Sunday, October 6, 2024

Hamdard Rooh Afza : एक ऐसा ब्रांड जिसने आजादी से लेकर तीन देशों का बंटवारा देखा

रूह अफज़ा एक ऐसा शर्बत है जो जिसे शर्बत के तौर पर ना बना कर दवा के तौर बनाया गया था. बात सन 1906 की है जब देश में भयंकर गर्मी पड़ रही थी. जिससे लोगों की हालत बिगड़ रही थी. ऐसे में यूनानी दवाओं के विशेषज्ञ हाकिम अब्दुल मजीद ने एक खास ड्रिंक लोगों के सामने पेश की.

इलाज के तौर पर बनाया गया था

उन्होंने इस बात का दावा किया कि  उनकी ये ड्रिंक गर्मियों और लू से राहत देने में कारगर है. जिसके बाद से तो रूह अफज़ा शर्बत के पंख लग गए. उस समय मजीद जी के पास इस शर्बत को लेने के लिए लाइन लग जाया करती थी. वो अपनी इस ड्रिंक को दिल्ली के लाल कुआ बाजार में बेचा करते थे.

पाकिस्तान में भी बनने लगा Hamdard Rooh Afza

जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था.तब इसका असर रूह अफज़ा पर भी पड़ा था. 1922 में अब्दुल मजीद के निधन के बाद उनके दोनों बेटों सैद और अब्दुल ने अपने पिता के इस बिजनेस को संभालना शुरू किया. लेकिन बंटवारे की वजह से ये दोनों भी एक दूसरे से अलग हो गए.जहां अब्दुल भारत में रूह अफजा को ऊंचाइयों पर ले गए. वही सैद बांग्लादेश के प्लांट को अपने कर्मचारियों के भरोसे छोड़कर पाकिस्तान आ गए. जहां उन्होंने फिर से रूह अफजा कंपनी को नए सिरे से शुरू किया.

Hamdard Rooh Afza

हमदर्द कंपनी दवा निर्माता से एक रिफ्रेशमेंट कंपनी बन गयी. जिसके बाद इसका कद और बढ़ा और बाद में कंपनी ‘वक्फ’ नाम राष्ट्रीय संगठन बन गया. फिलहाल रूह अफजा को Hamdard (Waqf) Laboratories नाम से भी जाना जाने लगा है।

रूह अफजा ने अच्छे दौर के साथ बुरा वक्त देखा है और लगभग हर विदेशी पेय प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी से कंपटीशन भी किया है. लेकिन फिर भी इसकी जगह आजतक कोई दूसरा पेय पदार्थ नहीं ले सका. वही रूह अफजा आज के समय में गर्मियों ने दिन मेहमानों की खातिरदारी रूह अफजा से की जाती है।

जड़ी बूटी और फलों के रस से बनता है रूह अफजा

रूह अफजा को बनाने के लिए फलों के रस और जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए जड़ी-बूटी, सब्जियों का रस और पौधों की जड़े काम आती है. साथ ही साथ  खुर्फ़ा के बीज (purslane), पुदीना, अंगूर, गाजर, तरबूज, संतरे, खसखस, धनिया, पालक, कमल, दो प्रकार के लिली, केवड़ा जैसे प्रकृतिक तत्व और जामदनी गुलाब मिलकर रूह अफजा को लाल और गुलाबी रंग प्रदान करते है।

Hamdard Rooh Afza

114 साल पुराना है रूह अफजा

1907 में दवा के तौर पर बनाया गया रूह अफजा आज 114 साल पुराना ब्रांड बन चुका है. जो कि अपने आप में एक बड़ी बात है. महज के छोटी सी दुकान में दवा के रूप में बेच जाने वाला रूह अफजा आज करोड़ो की कंपनी बन चुकी है. जो अपने बेमिसाल स्वाद से लोगों के गले को लगातार तर कर रहा है।

आम तौर पर लोग रूह अफजा को दूध या सिर्फ पानी में मिलाकर इस सिरप को इस्तेमाल किया करते है. इसके सेवन मात्र से तेज धूप में भी इंसान राहत का अनुभव कर पाता है

ड्रिंक की बोतल में पैक किया जाता था रूह अफजा

अपने शरुआती दौर में रूह अफजा श$राब की खाली बोतलों में पैक किया जाता था. इसके बाद बॉम्बे के एक कलाकार नूर अहमद ने रूह अफजा का लेबल तैयार किया था. जिसे मुम्बई के ही बोल्टन प्रेस में प्रिंट करवाया गया था. धीरे धीरे इसकी पैकेजिंग में लगातार बदलाव होते रहे और रूह अफज कांच की बोतल से लेकर आज प्लास्टिक की बोतल और अब छोटे शेशे में भी उपलब्ध है।

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