“ख़ुद से चलकर नहीं ये तर्ज़-ए-सुखन आया है
पाँव दाबे हैं बुज़र्गों के तो फ़न आया है”
मुनव्वर राणा साहब का ये शेर कवि कुमार विश्वास ने तब सुनाया जब पंकज त्रिपाठी ने अपने गुरु मनोज बाजपेयी से जुड़ा एक किस्सा सबके सामने साझा किया और भावुक हो उठे। पंकज त्रिपाठी और मनोज बाजपेयी दोनों ही बिहार से आते हैं और जबरदस्त कलाकार हैं। दोनों के अभिनय में एक अलग ही छाप दिखती है।
मनोज बाजपेयी से प्रेरित हुए थे पंकज त्रिपाठी
बात उन दिनों की है जब पंकज त्रिपाठी स्टेज प्ले करने के साथ ही एक बड़े होटेल में किचन सुपरवाइजर का काम करते थे। एक अभिनेता के लिए संघर्ष सबसे बड़ी शिक्षा होती है। स्वयं को घिसना पड़ता है, तब कहीं जाकर व्यक्ति कुछ बनने के लायक होता है। पंकज जी जब से एक्टर बनने का सोचे थे, तभी से मनोज बाजपेयी को बहुत मानते थे। वे उन्हें बड़े भैया कहकर की संबोधित करते हैं। पंकज जी को लगता था कि जब बिहार से मनोज बाजपेयी जैसा आदमी मुम्बई जाकर अभिनय कर सकता है तब तो वे भी कुछ न कुछ कर ही सकते हैं।
जिस होटल में मनोज ठहरे थे वहां के किचन सुपरवाइजर थे पंकज
जिस होटल में पंकज काम करते थे वहीं मनोज बाजपाई कुछ दिनों के लिए ठहरे थे। होटल के सभी स्टाफ को लगभग पता था कि पंकज त्रिपाठी अभिनय करते हैं और मनोज बाजपेयी को बहुत मानते हैं। किसी ने पंकज को जाकर खबर दी कि उनके गुरु मनोज जी फलां नंबर के कमरे में ठहरे हुए हैं। पंकज की खुशी का ठिकाना नही रहा। उन्होंने ठान लिया कि वे मनोज से उनके होटल कमरे में जाकर मिलेंगे और आशीर्वाद लेंगे। पंकज जी ने स्टॉफ में एलान करवा दिया कि मनोज सर के कमरे से जो भी आर्डर आये, सबसे पहले उसके बारे में पंकज को इत्तला किया जाए।
50 किलो में से चार सबसे सेब छांटकर मनोज के लिए भेजा
मनोज ने रूम सर्विस को सूप और सेब का आर्डर दिया। पंकज को जैसे ही ये खबर लगी उन्होंने किचन में जाकर 50 किलो सेब में से गिन के चार सेब निकाले। उन्होंने सेब छांटने में बहुत मेहनत की। वे अपने गुरु को बेदाग और बेहद ताज़े सेब देना चाहते थे। उन्होंने उन सेबों को अच्छे से रैप किया और हॉटल के लड़के के हाथों भिजवा दिया। पंकज ने संदेश भिजवाया कि एक थिएटर का लड़का उनसे मिलना चाहता है। मनोज ने पंकज को बुला लिया। रूम में जाकर पंकज ने आशीर्वाद लिया और अपने बारे में बताया कि वे अभिनय करते हैं।
मनोज के छोड़े हुए चप्पल को पंकज ने अपने पास रखा
अगली सुबह जब मनोज चेक आउट करके होटेल से जा चुके थे तब हाउसकीपिंग वाले ने पंकज को बताया कि मनोज जी अपना चप्पल छोड़ गए हैं। पंकज ने तुरंत उनसे कहा कि उनके गुरु की चप्पल जमा करने के बजाय उन्हें दे दी जाए। यह किस्सा सुनाते वक़्त पंकज ने कहा कि वे एकलव्य की तरह उनके खड़ाऊ में अपने पैर डाल लेंगे तो … बस इतना कहते ही वे भावुक हो गए और आंखें नम हो गई। मनोज ने तुरंत ही पंकज को गले से लगा लिया। मनोज ने पंकज त्रिपाठी की सफलता से खुश होकर कहा, “मेरे लिये इन सब लोगों की सफलता और इन सबों की बातें, मुझे नही लगता कि कोई भी अवार्ड इससे बड़ा होगा।”
ओटीटी के बादशाह बन चुके हैं पंकज
पंकज त्रिपाठी ने यह किस्सा गैंग्स ऑफ वासेपुर की शूटिंग के दौरान मनोज जी को सुना चुके थे। छोटे-मोटे रोल्स से करियर की शुरुआत करने वाले पंकज को गैंग्स ऑफ वासेपुर ने एक अलग ही पहचान दिलाई थी। आज के ओटीटी दौर में पंकज वहां के बादशाह बन चुके हैं। मिर्जापुर से लेकर मिम्मी तक, सिर्फ पंकज जी का ही जलवा छाया हुआ है। पंकज बताते हैं कि वे कोई करैक्टर रोल करने नही बल्कि लीड करने आये हैं। आज उनके नाम से फिल्में बिकती हैं। कॉमेडी से लेकर एक्शन तक, सब कुछ पंकज करने को तैयार रहते हैं।