अक्सर आपने भारत के राष्ट्रपति को Republic Day और independence day पर शानदार बग्गी में सवार देखा होगा. लेकिन क्या आपको पता है प्योर सोने से बनी इस बग्गी का इतिहास जो अंग्रेजो के जमाने से भारत में इस्तेमाल की जा रही है. आजादी के बाद इस बग्गी को भारत ने टॉस में पाकिस्तान से जीता था. आइये जानते है विस्तार से जानते है इस बग्गी के इतिहास को …….
पाकिस्तान से टॉस में जीती थी भारत ने बग्गी
आज के समय में भारत के राष्ट्रपति जिस शानदार बग्गी का इस्तेमाल करते है. उसका इतिहास बड़ा दिलचस्प है. बता दें इस बग्गी को आजादी से पहले भारत के वायसराय या गवर्नर जनरल इस्तेमाल किया करते थे.
जब भारत को अंग्रेजो की गुलामी से आजादी मिली उस समय इस बग्गी को लेकर भारत और पाकिस्तान का काफी विवाद हुआ. क्योंकि दोनों ही देश इस इतिहासिक बग्गी पर अपना हक जमा रहे थे. बाद में वायसराय के अंगरक्षक टुकड़ी के डिप्टी और कमांडेट के बीच सिक्का उछाल कर इस बग्गी की दावेदारी का निर्णय किया गया.
टॉस का रिजल्ट भारत के पक्ष में आया और पकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा था. इस बग्गी का इस्तेमाल 1984 तक लगातार होता रहा. लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद इस बग्गी के इस्तेमाल को रोक दिया गया था.
इस बग्गी में लगे होते है बेहद खास घोड़े
भारत के आजाद होने के बाद इस बग्गी का इस्तेमाल सबसे पहले 1950 में हुए पहले गणतंत्र दिवस समारोह किया गया था. उस समय भारत के प्रथम प्रधानमंत्री डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद इस शानदार बग्गी पर सवार होकर आये थे.
आपको जानकर हैरानी होगी की इस बग्गी का इस्तेमाल भारत के आजाद होने के 35 साल पहले से किया जा रहा है. उस समय इस बग्गी को 6 ऑस्ट्रेलियाई घोड़े खिंचा करते थे. इस बग्गी में बेहद खास किस्म के घोड़ो का इस्तेमाल किया जाता है. जो भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई मिक्स ब्रीड के होते है.
क्योंकि भारतीय नस्ल के घोड़ो की ऊंचाई ज्यादा होती है, जो इस बग्गी के हिसाब से फिट बैठते है और इस बग्गी की शानो शौकत में चार चाँद लगाने का काम करते है. बता दें इस बग्गी में इतना ज्यादा सोना लगा हुआ है, जिसकी कीमत का आँकड़ा आप इसी बात से लगा सकते है की इस बग्गी में लगे सोने के बदले करोड़ो रुपयों की कई सुपर कार खरीदी जा सकती है.