नाना पाटेकर के सबसे हिट मोनोलॉग की बात होती है तो क्रांतिवीर (1994) फ़िल्म के क्लाइमेक्स का संवाद लोगो को याद आता है। उस संवाद की शुरुआत होती है, “आ गए मेरी मौत का तमाशा देखने” से। यह डायलॉग इतना पॉपुलर हुआ कि आज तक कई एक्टर्स इसे इनएक्ट करने की कोशिश करते हैं।
इस लंबे संवाद को एक टेक में डिलीवर करने के पीछे एक किस्सा है। यह किस्सा हमे बताता है कि व्यक्ति को किसी भी हाल में अपने काम को पूरा करना पड़ता है। खास तौर में बात फ़िल्म इंडस्ट्री की हो, तब आपके ऊपर लाखों रुपये लगे हुए है। यहां लोगों को तपते बुखार के बीच फ़िल्म की शूटिंग करनी पड़ती है ताकि निर्माता को नुकसान न उठाना पड़े।
फ़िल्म का यह संवाद लिखा ही नही गया था
नाना बताते हैं क्रांतिवीर फ़िल्म के क्लाइमेक्स का संवाद लिखा हुआ नही था। जिस दिन यह शूट होना था उस दिन नाना की तबीयत खराब हो गई थी। वे अस्पताल में भर्ती थी। फ़िल्म के निर्देशक मेहुल उनके पास गए और बताया कि क्लाइमेक्स के शूट के लिए लगभग 1000 से 3000 लोगों की भीड़ इकट्ठा कर ली है।
अगर उस दिन शूट न करते तो बहुत पैसों का नुकसान हो जाता। नाना ने निर्णय लिया कि वे अपने मन से और निर्देशक के दिये सलाह पर डायलॉग डिलीवरी और शूट के लिए तैयार हैं।
संवादों के माध्यम से मन की भड़ास निकालते थे नाना
लोकेशन पर पहुँचकर नाना ने मेहुल को कहा कि पांच कैमरे लगा के रख और कम से कम 2 हमेशा चालू रखना। क्योंकि नाना को भी नही पता था कि वे क्या बोलने वाले हैं। नाना पाटेकर उन दिनों सामाजिक सोद्देश्यता पर आधारित फिल्में करते थे। उस हर फ़िल्म में नाना किसी न किसी सामाजिक बुराई के बारे में बात करते थे।
नाना एक प्रकार से अपने संवादों के माध्यम से मन की भड़ास निकालते थे। क्रांतिवीर के इस सीन के लिए भी उन्होंने वही किया। क्लाइमेक्स का यह संवाद नाना ने कुछ ही घंटों में पूरा कर दिया। कौन जानता था कि इतनी मुश्किल घड़ी में बिना लिखे इस डायलॉग को लोग इतने सालों के बाद भी याद करेंगे।
क्रांतिवीर में उनके अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरुस्कार से भी नवाजा गया
तिरंगा की शूटिंग के दौरान मेहुल कुमार ने मन बना लिया था कि वे नाना को लीड में लेकर एक फ़िल्म ज़रूर बनाएंगे। नाना पाटेकर वैसे तो परेश रावल से उम्र में बड़े हैं लेकिन फ़िल्म में परेश रावल उनसे उम्र में बहुत बड़े दिखाए गए हैं।
फ़िल्म में कलम वाली बाई के रोल के लिए पहले श्रीदेवी को अप्रोच किया गया था वहीं ममता कुलकर्णी वाले रोल के लिए पहले काजोल से संपर्क किया गया था। ममता कुलकर्णी ने मेहुल कुमार के ऊपर भरोसा दिखाते हुए फ़िल्म की कहानी सुने बगैर ही हाँ कह दिया था। नाना के अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया था।