कहते है जब कुछ कर गुजरने की बात मन में आ जाती है तो कोई भी इंसान छोटी सी शुरुआत से बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है. क्योंकि किसी भी मुकाम को हासिल करने के लिए आत्म विश्वास होना बहुत जरुरी होता है और ऐसे ही लोग कुछ कर गुजरते है. वही इस तरह का काम कोई महिला करें तो ये हमारे समाज के लिए प्रेरणा का श्रोत बना जाती है.
महाराष्ट्र के नागपुर में रहने वाली पल्लवी मोहाडीकर उन लोगों को करारा जबाब दिया है, जो आज भी महिलाओं को सिर्फ हाउस वाइफ की समझते हैं या महिलाओं को घर की चारदीवारी में ही रहना चाहिए. साधारण परिवार में जन्म लेने वाली पल्लवी आज न सिर्फ सालाना 60 करोड़ रुपए का टर्नओवर करती है, बल्कि इस देश में 1800 से ज्यादा बुनकरों के लिए रोजगार पैदा कर दिया.
बता दें पल्लवी का जन्म बेहद साधरण परिवार में हुआ था. जहाँ उनके घर की स्थिति भी कुछ खास नहीं थी. लेकिन इनके पिता ने खराब स्थिति के बावजूद भी अपनी बेटी के लिए कोम्प्रोमाइज नहीं किया. क्योंकि वो चाहते थे कि उनकी बेटी पल्लवी बड़ी होकर एक काबिल इंसान बने और समाज के लिए इंस्पिरेशन बन जाए.
अपने पिता के इस सपने को बेटी ने अपनी जिम्मेदारी मानकर दिन रात एक करना शुरू कर दिया और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वो लखनऊ आईआईएम में चली और वहां से एमबीए करने के बाद एक अच्छी लेवल की नौकरी को हासिल कर लिया.
सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन कही न कही पल्लवी जिस वर्ग से आती थी उनके लिए कुछ कर गुजरने की चाह उन्हें परेशान कर रही थी. क्योंकि पल्लवी ऐसे वर्ग से आती है, जहाँ के कोसा सिल्क से हैंडीक्राफ्ट साड़ियां बनाई जाती है. इसी बीच उन्होंने इन साड़ियों को बनाने वाले बुनकरों की समस्या पर ध्यान देते हुए अपनी नौकरी छोड़ उनके लिए कुछ करने का मन बना लिया और साल 2017 में नौकरी को हमेशा के लिए अलविदा कहकर नये स्टार्टअप की नींव डाल दी. जिसमें उनके पति ने उनका पूरा सहयोग किया.
सबसे पहले उन्होंने अपने साथ बुनकरों को जोड़ने का प्लान बनाया. जिसमें उन्होंने बेहद कम समय में 1800 बुनकरों को अपने साथ जोड़ लिया. उनके द्वारा बनाये गए प्रोडक्ट्स की उन्होंने बड़ी होशियारी से मार्केटिंग कर देश भर में अपने माल को सप्लाई शुरू कर दिया. रिपोर्ट्स के अनुसार आज के समय में वो सालाना 60 करोड़ का टर्नओवर कर रही है.