भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान और चमकते सितारे सुनील छेत्री (Footballer Sunil Chhetri) के ऊपर कई लड़कियां मरती हैं। सुनील छेत्री की कप्तानी में भारतीय फुटबाल टीम ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन आज हम सुनील छेत्री के व्यावसायिक जीवन से जुड़ी बातें करेंगे साथ ही उनके निजी जीवन से जुड़ी बातें भी करने वाले हैं। उनकी लव स्टोरी किसी फिल्म के कथानक से कम नही है। उनके जीवन के साथ ही प्यार के पल भी बेहद रोमांचित कर देने वाले हैं।
माता-पिता दोनों को ही था फुटबॉल से लगाव
37 वर्षीय सुनील छेत्री का जन्म आंध्रप्रदेश के सिकंदराबाद में हुआ था। अब यह क्षेत्र तेलंगाना राज्य का हिस्सा बन चुका है। वे कप्तान के रूप में फारवर्ड खेलना पसंद करते हैं। इंडियन सुपर लीग में वे बेंगलुरु की तरफ से खेलते हुए कप्तानी करते हैं। सुनील छेत्री के पिता के. बी. छेत्री भारतीय सेना के इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स कोर में एक अधिकारी थे। उनकी माता का नाम सुशीला छेत्री है। उनके पिता भारतीय सेना की टीम के लिए फुटबॉल खेलते थे जबकि उनकी मां और उनकी जुड़वां बहनें नेपाल महिला राष्ट्रीय टीम के लिए खेलती थीं। छेत्री ने छोटी उम्र से ही विभिन्न टूर्नामेंटों में हिस्सा लेकर फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था।
विश्व के महानतम खिलाड़ियों में शुमार हैं सुनील छेत्री
एक दौर में जब भारत मे सिर्फ क्रिकेट का दौर था और विदेशी कहते थे कि भारत फुटबॉल में कभी आगे नही आ सकता। वहीं, छेत्री ने लोगों के कथन को गलत साबित किया और विश्व के महानतम खिलाड़ियों में अपना नाम शामिल किया। वे क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेस्सी के बाद वर्तमान में सक्रिय खिलाड़ियों में तीसरे सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय गोल करने वाले खिलाड़ी बन चुके हैं। उनके नाम 84 गोल शामिल हैं। छेत्री ने 2002 में मोहन बागान में अपने करियर की शुरुआत की। वहां से वे जेसीटी (Jagatjit Cotton and textile Football Club) में चले गए जहां उन्होंने 48 खेलों में 21 गोल किए।
जब सोनम 15 की थी तब किया था प्रपोज
ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए साक्षात्कार में सुनील छेत्री ने अपने लव लाइफ से जुड़ी कई रोचक बातें साझा की। जब सुनील 18 वर्ष के थे तब उन्होंने सोनम छेत्री को पहली दफा देखा था। सोनम उस वक़्त 15 वर्ष की थी। सुनील को सोनम के अंदर कुछ दिखा। वे अपना दिल 15 साल की लड़की को दे बैठे थे, जो उन दिनों स्कूल में पढ़ रही थी। सोनम को भी लगता था कि सुनील के मन में उनको लेकर कुछ तो है। खेल की प्रैक्टिस के साथ ही सुनील और सोनम की मीठी बातें भी होने लगी थी। कुछ दिनों में प्यार का इज़हार भी हुआ। सुनील ने सोनम को समझा रखा था कि वे पढ़ाई में अपना ध्यान लगा कर रखें।
कोच की बेटी से कर बैठे थे मोहब्बत
एक दिन सुनील अपने कोच सुब्रत भट्टाचार्य के साथ थे। सुब्रत किसी काम से उठकर गए और सुनील ने देखा कि उनके फोन पर उनकी बेटी का कॉल आ रहा है। स्क्रीन पर छपे नम्बर देखकर सुनील को आभास हुआ कि उन्होंने इस नम्बर को कहीं देखा हुआ है। सुनील ने दिमाग पर ज़ोर डाला तो याद आया कि ये तो सोनम का नम्बर है। बाद में उन्होंने सोनम को कॉल करके इस बारे में पूछा तो जो उन्होंने सुना, उससे वे बेहद डर गए। सोनम के पिता ही सुनील के कोच थे।
कोच के डर से अपनी प्रेमिका से बना ली थी दूरी
सुनील अपने कोच सुब्रत की बहुत इज़्ज़त भी करते थे और उन्हें अपने करियर का डर भी था। अगर कोच को पता चलता कि उनका शिष्य ही उनकी स्कूल में पढ़ रही बच्ची का प्रेमी है तब वे ज़रूर कुछ ऐसा करते जिससे सुनील को हानि होता। सुनील डर गए और उन्होंने सोनम से उचित दूरी बनाते हुए बातचीत भी बंद कर दिया। लेकिन कुछ समय बाद दोनों के बीच वापिस बातचीत शुरू हुई। उस किस्से के 13 वर्ष पश्चात जब सुनील बेहद कामयाब हो चुके थे तब वे सुब्रत के पास पहुंचे और विवाह के लिए उनकी बेटी का हाथ मांगा। 2017 में दोनों की शादी हुई और दोनों अपने नए जीवन मे बेहद खुश हैं।
इन दोनों की कहानी बेहद फिल्मी सी है। लगभग 13 साल तक बचपन के प्यार को कायम रखना आज कल के निब्बा-निब्बियों के बस की बात नही है। यह सच्चा प्रेम ही था जो हर सुख-दुख में एक – दूजे के साथ रहा। सुनील ने कहा कि जब वे कुछ नही बने थे तब भी सोनम उनके साथ थी। उनकी पहली हार और पहली जीत में भी उनके साथ थी। सुनील अपनी प्रेमिका सोनम के बिना जीवन की कल्पना भी नही कर सकते।