कर्नाटक मे चल रहे हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. जिसके बाद कर्नाटक हाइकोर्ट ने फैसला ना आने तक हर तरह के धार्मिक पोशाकों पर रोक लगाइ है.
पूरे विवाद को समझने मे नीचे दी गईं बातें आपकी मदद कर सकतीं है.
कहां से शुरू हुआ?
अक्टूबर 2021 मे सरकारी कॉलेज की छात्राओं ने हिजाब पहनने की मांग रखी जिसे अनुमती नही मिली, विरोध मे छात्राओं ने विरोध मे प्रदर्शन किया. लाख कोशिशों के बाद जब कोइ हल ना निकला तब छात्राओं ने हाई कोर्ट को गुहार लगाइ.
जारी हुआ युनिफोर्म का आदेश
5 फरवरी का कर्नाटक हाई कोर्ट ने धारा 133(2) लागू कर दी, जिसके तहत यूनिफोर्म पहनना अनिवार्य है.
जब विरोध हिंसा मे बदल गया
8 फरवरी को इस विरोध ने काफी हींसक रूप ले लिया था, कई जगहो से पथराव की भी खबर आई थी. शिवमोगा से एक वीडियो सामने आया था जिसमे एक यूवक तिरंगे से बदलता नज़र आ रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाइ करी खारिज़
हिजाब विवाद की सुनवाई का मामला हाई कोर्ट तक भी गया था, लेकिन कोर्ट ने तत्काल सुनवाइ खारिज़ कर दी थी. कोर्ट ने तब हाइ कोर्ट के फैसले को इंतज़ार करने को कहा था.
क्या है प्रदेश सरकार का मत
मामले की नस पकड़ने के लिए सीएम बसावराज बोम्मई और मध्यमिक शिक्षा मंत्री बीवी नागेश ने एडवोकेट जनरल के साथ विचार विमर्श करा. फैंसला निकला कि, सभी को हाई कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करना होगा. तब तक कॉलेजों मे युनिफॉर्म कोड के हिसीब से ही पढ़ाई चलेगी.
उडुपी जुनियप कॉलेज का कथन
जिस कॉलेज से विवाद शुरू हुआ वहां के प्रिंसीपल का कहना है कि, लड़कियां परिसर में हिजाब पहन सकती हैं. लेकिन कक्षाओं में नहीं. प्रिंसिपल गौड़ा ने कथित तौर पर दावा किया है कि छात्र पहले भी कक्षाओं में प्रवेश करने के बाद हिजाब और बुर्का हटाती रही हैं.
क्या कहना है छात्रोओं का
छात्राओं का कहना है की ऐड्मीशन के समय जो फॉर्म दिया गया था उसमे हिजाब ना पहनने का कोइ ज़िक्र नही था. छात्रों ने यह भी कहा कि बीते साल हिंदू त्योहार मनाए गए थे. हिंदू लड़कियों को बिंदी लगाने से नहीं रोका जाता है, तो फिर मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने से क्यों रोका जा रहा है? छात्राओं का कहना है कि दो महीने में उनकी परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी, उन्हें उसकी भी तैयारियां करनी हैं.