देशल दान आईएएस (Deshal Dan IAS)
कहते है ‘जहाँ चाह वहीं राह होती हैं’ इस कहावत को सही साबित करने वाले देशल दान आज अपनी मेहनत के दम पर IAS की कुर्सी पर काबिज है. उनकी ये प्रेणादायक कहानी आपको ये सोचने पर मजबूर कर देगी की आप जो सोच सकते है वो कर भी सकते है. आइये जानते है चाय बेचने से IAS बनने तक देशल दान के सफर की कुछ दिलचस्प बातें हमारी इस खास पेशकश में
पिता करते थे चाय की दुकान
देशल दान (Deshal Dan IAS )का जन्म राजस्थान के जैसलमेर में हुआ था. उनके पिता एक किसान थे और घर चलाने के लिए एक चाय की दुकान भी चलाया करते थे साथ ही देशाल भी अपने पिता की स्टाल में उनका हाथ बटाया करते थे. उनकी माँ एक हॉउस वाइफ है. देशल दान के 7 भाई बहन है. उन्होंने अपनी शुरूआती पढाई जैसलमेर से ही की थी. देशाल ने शुरू से ही अपनी पढाई का माध्यम हिंदी ही रखा था. इसके बाद उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए वे कोटा गये और इंजीनियर बन गये, और IIT की पढाई के लिए जबलपुर चले गये.
बिना कोचिंग पाई सफलता
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद देशल का मन इंजीनियर बनने में नही था , वे प्रशासनिक सेवाओं में जाना चाहते थे । इसके लिए उन्होंने जबलपुर से दिल्ली का रुख किया । हालांकि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नही थी कि किसी अच्छे संस्थान से कोचिंग ले सके । देशल दान ने बिना कोचिंग ही UPSC की परीक्षा दी और अपने पहले ही प्रयास में सफलता पाई । UPSC में देशल दान ने 82 वी रैंक प्राप्त की । इस समय देशल दान की उम्र मात्र 24 वर्ष थी।
पिता नही जानते थे IAS का मतलब
देशल दान के पिता को मालूम नही था कि आईएएस बनने का क्या मतलब होता है। उनके पिता ज्यादा पढ़े लिखे नही थे लेकिन जब देशल ने UPSC में सफलता प्राप्त की तो उन्हें पता चला कि बेटा कोई बड़ा अधिकारी बना है ।
IAS बन बड़े भाई का किया सपना पूरा
देशल दान कहते है कि मैंने अपने आस पास के गाँवो में UPSC के बारे में सुना था, साथ ही कुछ लोगों के केंद्रीय सेवा में भर्ती होने की बात भी सुनी थी. मैने सुना था की उन लोगों को समाज में सम्मान की नजरो से देखा जाता है. इसके आगे अपनी कहानी बताते हुए देशाल कहते हैं, मेरा बड़ा भाई जिसने 7 साल तक भारतीय नौसेना में सेवा की, वह मुझे आईएएस बनते देखना चाहता था.
दुर्भाग्य से, साल 2010 में आईएनएस सिंधुरक्षक में एक दुर्घटना के चलते ड्यूटी के दौरान उन्हें अपना जीवन खोना पड़ा. में पूरी तरह से टूट चूका था. फिर में पीएससी परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया. और पहले ही अटेम्प्ट में UPSC क्लीयर कर लिया. अपनी सफलता के बारे में बताते हुए देशल दान कहते है कि,”मैंने अपने इंजीनियरिंग कोर्स के अंतिम वर्ष में तैयारी शुरू कर दी थी. CSE की तैयारी के दौरान यह एक कठिन लेकिन दिलचस्प और समृद्ध अनुभव था.”
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