महिलाओं पर अत्याचार तो प्राचीन काल से होता आ रहा है. ऐसी ही कुप्रथाओं में से एक कुप्रथा केरल राज्य में आज से डेढ़ सौ साल पहले हुआ करती थी. जिसमें महिलाओं पर ब्रेस्ट टैक्स के एवज में उन्हें जबरदस्ती उनके शरीर के ऊपरी हिस्सों को न ढकने पर मजबूर किया जाता था. उस समय नांगेली नाम की महिला ने अपनी कुर्बानी देकर इस प्रथा का अंत किया था. आइये जानते है नागेंली के बलिदान की पूरी कहानी- Nangeli Story in hindi
कुछ जाति की औरतों को नहीं थी शरीर का ऊपरी हिस्सा ढकने की अनुमति
ये प्रथा आज से डेढ़ सौ साल पहले केरल राज्य में चलती थी. उस समय तत्कालीन राजा त्रावणकोर के आदेशनुसार कुछ जाति जोकि दलित और पिछड़ी थी , की महिलाओं को अपने स्त^न ढकने की अनुमति नहीं थी. अगर कोई महिला ऐसा करती थी तो उस पर ब्रे^स्ट टैक्स लगा दिया जाता था. जो इतना ज्यादा हुआ करता था कि उन जाति की महिलाओं ने कपड़े न पहनना ही स्वीकार कर लिया था. इसे मूला करम नाम से जाना जाता था.
जातिवाद सोच की वजह से नहीं थी अनुमति
दरअसल उस समय कथित उच्च जाति के पुरुष अपनी जातिवाद सोच की वजह से उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करते थे. क्योंकि उनका मानना था कि कपडे पहनना केवल उच्च वर्ग के लोगों का ही अधिकार है. ऐसे में कोई निम्न वर्ग की महिला उनके सामने अपने शरीर ढकें तो ये बात नायर समाज के लिए अपमान की बात थी. हालाँकि उच्च वर्ग की महिलाओं को भी मंदिर में जाकर अपने ऊपरी कपड़े हटाने पड़ते थे.
इस तरह राजा और उसके मंत्रियों ने इन जाति की महिलाओं का जीना हराम कर दिया था. आपको बता दें कि इन वर्ग की महिलाओं के साथ ऐसा सलूक इसलिए किया जाता था ताकि देखने भर से उनकी जाति का पता लगाया जा सकें. इस कुप्रथा को बनाये रखने के लिए राजा ने मूला करम टैक्स लागू कर दिया था. जिसके चलते महिलाओं को अपमानित होना पड़ता था
नांगेली ने की थी अंग ढकने की शुरुआत
राजा के इस दुर्व्यहार का कोई भी विरोध नहीं कर पा रहा था. लेकिन एडवा समुदाय की एक महिला नांगेली इस प्रथा का बहिष्कार करना चाहती थी. जो एक विवाहित महिला थी । नांगेली ने फैसला किया कि वो इस कुप्रथा को नहीं मानेगी । इसलिए उन्होंने शरीर के ऊपरी हिस्से को ढकना शुरू कर दिया । जिससे बाकि महिलाएं बहुत डर गई थी । उन्होंने Nagenli को समझाया की तुम्हें इस जुर्म की बहुत महंगी कीमत चुकानी पड़ेगी और ऐसा हुआ भी. क्योंकि ऐसा करने से नांगेली को अपनी जान गंवानी पड़ी थी ।
इस तरह बंद करायी ये कुप्रथा
इस बात की खबर जब राजा के सिपाहियों को लगी तो उन्होंने नांगेली को ऐसा न करने को कहा और साथ में उनसे मूला करम टैक्स भी मांगा. हालाँकि नांगेली ने बिना डरे इस बार का विरोध किया तो सिपाहियों ने जबरदस्ती उनके कपड़ो को उतार दिया.
नांगेली इस अपमान को सहन न कर सकी और उन्होंने हासिये से अपने शरीर के उस हिस्से को का^ट दिया और उसे केले के पत्ते पर रख कर सिपाहियों के हाथ में थमा दिया। ऐसा करने से नांगेली का काफी ज्यादा खून बह गया था. जिसके चलते उनकी मौत हो गयी. उनके पति को इस बात का गहरा सदमा लगा कि उन्होंने ने नांगेली की चिता में कूद कर प्राण त्याग दिए.
नांगेली का ये बलिदान जाया नहीं गया. उनकी मौत के बाद समाज के उस वर्ग में इस प्रथा को खत्म करने के लिए आंदोलन छिड गया । जो धीरे धीरे बहुत बड़ा हो गया. फलस्वरूप केरल के राजा ने इस प्रथा पर रोक लगा दी. हालाँकि फिर भी इस कुप्रथा को कुछ उच्च वर्ग के लोग निम्न वर्ग पर लादे रहे । लेकिन 1859 में जब भारत में ब्रिटिश शासन लागू हुआ । तब इस कुप्रथा को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया।
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