों की संख्या करीब 80 है ।

जंग लगे इन हथियारों की जाँच के बाद कहा जा सकता है कि प्राचीन काल में भी भारतीय योद्धाओं के पास उन्नत अस्त्र हुआ करते थे। इनमे से कुछ अस्त्रों को 4 फ़ीट के करीब पाया है । ये स्टारफिश के आकार के है । इससे पता चलता है कि हमारे पूर्वज बड़े अस्त्रों और तलवारों का इस्तेमाल करते थे।

ताम्र अस्त्र मैनपुरी उत्तर प्रदेश

रोचक हथियार देख उठा ले गए थे ग्रामीण

खुदाई में हथियार मिलने की खबर के बाद रात में काम कर रहे मजदूर और ग्रामीण कुछ सामान को अपने साथ ले गए थे। इनमे से कुछ वही पड़े रहे । सूचना मिलने पर पहुंचे एसडीएम कुरावली ने अस्त्रों को अपने कब्जे मे लिया और पुरातत्व विभाग को सौंप दिया।  बाद में मुनादी कराई गई और ग्रामीणों से बाकी के सामान को जमा कराया ।  पुरातत्व विभाग और पुलिस ने बक्सा मिलने की जगह को चिन्हित कर खुदाई पर रोक लगा दी ।

ताम्र पाषाण काल के बताए जा रहे हथियार

किसान की खेत से मिले हथियारों की जांच के बाद कुछ पुरातत्वविदों ने तांबे के मिले लगभग 80 हथियारों को 4000 साल पुराना बताया है। अधीक्षण पुरातत्वविद रामकुमार के अनुसार  यह ताम्र पाषाण काल ( कॉपर एज) के हो सकते हैं। कांसा हड़प्पा काल की एक बड़ी विशेषता थी। हालांकि, कुछ अध्ययन बताते है कि इस प्रकार के हथियार मुख्य रूप से तांबे से बने होते थे। इनमें कांसे का प्रयोग नहीं होता था।

उन्होंने बताया है कि प्रारंभिक तौर पर देखने में यह ताम्रनिधियाँ ईसा पूर्व 1800 के आस पास की लगती हैं। एटा, मैनपुरी, आगरा और गंगा बेल्ट इस तरह की ताम्रनिधियों की संस्कृति वाले क्षेत्र रहे हैं।

पहले भी 1982 में कानपुर के बिठूर में भी मिले थे अस्त्र

पुरातत्वविद रामकुमार के अनुसार इसी तरह के अस्त्र सबसे पहले 1982 में कानपुर के बिठूर के खुदाई में निकले थे।  यहां मिल रहे अवशेष गैरिक मृदभांड परंपरा के हैं।  जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उस समय के निवासियों द्वारा यह अस्त्र प्रयोग किए जाते होंगे

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