Friday, November 1, 2024

खैनी बेचकर गुज़ारा करने वाले पिता का बेटा बना IAS, संघर्षों से बीता बचपन

यूं तो हर साल लाखों परीक्षार्थी विश्व की सबसे कठिन परीक्षा यानी कि यूपीएससी में बैठते हैं। इनमें से सिर्फ 1000 ही होते हैं जिन्हें मौका मिलता है।

इन्हीं में से एक हैं निरंजन कुमार। इन्होंने एक नहीं बल्कि दो बार यूपीएससी की परीक्षा पास की और बन गए आईएएस ऑफिसर।

अब आप सोंच रहे होंगे कि यहां लोग दिन-रात मेहनत के बावजूद एसएससी नहीं निकाल पाते और इन्होंने यूपीएससी दो बार कैसे निकाल लिया। इसका जवाब है लगन। जब आपको किसी चीज़ की चाहत हो जाती है तो आपकी तैयारी खुद ब खुद अच्छी होने लगती है।

स्कॉलर्स के मुताबिक, किसी भी परीक्षा को पास करने के लिए व्यक्ति का आत्मविश्वास सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। यही डिसाइड करता है कि वह परीक्षा में टॉप करेगा या फेल होगा।

ऐसा ही आत्मविश्वास निरंजन कुमार में था, इसलिए इन्होंने एक नहीं बल्कि दो बार यूपीएससी का एग्जाम क्रैक किया।

खैनी बेचकर करते थे गुज़ारा

बता दें, बिहार के नवादा में जन्म लेने वाले निरंजन कुमार का बचपन संघर्षों से बीता। घर की गरीबी ने उन्हें समय से पहले ही बड़ा बना दिया। यही कारण था कि निरंजन के पिता अरविंद कुमार जब किसी काम से बाहर जाते थे तब निरंजन अपने पिता की छोटी सी दुकान पर बैठकर खैनी बेचा करते थे।

अच्छे स्कूल में पढ़ना चाहते थे निरंजन

जानकारी के अनुसार, इस व्यापार से उन्हें महीने की 4000-5000 की आमदनी होती थी जिससे बड़ी मुश्किल से घर चल पाता था। यही कारण था कि बचपन से पढ़ाई में होशियार निरंजन को स्कूल में एडमिशन के लिए भी दस बार सोंचना पड़ता था।

शुरुआती पढ़ाई पास के ही प्राथमिक विद्यालय से पूरी करने के बाद निरंजन दसवीं की परीक्षा किसी अच्छे विद्यालय से देना चाहते थे लेकिन उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि उन्हें अच्छे विद्यालय में दाखिला दिलाया जा सके।

10वीं में अच्छे अंकों से हुए पास

साल 2004 में निरंजन को कहीं से खबर प्राप्त हुई कि यदि वे जवाहर नवोदय विद्यालय की लिखित परीक्षा पास कर लेते हैं तो उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप और इस स्कूल में एडमिशन दोनों दिए जाएंगे। बस फिर क्या था निरंजन ने दिन-रात एक करके मेहनत की और परीक्षा पास कर ली। इसके बाद उनका दाखिला नवादा स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में हो गया।

माना जाता है कि यहीं से निरंजन ने सपनों की उड़ान भरना शुरु किया। इस विद्यालय से पढ़कर उन्होंने 10वीं में अच्छे अंक प्राप्त किये। इसके बाद साल 2006 में उन्होंने पटना के साइंस कॉलेज में दाखिला ले लिया। यहां पर भी उन्होंने अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होकर अपने माता-पिता का नाम रौशन किया।

बैंक से लिया लोन

इसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा के लिए बैंक से एजुकेशन लोन लिया और IIT-ISM धनबाद से माइनिंग इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।

साल 2011 में निरंजन असिस्टेंट मैनेजर के पद पर धनबाद के कोल इंडिया लिमिटेड में कार्यरत हुए। यहां पर काम करके उन्होंने अपनी तनख्वाह से एजुकेशन लोन चुकाया।

यूपीएससी की करी तैयारी, बने आईएएस

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस उपलब्धि के बावजूद उनका मन संतुष्ट नहीं था। इसलिए उन्होंने फैसला लिया कि वे यूपीएससी की तैयारी करेंगे। उन्होंने दो सालों की कड़ी मेहनत के बाद 2017 में यूपीएससी का एग्जाम दिया। इस परीक्षा में उन्हें 728वीं ऑल इंडिया रैंक प्राप्त हुई। हालांकि, उन्हें आईएएस का पद नहीं मिला। लेकिन उन्हें खुद पर विश्वास था कि वे अच्छा कर सकते हैं इसलिए उन्होंने एक बार फिर यूपीएससी की परीक्षा देने का फैसला किया। साल 2019 में उन्होंने एज्गाम दिया और 2020 में 535वीं ऑल इंडिया रैंक लाकर आईएएस ऑफिसर बने।

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