आपने टेलीविज़न पर डिस्कवरी चैनल में बेयर ग्रिल्स का शो ‘मैन वर्सेस वाइल्ड’ जरूर देखा होगा. इस शो में बेयर लोगों को इस बात की सीख देते हैं कि जब लोग बीहड़ से बीहड़ जगहों पर फंस जाते हैं और बात जान को बचाने को लेकर आजाती है तो कैसे खुद को संयम ढंग से संभालें और कठिन परिस्थितियों का सामना करें. खैर यह शो हम टीवी पर देखते हैं मगर असल में कभी ऐसे हालातों से नहीं गुज़रे. मगर आज हम एक ऐसी ही घटना के बारे में बात करने जा रहे हैं जो कि सत्य घटनाओं पर आधारित है. इस घटना को प्रसिद्द रूप से ‘मिरेकल ऑफ एंडीज’ और ‘एंडीज फ्लाइट डिजास्टर’ के नाम से जाना जाता है. यह घटना 13 अक्टूबर 1972 को घटित हुई थी. तो आइये आपको बताते हैं इस इंट्रेस्टिंग स्टोरी के बारे में.
यह घटना वर्ष 1972 की है जब एक विमान एंडीज के पहाड़ों पर दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है. जिसमे विमान में बैठे 14 लोग 72 दिनों तक बिना भोजन के सर्वाइव करते हैं. इस विमान में उरुग्वे के ओल्ड क्रिश्चियन क्लब की रग्बी टीम के खिलाड़ी व चालाक दल के सदस्य सवार थे. उरुग्वे का यह एयरफोर्स विमान टीम के खिलाड़ियों समेत अधिकारियों व उनके परिवार व मित्रों को लेकर एंडीज पहाड़ों के ऊपर से गुजर रहा था. विमान के उड़ान भरने के साथ ही मौसम भी काफी तेजी से खराब होता दिखाई दे रहा था. विमान जब 14 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुँच जाता है तो विमान चालाक को खराब मौसम के चलते साफ़ साफ़ दिखाई देना बंद हो जाता है जिसके चलते विमान बर्फीले पहाड़ों से टकरा कर गिर जाता है.
विमान में कुल 45 लोग सवार होते हैं मगर विमान के पहाड़ से टकराने के बाद केवल 27 ही बचते हैं. मगर खराब मौसम और -30 डिग्री सेल्सियस के टेम्परेचर के चलते 12 और लोग मौत के घाट उतर जाते हैं. जिसके बाद मात्र 15 लोग बचते हैं. जिनमें प्रसिद्द रग्बी खिलाड़ी नंदो पैराडो और रॉबर्ट कैनेसा मौजूद होते हैं. ये दोनों खिलाड़ी अपने साहसी किरदार के चलते न सिर्फ खुद को बचाने में सफल होते हैं बल्कि बाकी बचे 13 लोगों को भी बचाते हैं. जैसे-जैसे वक्त बीतता है बचे हुए 15 लोगों के लिए परिस्थितियाँ और भी कठिन होती जाति हैं. कुछ लोग विमान में बचे हुए भोजन को निकाल कर आपस में बाँट लेते हैं. मगर इतना उन सभी 15 लगूं के लिए काफी नहीं होता है.
हालात और खराब होते हैं तो भोजन न होने के कारण लोग खुद को बचाने के लिए अपने साथियों की लाश के टुकड़े खाना शुरू कर देते हैं. पानी की कमी को लेकर कुछ लोग दुर्घटनाग्रस्त विमान में से एक मेटल का ऐसा टुकड़ा निकालते हैं जो सूरज की गर्मी से जल्दी गर्म हो सके. जिसपर बचे हुए लोग बरफ रखकर पिघलाना शुरू कर देते हैं. जिससे उनको पीने के पानी की सहूलियत मिलने लगती है. इसी बीच खिलाड़ियों के हालात खराब होने से पहले उरुग्वे सरकार ने राहत और बचाव कार्य के लिए एक ऑपरेशन भी चलाया था मगर 11 दिनों तक चले ऑपरेशन में सरकार के हाथ कोई जानकारी नहीं लगी जिसको आख़िरकार बंद कर दिया गया.
नंदो पैराडो और रॉबर्ट कैनेसा जो कि पीड़ितों में शामिल थे साहस न हारते हुए करीब 12 दिनों तक ट्रैकिंग करके चिली के आबादी वाले छेत्र में पहुंचे और रेस्क्यू टीम को अपनी और उनके बचे हुए साथियों की स्थिति के बारे में लोकेशन दी. ऐसा करके इन दोनों खिलाडियों नंदो पैराडो और रॉबर्ट कैनेसा ने न केवल खुद की जान बचाई बल्कि अपने साथियों के लिए भी फ़रिश्ता साबित हुए.
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