Friday, November 1, 2024

इन 10 फ़िल्मों ने उठाए थे गंभीर सवाल, एक्ट्रेसेस ने दिए थे ऐसे सीन

सर्वोच्च न्यायालय ने वे^श्यावृत्ति को पेशा मान लिया है और जिसके कारण अब यह अपराध नही माना जाएगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि अपनी मर्ज़ी से इस पेशे में आई महिलाओं को सम्मानीय जीवन जीने का अधिकार है और पुलिस उन पर कानूनी कार्यवाही ना करें। अब इस फैसले से उन महिलाओ को राहत मिली होगी लेकिन इस निर्णय से क्या नतीजा निकलेगा ये तो देखने वाली बात होगी।

वे*श्यावृत्ति को एक लीगल प्रोफेशन मान लिया जाए, इस मुद्दे को उठाती फिल्में भी बॉलीवुड में बन चुकी हैं। ऐसी भी फिल्में बनी है जो बतलाती है कि वेश्याओं को किन मुसीबतों से गुजरना पड़ता है और वे अपने पेशे के बारे में क्या सोचती हैं। आइए बॉलीवुड में निर्मित हुई कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारे में जानते हैं जिन्होंने वे-श्यावृत्ति कभी सेंसिटिविटी के साथ तो कभी कुछ नए प्रयोग के साथ दिखाई।

1 . मंडी (1983)

बेहतरीन थिएटर कलाकारों के अभिनय से सुसज्जित इस फ़िल्म को श्याम बेनेगल ने निर्देशित किया था। अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में ख्याति प्राप्त इस फ़िल्म को 1983 में रिलीज किया गया। जिसे बाद में नेशनल अवार्ड और फ़िल्मफ़ेअर अवार्ड भी प्राप्त हुआ। स्मिता पाटिल, शबाना आज़मी, नसीरुद्दीन और ओम पुरी प्रमुख किरदारों में थे। यह फ़िल्म एक कोठे की कहानी है जो शहर के बीचोबीच बसा हुआ है। राजनेता उस जगह को अपने लिए खाली करवा देते हैं और उन महिलाओ को वहाँ से निकाल दिया जाता है।

2 . मनोरंजन (1974)

शम्मी कपूर द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म एक विदेशी मूवी की रीमेक थी। इसमें उनके अलावा परवीन बॉबी एवं संजीव कुमार ने अहम भूमिका निभाई थी। माना जाता है कि ये अपने समय से बहुत आगे की फ़िल्म थी जिसमें वेश्यावृत्ति को मनोरंजन के रूप में दिखाया गया है जिसमें नायिका फ़िल्म के नायक को छोड़ अन्य पुरुषों के साथ संबंध बनाती हैं। परवीन बॉबी इसमें बेहद खूबसूरत लगीं थीं।

3 . अमर प्रेम

1972 में बड़े पर्दे पर रिलीज हुई इस फ़िल्म के गीत सुपरहिट हुए। ‘कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना’ इसी फिल्म का गाना है। यह फ़िल्म ‘पुष्पा’ की कहानी है जिसे जबरन गलत कामो में धकेल दिया जाता है। पुष्पा और उसके पड़ोसी बच्चे नंदू के बीच अनोखा प्यार उत्पन्न हो जाता है। वहीं राजेश खन्ना इसमें अकेलेपन से जूझ रहे व्यापारी का किरदार निभाते दिखे थे। यह मानवीय रिश्ते और भावनाओं को भलीभांति दर्शित करती है। “पुष्पा आई हेट टीयर्स रे!” इसी फिल्म का फेमस हुआ संवाद था।

4 . चिंगारी (2006)

भूपेन हजारिका के उपन्यास ‘द प्रॉस्टिट्यूट एंड द पोस्टमैन’ पर आधारित इस फ़िल्म में सुष्मिता सेन ने बसंती नामक महिला का किरदार निभाया था जिसकी एक बेटी भी है। सुष्मिता ने फ़िल्म में काफी सीन दिए थे। उनके अभिनय की खूब चर्चा हुई थी। मिथुन दा इसमें नेगेटिव किरदार में खूब जमे थे।

5 . मार्केट (2003)

मनीषा कोईराला ने इस फ़िल्म को अपने दम से चलाया था। उन्होंने इस फ़िल्म में से@^क्स वर्कर का किरदार निभाया था। मकरंद देशपांडे और गोविंद नामदेव ने इन फ़िल्म में अहम भूमिका निभायी थी।

6. चमेली (2004)

इस फ़िल्म का हिट गाना , “भागे रे मन” आज भी बारिश के मौसम की याद दिला देता है। करीना इस फ़िल्म में से^#क्स वर्कर के रोल में थी। फ़िल्म की कहानी एक रात की है। बरसात की एक रात बारिश के कारण बस स्टैंड पर  और एक आदमी फंस जाते हैं। फ़िल्म के संवाद काफ़ी बेधड़क थे। करीना ने अच्छी एक्टिंग करने की कोशिश की थी और राहुल बोस नेचुरल।

7 . लक्ष्मी (2014)

नागेश कुकुनूर ने इस फ़िल्म में सिंगर मोनाली ठाकुर से प्रमुख किरदार करवाया था। एक 14 वर्षीय लड़की की कहानी जिसे धंधे पर बैठा दिया जाता है। 22 दिन में इसकी शूटिंग खत्म की गई थी। शेफाली शाह और सतीश कौशिक ने उम्दा काम किया था। यह फ़िल्म मानव तस्करी पर काफी हद तक सच्चाई परोसती है।

8. बेगम जान (2017)

श्रीजीत मुखर्जी ने अपनी बंगाली फ़िल्म को हिंदी में खुद ही रीमेक किया। उन्होंने इस महिला प्रधान फ़िल्म के लिए बेहतरीन अभिनेत्रियाँ चुनी। विद्या बालन, गौहर खान, पल्लवी शारदा के अलावा मिष्टी भी इस फ़िल्म में थी। यह एक पीरियड ड्रामा फ़िल्म थी जो 1947 के वक़्त की एक ब्रोथल की कहानी कहती है।

9. गंगूबाई काठियावाड़ी (2022)

संजय भंसाली ने इस फ़िल्म के लिए बहुत बड़े सेट की तैयारी की थी। आलिया भट्ट इसमें गंगा बनी थी जो काठियावाड़ से आकर कोठे की मालकिन बन बैठती है और पीएम के पास वे*श्यावृत्ति को लीगल करने की अपील लेकर जाती है। फ़िल्म ने अच्छी कमाई की थी।

10. इन सब के अलावा कई फिल्मों में से^क्स वर्कर्स के किरदार में बड़ी-बड़ी अभिनेत्रियों ने दर्शकों का दिल जीता।

ऐसा कहा जाता है कि मीना कुमारी वे पहली अभिनेत्री थी जिन्होंने तवायफ़ का किरदार पहली दफा निभाया था। उनकी आखिरी फ़िल्म ‘पाकीज़ा’ में वे लखनऊ की तवायफ़ बनी थी। रेखा ने उमराव जान में, माधुरी ने देवदास में, नम्रता शिरोडकर ने वास्तव में, कोंकणा सेन ने ट्रैफिक सिग्नल में, कल्कि ने देवड़ी में, ऐश्वर्या ने उमराव-जान में और हुमा कुरैशी ने बदलापुर में प्रॉ^स्टिट्यूट के किरदार निभाए थे। इस फेहरिस्त में रानी मुखर्जी और कंगना का नाम भी शामिल है।

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