Sunday, April 20, 2025

शिक्षक की सार्थक पहल! गरीब बच्चों के लिए दान किए 40 लाख रुपये

कहते हैं गुरु समाज का पथ प्रदर्शक होता है। वह समाज को स्वावलंबी बनाने में मुख्य भूमिका निभाता। बच्चों के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी ना ही सिर्फ माता-पिता की होती है बल्कि अध्यापक की सबसे अधिक होती है।

इसीलिए गुरु को ब्रह्म से भी ऊपर दर्जा दिया गया है। शास्त्रों में लिखा है ‘’गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।‘’

अर्थात, गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊंचा है।

अध्यापक की सार्थक पहल!

आज हम आपको ऐसे ही एक शिक्षक के विषय में बताने जा रहे हैं जिन्होंने देश के भविष्य को संवारने के लिए एक सार्थक पहल की है। उन्होंने ना सिर्फ समाज को आइना दिखाया है बल्कि सरकारों को संकेत दिया है कि आज भी भारत में गरीबी के चलते बच्चे पढ़-लिख नहीं पाते हैं। आज भी शिक्षा के स्तर विकास होना अभी भी बाकी है।

इनका नाम विजय कुमार चंसोरिया है। ये मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के रहने वाले हैं। इन्होंने अपने कृत्य से एक अनोखी मिसाल पेश की है।

बच्चों के लिए दान किए 40 लाख

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अध्यापक ने अपनी रिटायरमेंट के दौरान मिले 40 लाख रुपये विद्यालय के छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए दान कर दिए।

बता दें, विजय पिछले 39 सालों से अपने क्षेत्र के एक प्राइमरी विद्यालय में शिक्षक के पद पर तैनात थे। 31 जनवरी को वे अपने से रिटायर हुए थे जिसके उपलक्ष में अन्य सहायक शिक्षकों ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था।

इस दौरान विजय ने घोषाणा की कि वे अपनी जीवनभर की नौकरी के बाद मिलने वाले 40 लाख रुपयों को इस विद्यालय के गरीब बच्चों के लिए दान देते हैं।

संघर्षों से गुजरा बचपन

एक इंटरव्यू के दौरान विजय ने बताया कि जब वे छोटे थे तब उनके पिता के पास उन्हें पढ़ाने के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे। इसलिए वे रिक्शा चलाकर और दूध बेचकर अपनी फीस की जुगाड़ करते थे। काफी संघर्ष के बाद साल 1983 में उन्हें यह नौकरी मिली।

परिवार की सहमित से दान किए रुपये

विजय ने बताया कि आज भी देश में हजारों ऐसे बच्चे हैं जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन उनकी गरीबी उन्हें स्कूल की दहलीज़ लांघने से रोकती है। उन्होंने कहा कि ‘’मैंने कई बच्चों को ग़रीबी में जीते देखा है और उनके लिए दान किया। जब उन्हें पता चला कि उनकी मदद हो रही थी तब उनके चेहरों पर ख़ुशी झलक रही थी। मेरे बच्चे सेटल्ड हैं और इसलिए मैंने प्रोविडेंट फ़ंड और ग्रेच्युटी के 40 लाख रुपये दान कर दिए।‘’

गौरतलब है, विजय ने रिटायरमेंट के दौरान मिले प्रोविडेंट फ़ंड और ग्रेच्युटी के 40 लाख रुपयों को अपने स्कूल के बच्चों के लिए दान दे दिया। इसपर उन्होंने कहा कि, ‘कोई दुनियाभर की समस्याएं ख़त्म नहीं कर सकता लेकिन जिससे जितना बन पड़े वो करना चाहिए।’

Latest news
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here