Tuesday, October 15, 2024

कभी पुरखों ने अंग्रेजो को हल में जोड़कर खेत जुतवाये ,जानिए कौन है राजकुमार भाटी

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए दादरी विधानसभा से समाजवादी पार्टी ने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी को मैदान में उतारा है । राजकुमार भाटी अपने क्रांतिकारी तेवरों के लिए प्रसिद्ध है । पेशे से पत्रकार और प्रोफ़ेसर रह चुके राजकुमार भाटी के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे कि वह एक क्रांतिकारी परिवार से आते है ।

1857 की क्रान्ति में शहीद हुए थे दादा मजलिस जमींदार

1857 की क्रांति में मेरठ के साथ साथ दादरी भी क्रांति का केंद्र बनी हुई थी । 10 मई को जैसे ही मेरठ में धनसिंह कोतवाल में नेतृत्व में क्रांति की शुरूआत हुई उसके 2 दिन बाद ही दादरी बुलंदशहर और ग़ाज़ियाबाद भी क्रांति का हिस्सा बन गया । क्रांतिकारियों ने अंग्रेजो की संचार व्यवस्था को ठप कर दिया और युद्ध मे कूद पड़े । क्रांतिकारियों और अंग्रेजो के बीच हिंडन नदी के पुल के पास युद्ध हुआ जिसमें अंग्रेजो ने मुंह की खायी। जिसका बदला लेने के लिये बाद में अंग्रेजो ने दादरी पर आक्रमण किया । जिसके बाद अंग्रेजो ने क्रांतिकारी नेता उमरावसिंह भाटी को उनके भाई और चाचा के साथ पकड़ लिया। उन्हें 87 अन्य क्रांतिकारियों के साथ फांसी दे दी गयी। जिनमे से दादरी के एक गांव लुहारली के मजलिस भाटी जमींदार भी थे । जिन्हें मजलिस दादा के नाम से भी जानते है ।

आज उनकी छठी पीढ़ी गांव में निवास करती है जिसमे कई परिवार है । राजकुमार भाटी भी मजलिस जमींदार के छठी पीढी के वंशजों में से एक है ।

अंग्रेजो को बैल की जगह हल में चलाया

दादरी क्षेत्र के गुर्जरो ने अंग्रेजो को ढूंढ ढूंढ कर भगाना शुरू कर दिया । संचार व्यवस्था ठप कर दी । दादरी बुलंदशहर के बीच जीटी रोड उनकी संचार व्यवस्था का केंद्र बिंदु था। कोट गांव में पंचायत हुई जिसमें सर्वसम्मति से अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने का निर्णय लिया गया। यहां के गुर्जर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजो को पकड़ लिया और कई गांवों में उन्हें हल में बैल की जगह जोड़कर उनसे खेत जुतवाये । लुहारली में मजलिस दादा और जुनेदपुर में दरियाव सिंह नागर , सैंथली के मुगनी आदि के साथ किसानों ने अंग्रेजो को सबक सिखाने के लिए हल में जोत दिया ।

87 क्रांतिकारियों को ‘काला आम’ पर फाँसी

हिंडन युद्ध के बाद बदला लेने के लिए अंग्रेजो ने बड़ी सेना बुलाकर दादरी पर हमला बोला। 26 सितंबर 1857 को हुए दादरी के सूरजपुर और कासना के मध्य हुए इस युद्ध मे क्रांतिकारियों का नेतृत्व राव उमरावसिंह भाटी कर रहे थे ।

दादरी में लगी क्रांतिकारियों के नेता राव उमराव सिंह भाटी की प्रतिमा

इस युद्ध मे क्रांतिकारी सेना हिम्मत से लड़ी लेकिन अंग्रेजो की बड़ी सेना के सामने सैकड़ो की संख्या में क्रांतिकारी शहीद हुए। राजा राव उमरावसिंह भाटी को अंग्रेजो ने हाथी के पैर के नीचे कुचलवा दिया और उनके भाईयों और अन्य 87 क्रांतिकारियों को एक साथ बुलंदशहर के काला आम पर फांसी दे दी गयी ।

इन 87 क्रांतिकारियों में लुहारली के मजलिस जमींदार सहित,  हिम्मत सिंह (गांव रानौली) झंडू जमींदार, सहाब सिंह (नंगला नैनसुख) हरदेव सिंह, रूपराम (बील) फत्ता नंबरदार (चिटहरा) हरदयाल सिंह गहलोत, दीदार सिंह, (नगला समाना) राम सहाय (खगुआ बास) नवल, हिम्मत जमीदार (पैमपुर) कदम गूजर (प्रेमपुर) कल्लू जमींदार (चीती) करीम बख्शखांन (तिलबेगमपुर) जबता खान (मुंडसे) मैदा बस्ती (सांवली) इंद्र सिंह, भोलू गूजर (मसौता) मुल्की गूजर (हृदयपुर) मुगनी गूजर (सैंथली) बंसी जमींदार (नगला चमरू) देवी सिंह जमीदार (मेहसे) दानसहाय (देवटा) बस्ती जमींदार (गिरधर पुर) फूल सिंह गहलोत (पारसेह) अहमान गूजर (बढपुरा) दरियाव सिंह (जुनेदपुर) इंद्र सिंह (अट्टा) आदि क्रांतिकारियों को एक साथ फांसी दे दी गयी

सांकेतिक चित्र 1857 क्रांति

वही क्रांतिकारी तेवर है राजकुमार भाटी के

राजनीति में आने से पहले राजकुमार भाटी पत्रकार रहे है । कुछ समय दादरी के मिहिर भोज कॉलेज में प्रोफेसर भी रहे । इसके बाद ‘देहात मोर्चा ‘ के नाम से संगठन बनाकर क्षेत्रवासियों के लिये प्रशासन से सीधा टकरा गए । संगठन का देहांत मोर्चा के नाम से एक अखबार भी निकलता था । कुछ ही दिनों में संगठन के देशभर में लाखों सदस्य बन गये। संगठन ने गौतमबुद्ध नगर में किसानों और मजदूरों के लिए कई लड़ाइयां लड़ी और उन्हें अंजाम तक पहुंचाया । उधोगों में स्थानीय निवासियों को नौकरी नही मिलती थी तो राजकुमार भाटी देहात मोर्चा के सदस्यो के साथ कंपनियों के बाहर धरने पर बैठे । उनकी मुहिम की बदौलत बड़ी कंपनियों में हजारों गरीब युवाओ को नौकरी मिली ।

देहात मोर्चा का धरना

अधिकारी का मुंह कर दिया काला

तहसील और कलेक्ट्रेट दफ्तर हमेशा से भ्रष्टाचार का अड्डा रहे है । एक किसान अपने किसी काम से अधिकारी से मिलने गया तो उससे रिश्वत की डिमांड की गयी । उन्होंने यह बात राजकुमार भाटी को आकर बताई । सबूत जुटाने के लिए उन्होंने किसान को छोटा रिकॉर्डर रखकर भेज दिया । जिसके बाद राजकुमार भाटी ने भ्रष्ट अधिकारी का मुंह काला करने की घोषणा की ।

साथियों के साथ बाहर आते राजकुमार भाटी

प्रशासनिक अधिकारियों के भारी विरोध के बावजूद वे वहां पहुंचे और अधिकारी का मुंह काला कर दिया । हालांकि इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हो गयी । अधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए 19 बार जेल जा चुके राजकुमार भाटी को इससे कोई फर्क नही पड़ता । वे कहते है अगर सच्चाई के लिये लड़ते हुए उन्हें जीवन भर जेल में रहना पड़े तो भी वे पीछे नही हटेंगे ।

Sunil Nagar
Sunil Nagar
Founder and Editor at story24.in . He has 5 year experience in journalism . Official Email - sunilnagar@story24.in .Senior Editor at Story24 .Phone - 9312001265
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