भारत में ऐसी कई प्राचीन इमारतें बनी हुई हैं जिनसे भारत की शान बरकरार रहती है। इन इमारतों को देखने के लिए दूर देशों से लोग यहाँ आते हैं। इनकी तस्वीरें खीचते हैं और अपने देश जाकर भारत की तारीफों के कसीदे पढ़ते हैं।
इस बात से तो आप सब वाकिफ ही हैं कि अधिकतर स्मारकों का निर्माण पुरुषों ने ही करवाया है, फिर चाहें वह मुग़ल काल के बादशाह रहे हों या हिन्दू साम्राज्य के सम्राट। ऐसे में हमारे बीच कुछ ऐसे मोनुमेंट्स भी हैं जिन्हें महिलाओं ने बनवाया था। लेकिन बहुत काम लोग इस बात को जानते हैं।
आज हम आपको बताएंगे देश की ऐसी प्रसिद्ध इमारतों के विषय में जिन्हें महिलाओं ने बनवाया था।
1.एतिमाद-उद -दौलाह (आगरा)
एतिमाद-उद-दौलाह का किला यमुना नदी की किनारे स्थित है। इसी के पास चीनी-का-रौज़ा भी बना हुआ है। इसे मिर्ज़ा घियात बेग की बेटी नूर जहां ने बनवाया था। पिता की मृत्यु के लगभग 7 साल बाद नूर जहां ने टॉम्ब की ईमारत पूरी करवाई थी। एतिमाद-उद-दौलाह का निर्माण नूर जहां ने अपने पिता की याद में करवाया था। टॉम्ब के बीच में वज़ीर और उनकी पत्नी का मकबरा है। इसी के पास छोटे कक्ष बने हुए हैं जहां परिवार के बाकी सदस्यों का मकबरा बनवाया गया है।
हुमायूं टॉम्ब (दिल्ली)
हुमायूं टॉम्ब हमीदा बानू बेगम द्वारा बनवाया गया था। मुग़ल शासक हुमायूं की मौत के 17 साल बाद हमीदा बानू बेगम ने इसका निर्माण उनकी याद में करवाया था। यह वो दौर था जब भारत में अकबर का राज था (1560)। हुमायूं मुग़ल काल के दूसरे शासक थे जिन्होंने आज के अफ़ग़ानिस्तान,पाकिस्तान और उत्तरी भारत पे राज किया था। हुमायूं टॉम्ब के चारों ओर बगीचे हैं जिन्हे चार बाघ के नाम से जाना जाता है।
रानी की वाव पतन (गुजरात)
रानी की वाव पतन गुजरात में स्थित है। यह 1063 में रानी उदयमती (चालुक्य वंश ) ने अपने पति भीमदेव 1 को मनाने के लिए बनवाया था। पुरातत्त्ववेत्ता हेनरी कोसेंस और जेम्स बर्गेस 1890 में भारत आये थे। इस दौरान उन्होंने इसपर शोध किया था और बताया था कि जिस वक्त वे इसका सर्वेक्षण कर रहे थे उन्हें किला मिट्टी में ढका हुआ मिला था। उस दौरान सिर्फ खंबे ही नज़र आ रहे थे।
विरुपक्ष मंदिर (कर्नाटक)
विरुपक्ष मंदिर का नाम बारत के सबसे पुराने मंदिरों में शुमार है। इसका निर्माण रानी लोकमहादेवी ने 740ईं. में करवाया था। अपने पति राजा विक्रमादित्य की पल्लावास पर जीत की ख़ुशी में रानी लोकमहादेवी ने विरुपक्ष मंदिर बनवाया था। इस मंदिर को लोकेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की दीवारों पर स्तंभों पर की गई नक्काशी से समय काल का पता लगाया जा सकता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
मिर्ज़ान फोर्ट (कर्नाटक)
कर्नाटक के पश्चिमी तट पर स्थित मिर्जान फोर्ट हिंदू आस्था का केंद्र है। नेशनल हाईवे से 0.5 किलोमीटर और गोकर्ण से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर को रानी चेन्नाभेरादेवी (गरसोप्पा की शासक) द्वारा बनवाया गया था। अपने 54 वर्षों के शासनकाल के दौरान रानी ने काफी समय इस किले में बिताया।