Tuesday, December 3, 2024

कौन है अजित डोभाल , जिन्हें भारत का जेम्स बांड कहा जाता है

आपने जेम्स बांड का नाम तो जरूर सुना होगा जो फेमस कहानियों का एक सीक्रेट एजेंट है. वैसे तो जेस्म बांड काल्पनिक कैरेक्टर है. लेकिन भारत के अंदर एक ऐसे इंसान जरूर हैं जो जेम्स बॉन्ड की तरह ही काम करते हैं. हम बात कर रहे हैं भारत के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल के बारे में.

फिलहाल तो अजीत डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्यरत है. लेकिन अजीत डोभाल ने भारत के लिए कई वर्षों तक एक सीक्रेट एजेंट की तरह काम किया है. इतना ही नहीं अजीत डोभाल ने पाकिस्तान में कई साल रहकर भारत को जरूरी सूचनाएं भी पहुंचाई है.आज के इस खास लेख में हम जानेंगे कैसे अजित डोभाल एक सक्सेसफुल सीक्रेट एजेंट बने.

अजित डोभाल का प्रारंभिक जीवन

अजित डोभाल का जन्म 20 जनवरी सन 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल गाँव में हुआ था. उनके पिता गुणनाद डोभाल भी एक आर्मी ऑफिसर थे. इसी वजह से अजीत डोभाल के अंदर भी देशभक्ति की भावना बचपन से ही जाग गई थी. इसके साथ ही अजीत डोभाल के पैदा होने के 2 साल के बाद भारत आजाद हो गया था.

1968 में बने केरल के आईपीएस अधिकारी

अपनी स्कूली पढ़ाई खत्म होने के बाद अजीत डोभाल ने सन 1967 के दौरान यूनिवर्सिटी ऑफ आगरा से इकोनॉमिक्स की डिग्री हासिल की. ऐसे में कोई आम युवा होता तो वह कोई प्राइवेट नौकरी करके अपना जीवन बसर कर लेता लेकिन अजीत डोभाल को यह हरगिज मंजूर नहीं था. बल्कि अजीत डोभाल ने देश की सेवा करने के लिए एक आईपीएस अफसर बनने का सपना देखा.

उनका यह सपना 1968 में केरल के आईपीएस बेच में आईपीएस बन कर पूरा भी हो गया. यहां उन्होंने साल तक एक आईपीएस ऑफिसर के रूप में अपनी सेवा दी.

अजित डोभाल की सर्विस और खुफिया अभियान

अजित डोभाल ने अपने करियर की शुरुआत तो एक आईपीएस ऑफिसर के रूप में की थी. लेकीन आईपीएस बनने के बाद भी अजित डोभाल को ये लगता था कि वो देश को इससे कुछ ज्यादा दे सकते है. आईपीएस की नौकरी छोड़ने के बाद वो 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरों में खुफिया एजेंट के रूप में काम करना शुरू कर दिया.

आइये क्रमबद्ध तरीके से जानते है अजित डोभाल के कार्य और खुफिया अभियान.

  • अजित डोभाल ने 1971 से लेकर 1999 तक भारत के हर प्लेन हाईजेक में इन्होने ही हैजेकर्स से डील की थी.
  • इसी तरह 1999 में कंधार आईसी-814 हाईजेक के दौरान अजित डोभाल ने बड़ी समझदारी से भारतीयों की जान बचायी थी.
  • अजित डोभाल मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) और जाइंट टास्क फोर्स ऑन इंटेलिजेंसी के संस्थापक और अध्यक्ष भी है.
  • जब पंजाब के स्वर्ण मंदिर पर रोमानियों ने कब्जा कर लिया था. तब अजित डोभाल ने ही एक रिश्के वाला बनकर मंदिर को बचाने में अपनी अहम् भूमिका अदा की थी.
  • आपको जानकर हैरानी होगी कि अजित डोभाल 7 साल तक पाकिस्तान में अपना धर्म बदल कर एक भारतीय एजेंट के रूप में रहे थे. इस दौरान उन्होंने भारतीय खुफिया एजेंसियों को पाकिस्तान के खिलाफ काफी जानकारियाँ दी थी.
  • साल 2005 में अजित डोभाल इंटेलेजेंसी ब्यूरो के डाइरेक्टर पद से रिटायर हो गये थे.
  • कुछ साल बीजेपी के कैम्पेन में मदद करने के बाद 2014 में अजित डोभाल भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बन गये थे.
  • आपको जानकर ख़ुशी होगी कि अजित डोभाल ने रिटायर होने के बाद भी देश की सेवा करना बंद नहीं किया. और 2014 उन्होंने ईराक में फंसी 46 नर्सों के रेस्क्यू करने में अपना अहम योगदान दिया था. इस मिशन को अंजाम देने के लिए अजित डोभाल स्वयं ही ईराक गये थे. इस बात से आप समझ सकते है कि अजित डोभाल ने कभी भी अपनी जान की चिंता नहीं की और हमेशा देश सेवा को शीर्ष स्थान पर रखा.
  • पुलवामा अटैक से लेकर अभिनंदन शर्मा की वापसी तक में भी अजित डोभाल का ही मास्टर माइंड था.

अजित डोभाल जी को सर्वोच्च वीरता पुरुस्कार कीर्ति चक्र समेत कई बड़े पुलिस मेडल से सम्मानित किया जा चुका है.

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