यूक्रेन और रुस के बीच जारी सैन्य जंग में भारत काफी संतुलित रुख अपना रहा है। एक तरफ अमेरिका और अन्य देश रुस द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई का खुलकर विरोध कर रहे हैं तो वहीं भारत ने अब तक इसपर चुप्पी साध रखी है। ऐसा ही कुछ शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत की तरफ से किया गया। अमेरिका समेत 11 देशों द्वारा लाए गए प्रस्ताव से भारत ने दूरी बना ली है। इस प्रस्ताव के माध्यम से अमेरिका और अन्य देशों ने यूक्रेन पर रुस द्वारा किए गए हमले का विरोध किया।
हालांकि, यह प्रस्ताव पारित न हो सका। रुस ने वीटो पॉवर का इस्तेमाल करके अपने खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव को रद्द करवा दिया।
अमेरिका समेत 11 देशों ने किया रुस का समर्थन
बता दें, रूस की कड़े शब्दों में निंदा करने वाले प्रस्ताव पर अमेरिका, यूके, फ्रांस, नॉर्वे, आयरलैंड, अल्बानिया, गैबोनी, मेक्सिको, ब्राजील, घाना और केन्या ने समर्थन किया जबकि भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने इससे दूरी बनाए रखी।
‘कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया’- भारत
इसपर संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि, “भारत यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से बेहद परेशान है। हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं। मानव जीवन की कीमत पर कोई समाधान कभी नहीं निकाला जा सकता है।” उन्होंने अपने कथन में आगे कहा कि, “यह खेद की बात है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया। हमें इस पर वापस लौटना चाहिए। इन सभी कारणों से भारत ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग से दूरी बनाए रखने का विकल्प चुना है।”
मालूम हो, इससे पहले भारत में रूस के सबसे शीर्ष राजनयिक बाबुश्किन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक से पहले भारतीय साझेदारों से समर्थन की उम्मीद की थी। हालांकि, भारत ने इस पूरी प्रक्रिया से दूरी बनाकर बीच का रास्ता अपना लिया।
पीएम मोदी और पुतिन के बीच बातचीत
रूसी राजनयिक बाबुश्किन ने कहा, ‘व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की है। उन्होंने कहा, हमें पूरा विश्वास है कि हमारे भारतीय साझेदार अपने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की वजह से हालात को अच्छी तरह से समझते हैं। हमें ये भी यकीन भारत रूस के नेतृत्व के फैसले को समझता है’।
बाबुश्किन ने आगे कहा कि, ‘रूस और भारत ऐसे एकतरफा प्रतिबंधों को मान्यता नहीं देते हैं जो यूएन चार्टर और अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ हैं पश्चिमी देश दुनिया को एकध्रुवीय बनाए रखने के लिए और दूसरे देशों पर दबाव डालने के लिए प्रतिबंधों का सहारा लेते हैं। ये केवल कल की बात नहीं है, रूस सालों से इसका सामना करता आया है। रूस की व्यवस्था इतनी मजबूत है कि वह इन प्रतिबंधों से निपट सकती है। इससे भारत के साथ रक्षा समेत तमाम क्षेत्रों में जारी सहयोग पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हमने अपनी परियोजनाओं के लिए दूसरे रास्तों का इस्तेमाल करना सीख लिया है।’
गौरतलब है, अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश भारत पर रुस के विरोध को लेकर दवाब बनान में जुटे हुए हैं लेकिन भारत इन सबसे बचने की पुरजोर कोशिश में लगा हुआ है।