भारत में अभी आईपीएल का सीजन चल रहा है। बच्चे-बुजुर्ग सभी इस क्रिकेट के प्रति हमेशा उत्साहित रहते हैं। चाहे बात पाकिस्तान के साथ इंडिया के बैच की हो या बात आईपीएल की हो। यहाँ छोटी उम्र से ही बच्चे गली-मोहल्ले में क्रिकेट खेलने लगते हैं।
पिछले कुछ सालों से भारत में दूसरे खेल के प्रति भी लोगों का नज़रिया बदला है। प्रो कबड्डी के माध्यम से यह खेल ज़मीन से मैट पर आ चुकी है। सानिया मिर्ज़ा, पीवी सिंधु, नीरज चोपड़ा, अभिनव बिंद्रा, मैरीकॉम, सुनील छेत्री और साइना नेहवाल जैसे अनेकों खिलाड़ियों ने युवाओं को खेल में आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया है।
जब हम छोटे से तभी से पढ़ते- सुनते आए हैं कि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। हॉकी के साथ हम भारतीयों की अलग ही बॉन्डिंग है। पिछले दिनों अजय देवगन और सुदीप के बहस ने हमें बताया को हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नही है। ठीक उसी तरह हॉकी भी भारत का राष्ट्रीय खेल नही है। ये वो खेल है जिसने एक दौर में भारत को खूब प्रसिद्धि दिलाई थी।
क्यों लोग मानते हैं हॉकी को राष्ट्रीय खेल
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को सभी जानते हैं। उन्होंने अपने खेल से पूरी दुनिया को हिला के रख दिया था। 1926 में अपने अंतरराष्ट्रीय हॉकी करियर की शुरुआत करने के बाद उन्होंने लोगों को वो दौर दिखाया जब पूरी दुनिया में भारत हॉकी के लिए महशूर थी।
हॉकी के खेल में भारत का डंका बजता था और भारतीय इससे गौरान्वित महसूस करते थे। इस खेल ने भारतीयों को इज्जत और सम्मान दिलाया। इसी कारण जनता ने हॉकी को दिलों दिमाग में बसा लिया और सरकार के आधिकारिक घोषणा के बगैर ही राष्ट्रीय खेल मान लिया। भारतीय हॉकी टीम ने 1928 से लेकर 1956 तक लगातार 6 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते।
कैसे पता चला कि हॉकी राष्ट्रीय खेल नही है
बात है साल 2020 की जब महाराष्ट्र के धुले जिले के एक शिक्षक ने सरकार के पास एक आरटीआई (RIGHT TO INFORMATION) फ़ाइल की। उन शिक्षक महोदय ने आरटीआई में पूछा कि आखिर किस वर्ष हॉकी को एक राष्ट्रीय खेल का दर्जा दिया गया।
जैसे मोर को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा 26 जनवरी 1963 को दिया गया था ठीक उसी तरह कोई तो डेट होगी जब भारत के राष्ट्रीय खेल के रूप में हॉकी की घोषणा की गई होगी। खेल एवं युवा मंत्रालय ने जो जवाब दिया उससे साफ हो गया कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल नही है। मंत्रालय ने बताया कि हॉकी को अभी तक राष्ट्रीय खेल का दर्जा नही दिया गया है।
हॉकी को क्यों नही बनाया गया राष्ट्रीय खेल
मंत्रालय ने हॉकी को राष्ट्रीय खेल का दर्जा न देने के पीछे का कारण बताया। सरकार का काम है सभी खेलों को समान रूप से बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना। वे चाहते हैं कि भारतीय किसी एक खेल के पीछे न भागकर सभी खेलों पर ध्यान दें। इससे हमारी मिट्टी और देश की संस्कृति से जुड़े खेल भी आगे आ सके।