भारत के सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायक पंकज उधास का चिट्ठी आयी है आप सब ने सुन रखा होगा। यह गाना 90 के दशक में जितना सुपरहिट था उतना ही आज भी है। (Pankaj Udhas) के नाम को लेकर अक्सर मज़ाक बनाया जाता है। कई कॉमेडी शोज और चुटकुलों में उनके नाम को ‘उदास’ बताकर ज़िक्र किया जाता है।
पंकज उधास गुजरात के सौराष्ट्र इलाके से आते हैं। वे बताते हैं कि उधास उनका असली सरनेम है। आपको जानकर हौरानी होगी कि ‘उधास’ सरनेम सिर्फ उनके परिवार तक ही सीमित रह गया। पंकज उधास स्वयं बताते हैं कि पूरे भारत में और किसी भी परिवार का ‘उधास’ सरनेम शायद ही होगा।
धर्मेंद्र के लिए किशोर दा के साथ गाया था पहला फिल्मी गाना
पंकज उधास ने 1970 में पहली दफा किसी फिल्म के लिए गाया था। उन्होंने धर्मेंद्र की फ़िल्म ‘तुम हसीन मैं जवान’ के लिए एक गीत ‘मुन्ने की अम्मा ये तो बता’ में किशोर कुमार के साथ अपनी आवाज़ दी थी। बाद में उन्होंने एक वर्ष के पश्चात कामिनी फ़िल्म के लिए एक गाना रिकॉर्ड किया और फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली। वे स्टेज शो में ज्यादा भागीदारी लेने लगे। जब उन्हें गज़लों में इंटरेस्ट आया तो उन्होंने उर्दू की तालीम भी ली। वे विदेशों में भी ग़ज़ल के शो करके लोकप्रिय हो चुके थे।
ग़ज़ल के कैसेट्स फिल्मी गानों से भी ज्यादा बिकने लगे थे ( Pankaj Udhas Ghajal )
1980 में पंकज उधास ने अपना पहला ग़ज़ल एलबम ( Pankaj Udhas Ghazal) जनता के सामने पेश किया। ‘आहट’ एलबम को खूब सुना गया। पंकज उधास को इससे ताक़त मिली और उन्होंने दूसरे एलबम मार्किट में उतारने शुरू किए। 1982 में तरन्नुम, 1983 में महफ़िल नामक एलबम ने अपने कमाल दिखाए। लेकिन उनकी किस्मत बदलने का काम 1985 में आयी नायाब और 1986 में आई आफरीन ने किया। ये दोनों अल्बम जनता के बीच इतने लोकप्रिय हुए कि बॉलीवुड फिल्मों के कैसेट्स से ज्यादा इनके कैसेट्स बिकने लगे। यही वो वक़्त था जब बॉलीवुड वालों ने उभरते सितारे पंकज उधास को पहचाना और फ़िल्म में लाने का सोचा।
सलीम खान ने अकेले लिखी थी नाम की ‘पटकथा’
राजेन्द्र कुमार उन दिनों अपने बेटे कुमार गौरव को बॉलीवुड में स्थापित करने के लिए जी जान से लगे हुए थे। 1981 में कुमार गौरव की पहली फ़िल्म आयी थी। 1986 में बन रही नाम को कुमात गौरव ने प्रोड्यूस किया था। जब सलीम-जावेद की जोड़ी अलग हुई थी तब पहली बार सलीम खान किसी पटकथा को अकेले ही लिखने को तैयार हुए थे। यह उनकी बाकी फिल्मों से अलग थी। हालांकि विषय कुछ सिमिलर सा था। इस फ़िल्म को लिखने के लिए सलीम खान को मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा था। अकेले लिखना उनके लिए थोड़ा सा कठिन था।
सलीम साहब ने ही पंकज का नाम सजेस्ट किया
नाम फ़िल्म के एक सीन में यह दिखाना था कि संजय दत्त एक इंसिडेंट के बाद अचानक ही अपने भाई कुमार गौरव, माता नूतन और अपने देश को याद करने लग जाते हैं। सलीम साहब का आईडिया था कि संजय दत्त एक ग़ज़ल प्रोग्राम के गाने को सुनकर ऐसा फील करेंगे। फिर उन्होंने ही आईडिया दिया कि पंकज उधास से ग़ज़ल गवा लेते हैं और स्टेज में उन्हीं को बैठाकर फ़िल्म का हिस्सा भी बना लेंगे।
‘चिट्ठी आयी है’ आज भी सुपरहिट है
पंकज उधास का ‘ चिट्ठी आयी है ‘ (Chitthi ayi h song) गाना इतना सुपरहिट हुआ कि आज भी लोगों के जहन में बसा हुआ है। पंकज उधास को इस फ़िल्म से और भी ज्यादा लोकप्रियता मिलने लगी। महेश भट्ट निर्देशित यह फ़िल्म सुपरहिट साबित हुई। आज भी किसी को कोई ग़ज़ल गाने बोलो तो सबसे पहले उसके दिमाग मे उधास जी का ‘चिट्ठी आयी है’ गाना गूंजने लगता है। ( Pankaj Udhas hit song )बहुत कम लोग जानते हैं कि इस फ़िल्म की एडिटिंग कॉमेडी फिल्मों के बादशाह डेविड धवन ने की थी।निर्देशन से पहले वे एडिटिंग का काम किया करते थे। शक्ति कपूर की एकलौती जिसमे में वे मुख्य हीरो बने थे ‘ज़ख्मी इंसान’, उसे भी डेविड धवन ने ही एडिट किया था।