राजस्थान के छोटे से शहर भरतपुर की रहने वाली दीपेश कुमारी ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है। यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में उन्होंने 93वां स्थान हासिल करके पूरे शहर वालों को खुशी मनाने का मौका दिया है। यूपीएससी की डगर तो वैसे ही कठिन होती है ऊपर से गरीब परिवार से होने के बावजूद दीपेश किस्मत से लड़ती गयी और कठोर परिश्रम से अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया।
25 सालों से ठेला लगा रहे हैं पिता गोविंद, घर में है सिर्फ एक कमरा और एक रसोई
दीपेश कुमारी के पिता शहर में 25 सालों से ठेला चला रहे हैं। जब बेटी का परीक्षाफल आया तब वे अपने काम पर ही थे। और अगले दिन भी ठेले पर नमकीन लेकर बेचने निकल पड़े। शहर के अन्य लोगों ने उन्हें बधाई दी तब गोविंद जी बड़े ही शांत भाव से कहते हैं कि वे बेटी की सफलता से गदगद हैं। इंसान के जीवन में सुख-दुख चलते रहता है और उसे मेहनत से मुँह नही मोड़ना चाहिए।
दीपेश कुमारी के परिवार में कुल सात सदस्य हैं लेकिन रहने के लिए जगह बेहद कम। घर में सिर्फ एक कमरा और एक रसोई है। उसी घर में बचपन से पढ़ते हुए दीपेश इस मुकाम तक पहुंची हैं। उनके पिता गोविंद ने अपने बच्चों को पढ़ाने में कभी कोई कमी नही की। वे हमेशा से बच्चों को पढ़ा लिखाकर काबिल बनाना चाहते थे। दीपा अपने पाँच भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनकी इस सफलता से उनके छोटे भाई-बहन भी प्रेरित होकर अपने पथ की ओर अग्रसर होंगे। दीपेश की मां का उनके सफलता के पीछे बहुत अहम योगदान रहा है।
यूपीएससी की तैयारी के लिए गई दिल्ली
दीपेश कुमारी के पिता का आवक बेहद कम होने के बावजूद उन्होंने बेटी के सपनों के साथ समझौता नही किया और उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली भेज दिया। दीपेश ने दसवीं की पढ़ाई भरतपुर के ही शिशु आदर्श विद्या मंदिर से की है। उन्होंने दसवीं में 98 प्रतिशत और बारहवीं में 89 प्रतिशत से उत्तीर्ण होकर साबित कर दिया था कि वे पढ़ाई के लिए ही बनी हैं। उन्होंने अपने दूसरे अटेम्प्ट में भारत की सबसे बड़ी परीक्षा में रैंक हासिल किया।