Friday, March 14, 2025

गुजरात का यह गांव पूरे देश के लिए बना ‘आदर्श’, विकास में बड़े-बड़े महानगरों को छोड़ा पीछे

आमतौर पर जब हम किसी से शहर छोड़कर गांव जाकर रहने की बात कहते हैं तो उसके चेहरे के हाव-भाव बदल जाते हैं। यहां गलती उसकी नहीं है। दरअसल, भारत में गांवों की स्थिति काफी दयनीय है। आजादी के 75 साल बाद भी कई गांव ऐसे हैं जहां अभी तक बिजली की व्यवस्था नहीं हुई है। लोग आज भी रात के वक्त मशाल या दिया जलाकर अपना काम करते हैं। इसके अलावा गांवों में शिक्षा का स्तर भी काफी खराब है। कहीं स्कूल है तो शिक्षक नहीं, शिक्षक है तो किताबे नहीं। इस तरह के हालातों में किसी देश की तरक्की असंभव है। यही वजह है कि जो भी व्यक्ति गांव के माहौल से बाहर निकलकर शहर की ओर आता है वह फिर वहां का होकर ही रह जाता है।

गांव के मुकाबले शहरों में उसे तमाम सुविधाएं मिलती हैं। अस्पताल से लेकर स्कूल तक सारी ज़रुरत की जगहें उससे कुछ कदमों की दूरी पर होती हैं। ऐसे में अगर उस व्यक्ति से गांव जाकर रहने के लिए कहा जाए तो उसका तो मूड खराब ही हो जाएगा।

हालांकि, आज हम आपको भारत के एक ऐसे गांव के विषय में बताने जा रहे हैं जो पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनकर साबित हुआ है।

गुजरात स्थित पुंसरी गांव

इस गांव का नाम पुंसरी है। यह गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से 90 किमी की दूरी पर स्थित है। इसकी भी काया पहले अन्य गांवों की तरह ही थी हालांकि, लोगों के प्रयासों ने आज इसे आदर्श गांव का दर्जा प्राप्त कराया है।

2006 से हुई बदलाव की शुरुआत

बता दें, इस बदलाव की शुरुआत 2006 में हुई थी। उस समय गांव का सरपंच एक पढ़े-लिखे नवयुवक को चुना गया था। इस युवक का नाम हिमांशु पटेल था। इन्होंने चुनाव जीतने के बाद तय कर लिया था कि इस गांव को ये पूरे देश के लिए एक नज़ीर के तौर पर पेश करेंगे। इस दिशा में इन्होंने कार्य प्रारंभ कर दिया।

सबसे पहले हिमांशू ने 11 लोगों की एक कमेटी का गठन किया। इस कमेटी का कार्य ये था कि गांव की दिक्कतों का पता लगाया जाए और उनका निवारण किया जाए। इसकी अध्यक्षता हिमांशु स्वयं करते थे। इसके अलावा वे उन योजनाओं का लाभ गांव को दिलवाना चाहते थे जो केंद्र और राज्य सरकार हर साल पास करती थीं।

शुद्ध पानी के प्लांट की हुई स्थापना

इस दिशा में उन्होंने निरंतर प्रयास जारी रखे जिसके फलस्वरुप गांव में सबसे पहले शुद्ध पानी का प्लांट स्थापित किया गया। इससे गांववासियों को शुद्ध पानी के लिए भटकना नहीं पड़ता था। हालांकि, फंडिंग की कमी से यह प्लांट कुछ समय के लिए ठप्प पड़ गया लेकिन हिमांशु ने हार नहीं मानी। उन्होंने पुंसरी गांव समेत अन्य गांवों के लोगों के सामने एक प्रस्ताव रखा। इसके तहत उन्होंने गांववालों से कहा कि इस प्लांट के चालू होने से आपको 4 रुपये के हिसाब से 20 लीटर शुद्ध पानी दिया जाएगा। इससे आपको स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का भी सामना नहीं करना पड़ेगा और यह प्लांट भी सुचारु रुप से चलने लगेगा।

गांववासियों को हिमांशु की बात में दम लगी और उन लोगों ने प्लांट को दोबारा चालू करने के लिए फंड जमा करने में मदद की।

शिक्षा के क्षेत्र में किए प्रयास

इसके अलावा इस गांव में अगली समस्या शिक्षा की थी। गांव में स्कूल तो था लेकिन यहां कभी अध्यापक नहीं होते थे तो कभी छात्र नहीं आते थे। हिमांशु ने इस दिशा में कार्य प्रारंभ करते हुए गांववालों को शिक्षा के महत्व के विषय में समझाया। इसके बाद धीरे-धीरे करके माता-पिताओं ने स्कूल में अपने बच्चे भेजना प्रारंभ किए। उधर, सरकार की तरफ से चलाई जा रही मिड-डे मील योजना और मुफ्त किताबें और ड्रेस की योजना बच्चों को स्कूल तक लाने में मील का पत्थर साबित हुई।

आधुनिकीकरण

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस गांव में समय-समय पर विकास के क्षेत्र में अनेकों कार्य किए गए जिसमें आधुनिकीकरण भी शामिल रहा। अब पुंसरी गांव में वाई-फाई, लाईट आदि की सुविधाए भी मौजूद हैं।

‘अटल बस सेवा’

इसके अलावा इस गांव में लोगों की यात्रा को सहज और सरल बनाने के लिए अटल बस सेवा की शुरुआत की गई थी। इस सेवा के तहत गांववालों को घंटों पैदल चलने के बजाए कुछ ही देर में बस के द्वारा पहुंचा दिया जाता है।

पीएम मोदी ने दिया ‘आदर्श ग्राम पुरुस्कार’

गौरतलब है, आज यह गांव पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन गया है। यही कारण है कि वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस गांव को आदर्श ग्राम पुरुस्कार से सम्मानित किया था।
इसके अलावा 2012 में इस गांव को ‘राजीव गांधी आदर्श ग्राम पुरस्कार‘ भी मिल चुका है।

Latest news
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here