Tuesday, October 15, 2024

ननद-भाभी की जोड़ी ने किया कमाल, लॉकडाउन में शुरु किया बिजनेस, बन गया ब्रांड

कहते हैं ‘परिस्थिति कोई भी इंसान को हार नहीं माननी चाहिए’। इस कहावत को सार्थक करके दिखाया है बिहार के दरभंगा की दो महिलाओं ने। इन्होंने ना सिर्फ नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया बल्कि अपने साथ-साथ समाज की उन महिलाओं को भी रोजगार का अवसर दिया है जो अपने जीवन में कुछ करना चाहती हैं।

जी हां, उमा और कल्पना नाम की इन दोनों महिलाओं ने मिथिलांचल के अचार का स्वाद पूरी दुनिया को चखाने का जिम्मा उठाया है।

बता दें, पूरी दुनिया जिस वक्त लॉकडाउन के चलते घरों में कैद थी उस समय दरभंगा की ये ननद-भाभी बिजनेस प्लान कर रही थीं।

लॉकडाउन के दौरान शुरु किया बिजनेस

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उमा और कल्पना ने साल 2020 में लॉकडाउन के वक्त अचार का बिजनेस शुरु किया था। इसकी शुरुआत इन दोनों महिलाओं ने अपने घर से ही की थी।

एक समाचार चैनल को दिए हुए इंटरव्यू में उमा ने बताया कि पहले वे अचार के बिजनेस को छोटे स्तर पर करती थीं। उनके आस-पास की कॉलोनियों के ऑर्डर लेती थीं और अपने स्कूल की टीचर्स से ऑर्डर लेती थीं।

रिश्तेदारों ने दी सलाह

लॉकडाउन के वक्त कोविड की वजह से सभी घरों में कैद हो गए, इस दौरान उनके कई रिश्तेदार घर पर आकर रहने लगे। एक दिन उनकी दूर की किसी मौसी ने उन्हें सलाह दी कि वे अपना अचार का बिजनेस ऑनलाइन क्यों नहीं चलाती? इसपर दोनों के मन में ख्याल आया कि क्यों ना ट्राइ किया जाए।

सोशल मीडिया ने की मदद

इसके लिए उन्होंने सबसे पहले झा जी अचार के नाम से एक फेसबुक पेज बनाया। उसके बाद एक वेबसाइट बनवाई। कुछ समय बाद उन्होंने इस कंपनी को रजिस्टर करवाया और बिजनेस की शुरुआत की।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑनलाइन के जरिये उन्हें काफी ऑर्डर्स मिलने लगे। एक दिन में उमा और कल्पना को लगभग ऑर्डर मिल जाते हैं। इससे उन्हें एक साल में 8-10लाख रुपये की इनकम हो रही है।

दादी के नुस्खों का करती हैं इस्तेमाल

जानकारी के मुताबिक, पारंपरिक तरीकों से तैयार किये गए अचार को बनाने के लिए ये महिलाएं मां और दादी के नुस्खों का इस्तेमाल करती हैं। उमा बताती हैं कि, ‘हम धूप में सूखाकर अचार तैयार करते हैं। इसे बनाने के लिए हम सिरका का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसे तैयार करने में हमें 7-8 दिन लगते हैं।

बता दें, ये महिलाएं एक बार में तकरीबन 1000 किलो अचार तैयार करती हैं जिसे बाद में 250 ग्राम के पैकेट्स में पैक किया जाता है।

गौरतलब है, उमा और कल्पना अपने इस बिजनेस को बड़े स्तर पर चलाने का प्रयास कर रही हैं। इसके लिए वे जल्द ही एक यूनिट सेट करेंगी जिसमें वे अन्य महिलाओं को रोजगार का अवसर प्रदान करेंगी।

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