आपने अक्सर महसूस किया होगा कि लोग दिव्यांगों को किस नज़रिये से देखते हैं। वे उनपर तरस खाते हैं, कई बार लोग उन्हें हीन भावना से भी देखते हैं लेकिन कोई उनकी मदद नहीं करता।
लोगों के दिमाग में एक ही बात रहती है कि ये लोग आजीवन किसी अन्य व्यक्ति पर आश्रित रहेंगे। लोगों की इसी सोंच को बदलने के लिए एक 35 वर्षीय महिला ने एक नेक काम की शुरुआत की है। इसके तहत वे दिव्यांग जनों के लिए स्टडी मटीरियल तैयार करती हैं जिससे उन्हें मदद मिल सके।
दिव्यांगों के लिए तैयार करती हैं नोट्स
बता दें, इस महिला का नाम रितु मानसी है। 35 वर्षीय रितु इनेबल इंडिया नाम के एनजीओ के साथ मिलकर दिव्यांग जनों के लिए नोट्स तैयार करती हैं।
बचपन से हैं नेत्रहीन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बचपन से नेत्रहीन होने के बावजूद रितु ने उन लोगों की मदद के लिए कदम आगे बढ़ाया है जिनके विषय में कोई नहीं सोंचता। इन लोगों के लिए स्टडी मटीरियल तैयार करने के लिए रितु सबसे पहले अंग्रेजी के नोट्स खुद पढ़ती हैं बाद में उनका हिंदी अनुवाद करती हैं। इसके बाद वे ब्रैल भाषा में इन नोट्स को कन्वर्ट करती हैं जिनसे इन दिव्यांगों को सहायता प्राप्त होती है।
इनेबल इंडिया की मदद से वे कन्नड़ में नम्मा वाणी और हिन्दी में हमारी वाणी पहल के ज़रिए दूर-दराज़ के इलाकों के छात्रों की मदद कर रही हैं।
हिंदी में उपलब्ध करवाती हैं कंटेंट
एक समाचार चैनल से बात करते हुए रितु ने बताया था कि वे तैयार किए गए स्टडी मटीरियल को हिंदी में भी उपलब्ध कराती हैं। क्योंकि ज्यादातर बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं, उन्हें अंग्रेजी में दिक्कत होती हैं। इसके अलावा वे इन नोट्स की ऑडियो फाइल भी तैयार करती हैं।
1000 से अधिक बच्चों की कर चुकी हैं मदद
उन्होंने अपने इस नेक कार्य के विषय में कहा था कि “मैं सालों से इस स्वयंसेवी संस्था के साथ जुड़ी हूं और उनके ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए हम ज़्यादा से ज़्यादा दिव्यांगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।”
गौरतलब है, अब तक रितु ने इनेबल इंडिया की मदद से 1000 से अधिक बच्चों को मदद पहुंचाई है और आगे भी यह सिलसिला जारी है।