Saturday, October 5, 2024

रानी गाइदिनल्यू ,वो गुमनाम नायिका जिन्होंने 17 साल की उम्र में आजादी की लड़ाई लड़ी,14 साल जेल काटी

ब्रिटिश शासन से भारत को मुक्त कराने के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी थी. लेकिन दुर्भाग्य से कुछ ही लोग ऐसे आई जिनके बारे में हम जान पाए है. क्योंकि उनके बारे में हम बचपन से पढ़ते आये है. वही कुछ लोग ऐसे है जिनका इतिहास में अच्छा योगदान अच्छा रहा था. लेकिन दुर्भाग्य से हम उनके बारे में जान नहीं पाए. उनमें से एक नाम है रानी गाइदिनल्यू नगा का जिन्होंने महज 13 साल की उम्र में ही अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था. आइए जानते रानी गाइदिनल्यू की वीरता भरी कहानी….

रानी गाइदिनल्यू ने 13 साल की उम्र से शुरू कर दिया था आंदोलन

रानी गाइदिनल्यू का पूरा नाम गाइदिनल्यू नगा था. उन्होंने महज 13 साल उम्र में अंग्रेजो के खिलाफ बगावत शुरू कर दी थी. वो नागालैंड की आध्यामिक और राजनीतिक नेता थी. उनके चचेरे भाई ने ‘हेराका’ नाम का एक आंदोलन शुरू किया था. बाद में गाइदिनल्यू ने भी अपना योगदान देना शुर कर दिया. मूल रूप से इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य नगाओं की विरासत को फिर से पुनर्जीवित करना था. लेकिन बाद में इस आंदोलन ने अंग्रेजी सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया.

जब गाइदिनल्यू ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया तो इस आंदोलन में कई सारे लोग जुड़ना शुरू हो गया. इसी के चलते गाइदिनल्यू महज 3 साल में एक छापा मार दल की नेता बन गयी थी. गाइदिनल्यू नगाओं की धार्मिक परम्पराओं में विश्वास रखती थी. इसलिए जब अंग्रेजी सरकार नगाओं को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर रहे थे. उस समय गाइदिनल्यू ने उनकजे जमकर विरोध किया था. यही वजह थी कि उन्हें नागा समाज में देवी का रूप माना जाने लगा

1931 में जादोनाग के बाद बनी नगाओं की लीडर

सन 1931 के समय में अंग्रेजों ने जादोनाग को गिरफ्तार करके उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया था. जिसके बाद रानी गाइदिनल्यू आधिकारिक तौर पर उनकी उत्तराधिकारी बन गयी थी. जिसके बाद उन्होंने अपने समर्थकों को खुलकर अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह करने का आदेश दिया.साथ ही साथ उन्होंने ब्रिटिश सरकार को कर न चुकाने लिए भी आदेश दिया. उनके इसी काम की वजह से नागा समाज के लोगों ने उन्हें चंदा देना शुरू कर दिया.

1932 में गिरफ्तार हुई थी रानी गाइदिनल्यू

जब से रानी गाइदिनल्यू जादोनाग की उत्तराधिकारी बनकर लोगों के सामने आयी थी. तब से ब्रिटीश सरकार उन्हें गिरफ्तार करने की फिराक में थी. जिनसे बचने के लिए गाइदिनल्यू असम, नागालैंड ओर मणिपुर के अलग- अलग गांव में घूम रही थी.

जिससे ब्रिटिश सरकार उन्हें गिरफ्तार नजे कर सकें. इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने असल राइफल्स की टुकड़ियां उन्हें पकड़ने के लिए भेज दी. साथ ही साथ उन्हें पकड़ने लिए ब्रिटिश गवर्मेंट में उनके ऊपर इनाम भी रख दिया था. जिस वजह से आखिरकार 17 अक्टूबर 1932 को रानी गाइदिनल्यू को उनके सहयोगियों समेत गिरफ्तार कर लिया गया.

10 महीने मुकदमें चलने के बाद मिली उम्रकैद की सजा

रानी गाइदिनल्यू को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें इम्फाल ले जाया गया. वहां उनके ऊपर पूरे 10 महीने तक मुकदमा चलाया गया. जहां उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गयी. गाइदिनल्यू 1933 से लेकर 1947 तक अलग-अलग जेलों में कैद रही.

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14 साल बाद निकाला जेल से

रानी गाइदिनल्यू के जेल जाने के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ब्रिर्टिश सरकार से उन्हें रिहा करने की मांग की थी. लेकिन उस समय वो उन्हें रिहा नहीं करा सके. लेकिन जैसे ही वो 1947 के दौरान सत्ता में आये. तब उन्होंने तत्काल प्रभाव से रानी गाइदिनल्यू को रिहा करा दिया. अपनी रिहाई के बाद वो लोगों के उत्थान कार्य में लग गयी.

1993 में हुआ निधन

14 साल जेल में रहने के बाद गाइदिनल्यू को ‘ताम्रपत्र स्वतंत्रता पुरस्कार, दिया गया था. जिसके बाद उन्हें 1982 में ‘विवेकानंद सेवा पुरस्कार’ दिया गया. अपने जन्म स्थान में जाने के बाद 17 फरवरी 1993 को गाइदिनल्यू का निधन हो गया.

Sunil Nagar
Sunil Nagar
Founder and Editor at story24.in . He has 5 year experience in journalism . Official Email - sunilnagar@story24.in .Senior Editor at Story24 .Phone - 9312001265
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