आज़ादी के बाद भारत का पुनर्निमाण हो रहा था। भारत सरकार कृषि से लेकर औद्योगिक क्षेत्र तक जीर्णोद्धार के लिए नए-नए प्रयास कर रही थी। इसी दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध और भयंकर सूखा ने देश में त्राहिमाम मचा दिया था।
देश के कई हिस्सों में सूखा की वजह लाखों लोग भोजन को तरस रहे थे। उनके पास ना खाने को अन्न था और ना ही पीने को पानी। ऐसे में लोग गांवों को छोड़कर जाने के लिए मजबूर थे।
सूखा से त्रस्त लोगों ने किया पलायन
आज हम आपको एक ऐसे ही गांव के विषय में बताने जा रहे हैं जहां एक समय ऐसा था कि गांववासी यहां रहने से कतराते थे। वे गांव छोड़कर जाने को विवश थे। लेकिन अब इस गांव की परिस्थिति सुधर चुकी हैं। अब यहां ज्यादातर करोंड़पति परिवार ही रहते हैं।
आखिर यह चमत्कार कैसे हुए जानिये इस लेख में।
इस गांव में रहते हैं करोंड़पति लोग
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का हिवरे बाज़ार नामक गांव आज पूरे भारत में चर्चाओं का विषय बना हुआ है। इसका कारण है यहां की खुशहाली। दरअसल, इस गांव में तकरीबन 1200 लोग रहते हैं जिनमें 300 से अधिक परिवार हैं। बताया जाता है कि इस गांव में 80 करोंड़पति परिवार रहते हैं।
दाने-दाने को मोहताज थे लोग
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 80-90 के दशक में इस गांव में भयंकर सूखा पड़ा था। यहां के लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए थे। यही कारण था कि लोगों ने यहां से पलायन शुरु कर दिया। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने हालातों से मानकर भागने की बजाए उनका डटकर सामना किया।
गांव की स्थिति सुधारने को किए प्रयास
जानकारी के अनुसार, उन दिनों हिवरे बाज़ार नामक इस गांव के सरपंच पोपट राव थे। उन्होंने गांववालों को प्रकृति की आपदा से बचाने के लिए गांव में पेड़ लगवाना प्रारंभ किया। इसके अलावा जगह-जगह कुएं खुदवाए, तालाब और नहरों के जरिये लोगों तक पानी पहुंचाना शुरु किया। धीरे-धीरे लोगों की पानी की समस्या सुलझाने के बाद उन्होंने लोगों को खेती के लिए प्रेरित किया। इसके लिए पोपट राव ने गांववासियों को सुझाव दिया कि वे अपनी मिट्टी की उर्वरता के हिसाब से फसल उगाएं। किसानों ने उनकी बात मानकर इस दिशा में कार्य प्रारंभ किया।
वहीं, पोपट राव दिन-रात इसी प्रयास में जुटे रहते थे कि कैसे भी करके इस गांव को आदर्श ग्राम योजना के तहत जोड़ दिया जाए।
पोपट राव की मेहनत रंग लाई
1995 में उनकी यह मेहनत रंग लाई और हिवरे बाज़ार नामक इस गांव को आदर्श ग्राम योजना में शामिल कर लिया गया। इसके बाद इस गांव में विकास की गाड़ी ऐसी दौड़ी की आज इस गांव में ज्यादातर लोग करोंड़पति हैं।
गौरतलब है, पोपट राव के प्रयासों ने इस गांव की बदहाल तस्वीर को संवारने में अहम भूमिका निभाई। आज भी लोग उन्हें आदर्श मानते हैं।