Monday, January 13, 2025

आलमआरा : अचानक जिंदा हुए 78 मुर्दे, जानिये कैसे

अर्देशिर ईरानी के निर्देश में बनी आलम आरा भारत की पहली बोलती फिल्म थी, इस फिल्म ने मूक फिल्मो का काल ख़त्म कर दिया था, आलम आरा ने 90 साल पुरे कर दिए लेकिन बहुत काम लोग है जो इस फ़िल्म के बारे में जानते है और आज भी बहुत कम लोगो ने यह फ़िल्म देखी होगी।

भारतीय फिल्म इतिहास के लिए मील का पत्थर थी आलमआरा

1929 का अमेरिकन शो ‘बोट’ जहाँ से निर्देशक अर्देशिर ईरानी को बोलती फिल्म बनाने की प्रेरणा मिली थी, वहां से उन्होंने भारतीय फिल्म जगत का नक्शा बदल दिया था. आलम आरा ने फिल्मों का रुख कुछ यूँ मोड़ दिया कि आगे तक का भविष्य फिल्म जगत को साफ़ नज़र आ रहा था. यह वही दौर था जब सारी फिल्में धार्मिक हुआ करती थी, आलम आरा के निर्देशक हिंदी और उर्दू को साथ लेकर आये थे, और उम्मीद थी कि इससे फ़िल्म ज़्यादा से ज़्यादा दर्शकों तक पहुंचेगी।

आलम आरा एक पारसी नाटकीय प्रदर्शन पर आधारित थी जो जोसफ डेविड द्वारा लिखित था, कहानी एक राजकुमार (आदिल जहांगीर खान) और स्वभाव से तेज़ लड़की (आलमआरा) यह दोनों किरदार मास्टर विट्ठल और ज़ुबैदा ने निभाये थे. आश्चर्य की बात यह थी कि विट्ठल जो की मुख्य किरदार था वह मूक था, निर्देशक की पूरी कोशिश थी कि उनपर कोई डायलॉग न हों, वह इसलिए क्योंकि वट्ठल के बोलने का तरीका अलग था जो शायद लोगो को समझ नहीं आता.

ख़ास बात यह कि कपूर खानदान का नाम यहाँ भी है, पृथ्वीराज कपूर ने इसमे जनरल आदिल खान का किरदार निभाया है. फिल्म का स्टूडियो रेलवे स्टेशन के पास था, दिन में ट्रैन की आवाज़ शूट करने में दखल डालती थी, तो फिल्म की शूटिंग रात 1 से 4 बजे की बीच में ही हुआ करती थी इसी के साथ रात में माइक्रोफोन के साथ शूटिंग आसान भी थी.

फिल्म का गाना ‘देदे खुदा के नाम पर प्यारे’ इस गाने को केवल तबला और हारमोनियम के साथ शूट किया गया था, शूट में तनर साउंड सिस्टम के द्वारा रिकॉर्ड किया गया था. पेड़ो के पीछे दीवारों के पीछे से वादकों का साउंड रिकॉर्ड किया। टिकट का दाम तब 25 पैसा था

क्यों कहा गया कि मुर्दे जिंदा हो गए

फिल्म की टैगलाइन ’78 मुर्दे इंसान ज़िंदा हो गए, उनको बोलते देखो’ टैगलाइन का इशारा फिल्म पर था क्यूंकि 78 लोगो ने फिल्म के लिए अपनी आवाज़ रिकॉर्ड करी थी। इससे पहले बिना आवाज की फिल्मों में ऐसा लगता था जैसे मुर्दे अभिनय कर रहे हो लेकिन इस फ़िल्म के बारे में बोला गया कि मुर्दे जिंदा हो गए । यही नहीं अर्देशिर ईरानी ने भारत की पहली कलर फीचर फिल्म ‘किसान कन्या’ 1937 में बनायीं थी. सिनेमा लवर्स को यदि एक भी मौका मिलता है तो वे ज़रुर आलम आरा को देखना चाहेंगे।

Latest news
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here