Sunday, October 6, 2024

सरकारी अफसरों के बुरे बर्ताव ने झकझोरा तो गरीब लड़की मेहनत से बनी आईपीएस

अपराजिता राय जोकि सिक्किम की पहली महिला आईपीएस है ,की कहानी हैरान कर देने वाली है । अपराजिता राय सरकारी तंत्र में बैठे अधिकारियों के बुरे बर्ताव से इस कदर आहत हुई कि उन्होंने सिविल सेवा में जाने का मन बना लिया । ताकि उन्हें फिर ऐसे बर्ताव का सामना न करना पड़े।

पहली बार मे हुआ चयन

अपराजिता राय ने 2010 और वर्ष 2011 में यूपीएससी की परीक्षा दी थी ।कमाल की बात ये है कि दोनों ही बार उन्होंने परीक्षा में सफलता प्राप्त की। हालांकि उनके लिए ये सफर बहुत आसान नही था।

अपराजिता एक शिक्षित परिवार से है लेकिन परिवार के सामने संकट तब आया जब मात्र 8 साल की उम्र में अपराजिता राय के पिता का देहांत हो गया। इनके पिता फारेस्ट ऑफिसर थे और मां एक स्कूल टीचर । पिता की मौत के बाद परिवार के सामने आर्थिक संकट आ गया।

सरकारी अफसरों के बुरे बर्ताव ने झकझोरा

किसी काम से अपराजिता जब सरकारी दफ़्तरों में चक्कर काट रही थी तो उन्होंने देखा कि सरकारी अधिकारियों और बाबुओं का व्यवहार बेहद अपमानजनक था ।  ये व्यवहार देखकर अपराजिता आहत हो गयी ।

बस इसी एक घटना ने उनका जीवन बदल दिया । अपराजिता ने तभी तय कर लिया कि अगर बदलाव लाना है तो कुछ करना होगा । जिस तंत्र में आम आदमी के ऐसा व्यवहार होता है उस तंत्र का हिस्सा बनकर ही इस सिस्टम को बदला जा सकता है ।

आज भी अपराजिता राय का मानना है कि उनसे मिलने जो भी आये उसे किसी तरह के दुर्व्यवहार का सामना न करना पड़े और उसके साथ न्याय हो ।

स्कूल के समय से ही थी होशियार

अपनी स्कूलिंग के दौरान अपराजिता राय एक होशियार छात्रा थी । अपराजिता राय स्कूल के दौरान 95 प्रतिशत अंकों के साथ राज्य की टॉपर रह चुकी है ।

12 वी के बाद अपराजिता राय ने बीए एलएलबी किया । यही नही , उन्होंने  न्यायशास्त्र और लोक प्रशासन दोनों में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ ज्यूरिडिकल साइंसेज, कोलकाता से गोल्ड मैडल जीतकर एक बार फिर अपना लोहा मनवाया ।
मैडल जीतने का सिलसिला यही नही थमा । उन्होंने लेडी आउटडोर प्रोबेशनर के लिए 1958 बैच आईपीएस अधिकारियों की ट्रॉफी, फील्ड कॉम्बैट के लिए श्री उमेश चंद्र ट्रॉफी जीती

अपराजिता का चयन हालांकि 2010 में पहली बार दी परीक्षा में ही ही गया था लेकिन मनपसंद रेंक न होने की वजह से 2011 में एक बार पुनः परीक्षा दी। इस बार उनकी रेंक 358 आयी ।  2012 में 28 साल की अपराजिता को आईपीएस कैडर मिला ।

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