स्वामी विवेकानंद का जन्म एक बंगाली परिवार में 12 जनवरी 1863 को मकर संक्रांति वाले दिन हुआ था। धर्म, वेद, पुराण से हटके स्वामी विवेकानंद की कुछ विशेषतायें ऐसी भी थीं जिनके बारे में शायद ही कोई जानता हो। आज हम आपको उनकी उन तीन विशेषताओं के विषय में बताएंगे जिन्होंने उन्हें महान और बाकियों से अलग बनाया।
स्पीड रीडिंग
इनमे से एक विशेषता ‘स्पीड रीडिंग’ भी है। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि वे पंक्ति के शुरुआत का शब्द और आखिर का शब्द पढ़कर यह जान लेते थे कि उस वाक्य में लिखा क्या है। सुनने में यह हो सकता है अजीब लगे लेकिन आज को समय में इसे स्पीड रीडिंग की कला कहते हैं। स्पीड रीडिंग की कला से पढ़ने की स्पीड को 5 गुना ज़्यादा बढ़ाया जा सकता है।
साइंटिफिक थिंकिंग
स्वामी विवेकानद अपने समय के सबसे अत्यधिक पढ़ने वाले व्यक्ति थे। उन्हें जहाँ फैक्ट्स नज़र नहीं आते थे वे वहां से हट जाते थे। फैक्ट्स और ऑपीनियंस के बीच का फर्क उन्हें मालूम था। किसी भी धार्मिक अभ्यास में वह सबसे पहले लॉजिक और फैक्ट्स ढूंढते थे, जहाँ उन्हें फैक्ट्स नज़र आते थे सिर्फ उन्हीं को फॉलो करते थे।
खाना बनाने की कला
स्वामी विवेकानंद को खाना बनाने में अत्यधिक रुचि थी। उनकी पब्लिक स्पीकिंग की कला तो विश्व प्रसिद्ध थी ही लेकिन बहुत कम लोग हैं जो यह जानते हैं कि स्वामी विवेकानंद बहुत ही अच्छा खाना भी बनाते थे। वे अपने साथ भारतीय मसाले लेकर चलते थे। US में उन्होंने अपने अमेरिकन मित्रों को घी में बनी खिचड़ी बनाकर खिलाई थी। भारतीय खाना और खाना बनाने की कला उन्होंने पश्चिमी दुनिया में फैलाया साथ ही पश्चिमी खाने में भारतीय मसालों के उपयोग के लिए प्रेरित किया। दुनिया को खाने के ज़रिये भारतीय संस्कृति के बारे में बताने वाले स्वामी विवेकानंद अपने समय से आगे थे।