राजस्थान, यूपी, हरियाणा जैसे राज्यों का अपराध से पुराना रिश्ता रहा है। इन राज्यों में कई ऐसे नामचीन अपराधी हुए हैं जिनके आतंक से पूरे के पूरे गांव थर-थर कांपते थे।
इन्हीं में एक नाम है जगन गुर्जर का। जी हां, वहीं जगन जिसने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बंगले को बम से उड़ाने की धमकी दे दी थी।
साधारण बालक से बना डाकू
बता दें, जगन का जन्म 1974 में राजस्थान के धौलपुर जिले के अंतर्गत आने वाले गांव भवूतिपुरा में हुआ था। आम लड़कों की तरह वह भी रोज़ स्कूल जाता था, पिता की खेतों पर मदद करता था। फिर एक दिन एक ऐसा हादसा हुआ जिसने 20 साल के जगन को साधारण बालक से डाकू में तब्दील कर दिया।
वो साल था 1994 का, जब जगन गुर्जर भैंसों का दूध देने के लिए लोगों के घर पर जा रहा था। इस दौरान उसे पता चला कि उसके पिता के साथ गांव के ही कुछ लोगों ने बद्तमीजी की है।
पिता के अपमान का लिया बदला
20 साल का यह लड़का पिता का अपमान झेल न सका और उसने मंदिर की समिति के सदस्यों को मार-मारकर अधमरा कर दिया। इसके बाद पुलिस के डर से वह चंबल की घाटियों में जाकर छुप गया। यहां उसकी मुलाकात कुख्यात डकैत मोहन गुर्जर से हुई। उसने इसे अपनी गैंग में शामिल कर लिया।
इसके बाद जगन ने कभी पलटकर गांव की तरफ नहीं देखा। वह मोहन की गैंग के साथ मिलकर लूटपाट, चोरी-डकैती करने लगा।
जीजा की हत्या
इस दौरान उसे खबर मिली कि उसके जीजा की किसी ने हत्या कर दी है। उसने हत्यारों के विषय में जानकारी निकाली तो पता चला कि हत्यारे मोहन गुर्जर के रिश्तेदार थे। 5 सालों तक जगन खून का घूंट पिए उसके कहे अनुसार काम करता रहा।
साल 1999 में उससे रहा नहीं गया और उसने मोहन की हत्या कर दी। इसके बाद जगन गुर्जर गैंग का सरदार बन गया।
जगन गुर्जर बना गैंग का सरदार
उसके सरकार बनने के बाद उसकी पत्नी और उसके तीनों भाई पान सिंह, पप्पू और लाल सिंह ने भी डकैतों की गैंग ज्वाइन कर ली। परिजनों का साथ मिलने का बाद जगन का असली रंग सामने आया।
एक समय ऐसा था कि अपराध का दूसरा नाम जगन गुर्जर था। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उसके नाम से लोग थर-थर कांपते थे। कहा जाता है कि उसके डर से चंबल के इलाके में लोगों ने शादियां तक करना बंद कर दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2001 तक जगन पर हत्या, डकैती, लूट आदि के दर्जनों मामले दर्ज हो चुके थे। पुलिस भी उसकी तलाश में चारों तरफ दबिश दे रही थी। तभी साल 2001 में उसने सरेंडर कर दिया।
राज्य की सीएम के आवास को उड़ाने की धमकी दी
कई सालों तक जेल में रहने के बाद जमानत पर जब वह बाहर आया तो एक बार फिर उसने अपराध का रास्ता चुना। साल 2008 में गुर्जर आंदोलन के दौरान उसने राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के आवास को बम से उड़ाने की धमकी दे दी थी।
इसके बाद पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया था। पूरे राज्य की पुलिस उसे ढूंढने में लगी थी। इसी साल उसपर 11 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। हालांकि, एनकाउंटर के डर से 30 जनवरी 2009 को जगन गुर्जर ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया
इसके बाद साल 2017 में जब वह जेल से एक बार फिर रिहा हुआ तो उसने बाहर आकर वही काम शुरु कर दिया। साल 2019 में उसने एक मुखबिर के घर की महिलाओं को निर्वस्त्र करके पूरे गांव में घुमाया था।
इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई थी। इसके बाद पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी। लेकिन उसने 2019 को एसपी के सामने सरेंडर कर दिया।
गौरतलब है, 2021 में जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद वह कुछ दिन तो शांत रहा लेकिन हाल ही में उसने विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को जान से मारने की धमकी दी थी। इसके बाद पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद उसे करौली के जंगलों से धरदबोचा।