रूस की क्रांति के जनक कहे जाने वाले रूस के कम्युनिस्ट नेता व्लादीमिर लेनिन के शव को पिछले 97 साल से रूस में सुरक्षित रखा गया है. सन 1924 में उनकी मौत के बाद से अभी तक उनके शव को दफनाया नहीं गया है. लेकिन इसके पीछे ऐसी कौन सी वजह है. जो अब तक उनके शव को दफनाया नहीं जा रहा है, बल्कि रूस उनके शव को सुरक्षित रखने के लिए २ लाख डॉलर खर्च कर रहा है. आइये जानते है, इस खास लेख में…..
लेनिन के शव पर रूस कर रहा २ लाख डॉलर खर्च
रुसी गवर्मेंट रूस के कम्युनिस्ट नेता व्लादीमिर लेनिन जिनकी मौत 1924 में हो गयी थी. उनके शव के संरक्षण पर 2 लाख डॉलर खर्च करने जा रही हो. रिपोर्ट्स के मुताबिक लेनिन के शव पर इतना पैसा इसलिए खर्च किया जा रहा है, ताकि उनके शव को लम्बे समय तक ‘जीवित समान स्थिति’ में रखा जा सके. .
इसके लिए रूस गवर्मेंट एक एजेंसी की तलाश में थी. जो अब उन्हें मिल गयी है और जल्द ही एजेंसी उनके शव को सरंक्षित रखने का काम स्टार्ट कर देगी. लेनिन की लाश को रूसी बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर तब से सुरक्षित रखे हुए है. जब पहली बार उनके शव को जनता दर्शन के लिए रखा गया था.
62 फ़ीसदी लोग लेनिन को सम्मान के साथ दफ़नाने के हक़ में हैं
हाल ही में ऑनलाइन पोल का आयोजन किया गया था. जिसमें रूस के लोगों से लेनिन के शव को दफनाने या न दफनाये जाने पर उनकी राय मांगी गयी थी. जिसपर 62% लोग उनके शव को दफनाये जाने के पक्ष में थे. लेकिन लोगों के इस फैसले को क्रेमलिन ने पहले ही खारिज कर दिया था.
हालांकि सोवियत संघ के टूटने के बाद से लेनिन के शव को दफनाये जाने की मांग कई बार जोर शोर से उठ चुकी है. लेकिन रुसी गवर्मेंट उनके शव को दफनाने के पक्ष में नहीं दिख रही.
लोग उनके शव को दफनाने के पीछे अपनी अपनी राय दे रहे है. जिसमें ज्यादातर बात यही कही जा रही है कि उनके शव के रख रखाव में बहुत ज्यादा पैसा खर्च किया जा रहा है.
अब सोशल मीडिया पर लेनिन के शव को लेकर विरोध शुरू हो गया है, जिसमें एक व्यक्ति ने ‘अगर लेनिन को दफ़नाने का ख़्याल कर रहे हैं तो पहले सोवियत दौर के बाद के नेता बोरिस येल्तसिन की क़ब्र खोदनी होगी. वही दुसरे शक्स का कहना था कि ‘कम्युनिस्टों को उम्मीद है कि एक दिन बोल्शेविक नेता का क्लोन तैयार करके वो सत्ता में वापस आ सकते हैं.’
कौन थे लेनिन
रूस के मार्क्सवादी विचारक व्लादिमीर लेनिन का जन्म 22 अप्रैल 1870 में हुआ। लेनिन और उनके विचारों ने विश्व की राजनीति को एक नया रंग दिया। ये उनके विचार और सोच ही थी जिन्होंने रूस को आज के दौर की महाशक्ति बना दिया । न सिर्फ़ रूस बल्कि विश्व के हर हिस्से में उनके विचारों को मानने वालो की संख्या है ।
पिता की मृत्यु के पश्चात लेनिन घर की जिम्मेदारी संभाल ही रहे थे कि एक साल बाद ही 1887 में उनके भाई को जार की हत्या के षड्यंत्र के आरोप लगाकर फांसी दे दी गयी । इसके बाद उनका झुकाव क्रांतिकारी विचारधारा की तरफ हो गया। वे लगातार जार शासन के खिलाफ आवाज उठाने लगे।
मार्क्सवादी विचारधारा के साथ काम करते हुए 1897 में उनपर देशद्रोह का आरोप लगा और वे 3 सालों के लिए निर्वासित कर दिये गए।
1905 में रूस में हुई असफल क्रांति के दौरान उन्होंने जार शासन के खिलाफ विद्रोह किया साथ ही यूरोप में पूंजीवाद को उखाड़ फेकने के लिए क्रांति का सूत्रपात किया
जार शासन का अंत
1917 में लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक क्रांति हुई जिसमें जार शासन को उखाड़ फेंका गया और अंतरिम सरकार की स्थापना हुई । जार शासन के अंत होने पर लेनिन रूस वापिस आये और देश की कमान संभाली ।
21 जनवरी 1924 को लंबी बीमारी के बाद दिल का दौरा पड़ने से लेनिन की मृत्यु हो गयी । लेनिन के विचारों को लेनिनवाद कहा जाता है आज दुनियां भर में उनके विचारों को मानने वाले लोग है।