फिल्मों से लोग बेहद प्रभावित होते हैं। कुछ महीनों पहले बच्चे-बच्चे तक अल्लु अर्जुन की फ़िल्म ‘पुष्पा’ के संवाद बोलते नज़र आ रहे थे। वह संवाद था ‘पुष्पा, मैं झुकेगा नही साला!’ यह संवाद लोगों को अपने आप मे शक्ति प्रदान करती है। अगर कोई आपको नीचा दिखाने का कोशिश कर रहा है तो गर्व से कहिए “मैं झुकेगा नही साला।”
आज हम बॉलीवुड के कुछ ही ऐसे ही पॉपुलर डायलॉग्स (संवादों) ( bollywood popular dialogues ) के बारे में बात करेंगे जो बेहद छोटे हैं लेकिन मुश्किल घड़ी में लगभग आधे भारतीय उन्हीं डायलॉग्स से खुद को मोटीवेट करते होंगे। कई लेखक बताते हैं कि उन्होंने फिल्म लिखते समय कभी यह नही सोचा था कि वे किरदार उतने पॉपुलर हो जाएंगे। ये सब जनता का ही कमाल है।
1. ऑल इज़ वेल
आमिर खान की 3 इडियट्स फ़िल्म का यह पॉपुलर डायलॉग फ़िल्म के कई सीन में प्रयोग किया गया है। 3 इडियट्स के रिलीज के बाद आम लोग इस डायलॉग को बोलते नज़र आते थे। आल इज़ वेल का हिंदी अर्थ होता है ‘सब ठीक है’। राजकुमार हिरानी की इस फ़िल्म ने एजुकेशन सिस्टम के साथ पेरेंट्स की सोच पर सवाल उठाए थे। एक सीन में रैंचो अपने डरपोक दोस्तों को ताकत देने के लिए ‘आल इज़ वैल’ के पीछे की कहानी सुनाता है। उसके गाँव का वॉचमैन अंधा होता है लेकिन आल इज़ वेल बोलकर निगरानी रखता है। लोग उसकी बातों में आकर शांति से सो जाते हैं। रैंचो कहता है कि दिल बेवकूफ है, जल्दी डर जयता है। आल इज़ वेल बोलने से सब ठीक हो जाता है। असल जीवन मे भी इस संवाद को बोलने से कठिनाई का सामना करने की हिम्मत जुट जाती है।
2. बाबू मोशाय…. ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नही
राजेश खन्ना साहब की बेहतरीन फ़िल्म ‘आनंद’ का यह संवाद हर भारतीय ने सुना भी है और इससे खुद को प्रेरित भी किया है। अपने ज़माने के सुपरस्टार राजेश खन्ना ने लोगों को बताया था कि स्टारडम किस चिड़िया का नाम होता है। राजेश खन्ना इस संवाद को अमिताभ के सामने कहते हैं। वे कहते हैं कि छोटी सी ज़िंदगी मे ही इतने बड़े काम करो कि लोग आपको सदियों तक याद रखें। ऐसा जीवन जीने का क्या फायदा जब आप 100 सालों तक जीवित रहे लेकिन कोई सार्थक काम न कर सकें।
3. पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त
शाहरुख की जबरदस्त फ़िल्म ‘ओम शांति ओम’ के इस डायलॉग को भला कौन भूल सकता है। जब कोई आपके काम को कम आंकता है तो आपके मन में ये संवाद ज़रूर गूंजता होगा ‘ये तो सिर्फ ट्रेलर था, पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त।’ शाहरुख के बेहतरीन कामों में से एक इस फ़िल्म को फराह खान ने डायरेक्ट किया था। फ़िल्म में इस तरह और भी कई यादगार संवाद थे। इस फ़िल्म में शाहरुख ने बॉलीवुड के सुपरहिट कलाकारों को एक स्क्रीन पर लाने का काम किया था।
4. मैं अपनी फेवरेट हूँ
इम्तियाज़ अली की फ़िल्म ‘जब वी मेट’ का यह नन्हा संवाद बहुत बड़े मायने रखता है। यहाँ लोगों के साथ एक ही समस्या है कि वे हमेशा खुद को दूसरों से कम्पेयर करते हैं और कम आंकते हैं। उन लोगों को करीना कपूर के किरदार ‘गीत’ से कुछ सीखना चाहिए। गीत किसी भी मुसीबत में यह किसी भी परिस्थिति में सिर्फ इतना कहती है कि वो अपनी फेवरेट हैं। एक्चुअल में हम सभी को अपना खुद का फेवरेट बनना चाहिए। सीखने के लिए कई सारी चीजें हमारे अंदर ही भरी पड़ी है।
5. टेंशन लेने का नही, सिर्फ देने का !
राजकुमार हिरानी की फ़िल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ फ़िल्म में कई सारे सीन प्रेरणदायक हैं बल्कि पूरी फिल्म ही लाइफ लेसन्स से भरी पड़ी है। उसमें मुन्ना भाई कहते फिरते हैं कि टेंशन लेने का नही सिर्फ देने का। कई भारतीय सिर्फ टेंशन लेकर खुद के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। लोग यहां बात बात में टेंशन ले लेते हैं। उन्हें याद रखना चाहिए कि टेंशन से उनके शरीर का ही नुकसान हो रहा है। तो लोग टेंशन लेवें नही और दूसरों को देवे भी नही। मुन्ना भाई ये भी नही कह रहा है कि अब दिन भर दूसरों को टेंशन देते फ़िरो।
इनके अलावा भी कई ऐसे डायलॉग ( Bollywood popular dialogues ) हैं जो हमें प्रेरित करते हैं। जैसे ‘हारकर जीतने वाले को ही बाजीगर कहते हैं।’ आप कमेंट में बताइए कि आपको कौन सा डायलॉग हमेशा प्रेरित करता है।