जहां एक तरफ पूरी दुनिया स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के चलते परेशान है तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान की घाटियों में एक ऐसा समुदाय रहता है जिस तक बीमारियों की पहुंच बहुत ही दुर्गम है। हम बात कर रहे हैं उत्तरी पाकिस्तान की हुंजा वैली में रहने वाले हुंजा समुदाय की। इन लोगों की औसतन आयु 110 से 120 साल होती है, ये 70 की उम्र में भी जवान दिखते हैं। यहां की महिलाएं 65-80 वर्ष तक की उम्र में भी मां बनती हैं ।
अब आप सोंच रहे होंगे कि आखिर कोई व्यक्ति इतना कैसे जी सकता है। आपके इस प्रश्न का जीता जागता प्रमाण है हुंजा समुदाय। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इतनी लंबी उम्र के पीछे कारण इनका रहन-सहन और खान-पान होता है। दरअसल, ये लोग अपने रोजमर्रा के जीवन में पौष्टिक आहार का सेवन करते हैं। इसमें ये दूध, घी, फल-सब्ज़ी, मेवे आदि को नियमित रुप से अपनी डाइट में शामिल करते हैं। इसके अलावा ये लोग एक्सरसाइज़ पर विशेष फोकस करते हैं। खाने के बाद ये नियम से टहलने जाते हैं।
हुंजा समुदाय पर लिखी गई किताब ‘द हेल्दी हुंजाज़’
हुंजा समुदाय पर जे आई रोडाल द्वारा लिखी गई ‘द हेल्दी हुंजाज़’ नामक किताब में कहा गया है ये लोग दुनिया के सबसे लंबी उम्र, खुश रहने वाले और स्वस्थ मिजाज़ के होते हैं। इस समुदाय के लोगो को बुरुशो भी कहते है। इनकी भाषा बुरुशास्की है। इनका औसत जीवन काल 120 वर्ष माना जाता है
कैंसर की नहीं होती शिकायत
बता दें, इस समुदाय के लोगों को बुरुशो के नाम से भी जाना जाता है। इनकी बोली को बुरुशाष्की कहा जाता है। वहीं, इन लोगों के स्वाथ्य की बात करें तो इन्हें कभी भी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की शिकायत नहीं होती है। इसके पीछे इनका अच्छा खान-पान और वैज्ञानिक सलाहों के आधार पर जीवन-यापन करना है। इस समुदाय को दुनिया की कैंसर फ्री पापुलेशन में गिना जाता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, हुंजा प्रजाति के लोग खाने में ज्यादा से ज्यादा धूप में सुखाए अखरोट व एक विशेष प्रकार के मेवे का इस्तेमाल करते हैं। इसमें B-17 कंपाउंड पाया जाता है, जो एक तरह का लोगों के एंटी-कैंसर एजेंट है तथा कैंसर जैसे रोग को खत्म करता है।
87 हज़ार से अधिक की है आबादी
खबरों के अनुसार, हुंजा समुदाय के लोगों को अलेक्जेंडर द ग्रेट का वशंज माना जाता है। माना जाता है, सिंकदर ने चौथी सदी में इस घाटी में प्रवेश किया था। 87 हजार से अधिक की आबादी वाला यह समुदाय शिक्षा के क्षेत्र में काफी आगे हैं। पाकिस्तान की आम जनता के मुकाबले ये लोग काफी शिक्षित और सुलझे हुए होते हैं।
152 साल का आदमी देखकर हैरान हुए अधिकारी
मालूम हो, पुराने ज़माने में इस समुदाय के लोग दुनिया की चमक-धमक से बिल्कुल दूर रहते थे। यही वजह थी कि इन लोगों की पहचान खत्म हो गई थी। 1984 में हांगकांग में छपे एक लेख के मुताबिक, लंदन के हिथ्रो एयरपोर्ट पर अब्दुल मोबट नामक एक व्यक्ति पहुंचा था।
एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच के दौरान सभी ऑफिसर तब हैरान रह गए जब उन्होंने अब्दुल के पासपोर्ट पर उनके बर्थ ईयर की जगह पर सन 1832 लिखा हुआ देखा। इस दौरान किसी भी व्यक्ति को ये विश्वास नहीं हो रहा था कि सामने खड़े इस इंसान की उम्र 152 साल है और इस उम्र में यह एकदम सही सलामत उनके सामने खड़ा है।
65 की उम्र तक दे सकती है बच्चों को जन्म
हुंजा समुदाय की इन महिलाओं के बारे में बताया जाता है कि ये 65 साल की उम्र तक बच्चें पैदा कर सकती है। इस उम्र में भी वे जवान दिखती है । उन्हें देखकर उनकी उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। दुनियां की चकाचौंध से दूर रहने वाले इस समुदाय का जीवन यापन का तरीका भी अलग है। नश्ल में मिलावट न हो इसके लिए ये अपने ही समुदाय में विवाह करते है । ये लोग प्रकृति के करीब रहते है और प्राकृतिक वनस्पतियों का सेवन करते है। बताया जाता है कि सूखे मेवे और खुबानी खूब खाने की वजह से इन्हें केंसर जैसी बीमारी छू नही पाती ।
क्या है लंबी उम्र का राज
हुंजा लोगो के अच्छे स्वास्थ्य के पीछे उनका अच्छा खान पान और उनका जीवन जीने का तरीका है। ये काफी मात्रा में सूखे मेवे और फलों निर्भर रहते है। साल भर में 2 या 3 महीने तक इस समुदाय के लोग ठोस चीजे न खाकर सिर्फ फलों प्राप्त जूस पर निर्भर रहते है। सुबह जल्दी उठना इनकी दिनचर्या में शामिल है। आस पास की दूरी तय करने के लिए ये साइकिल या किसी वाहन का प्रयोग न करके पैदल चलते है जिससे इनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। अधिकतर इस इस समुदाय के लोग शाकाहारी होते है सिर्फ किसी ख़ास मौके पर ही मांसाहार का प्रयोग करते है।