आज हम टीवी पर कोई शो देखते रहते हैं और जैसे ही विज्ञापन आता है, हम फट से रिमोट उठाकर चैनल बदल डालते हैं। लेकिन एक दौर ऐसा था जब लोग टीवी विज्ञापन बेहद रुचि के साथ देखते थे। उस समय के विज्ञापन बेहद क्रिएटिव हुआ करते थे। और टीवी चैनल्स भी बेहद कम हुआ करते थे तो लोगों के पास चैनल बदलने के ऑप्शन नही होते थे। लेकिन आज जो कहानी आप पढ़ने जा रहे हैं ये उस दौर की है जब टीवी पर विज्ञापन आने शुरू नही हुए थे। बात है एक ऐसे विज्ञापन की जिसके प्रोडक्ट से ज्यादा विज्ञापन करने वाली लड़की की चर्चा हुई।
1970 दशक में आया था लिरिल सोप का विज्ञापन
उस दशक में हिंदुस्तान यूनिलीवर कंपनी अपना नया साबुन लांच करने जा रही थी। वे भारत में पहली दफा फ्रेशनेस वाला लाइम सोप प्रस्तुत करने जा रहे थे। ऐसे में वे इस मौके को अच्छे से भुनाना चाहते थे। उन्होंने विज्ञापन बनाने के लिए नामी कंपनी लिंटास से संपर्क किया। उस वक़्त लिंटास की फ़िल्म चीफ मुबी इस्माइल थी जिन्होंने शूटिंग का सारा जिम्मा एक टीम को सौंपा जिसके अगुवा थे सुरेंद्रनाथ।
सुरेंद्रनाथ को एक क्लब में मिली एड की हेरोइन
सुरेंद्रनाथ की टीम ने तय किया था कि वे समुद्र के किनारे बहुत सारी लड़कियों के साथ एड शूट करेंगे। उन्होंने समुद्र किनारे अठखेलियाँ करतीं हुईं कुछ लड़कियों का स्क्रीन टेस्ट लिया और निराश हुए। फिर मुम्बई के यूएस क्लब में उनकी मुलाकात करेन लुनेल से हुई जो इससे पहले ‘डीपीज़’ नामक जूस ब्रांड के विज्ञापन का हिस्सा रह चुकीं थीं। उस एड में भी उन्होंने बिकि’नी पहनकर जलवे बिखेरे थे। सुरेंद्रनाथ को करेन लुनेल की चंचलता और ताजगी भरे चेहरे ने आकर्षित किया। उन्हें वो फेस मिल गया था जो लिरिल सोप के साथ न्याय कर सकता था।
एड के लिए झरना खोजने और शूट का सफर
लिंटास की उस टीम ने तय किया कि ताज़गी दिखाने के लिए झरना सहीं होगा और अनेक लड़कियों पर एक अकेली करेन लुनेल भारी पड़ेंगी। 10 दिनों तक पूरी टीम भारत के कई हिस्सों में झरने की तलाश करती रही। सुरेंद्रनाथ को तमिलनाडु के कोडैकनाल के पास सड़क से बहुत अंदर एक वॉटरफॉल पसंद आया। वहाँ वो सब चीजें थीं जो आंखों को मन्त्रमुग्ध कर लें।
टाइगर फॉल्स को सोच समझकर चुना गया
टाइगर फॉल्स पर शूट का निर्णय बहुत सोच समझकर लिया गया था। वह झरना सिर्फ दिसंबर और जनवरी में ही शूट के लिए भरा मिलता, ऊपर से सूरज की रोशनी दिन में दो-तीन घंटे ही मिल पाती। ठंड का मौसम होने के कारण तापमान भी कम रहता। शूट के सामानों को ले जाने में भी समस्या। इसके बावजूद मुबी इस्माइल ने यहां शूट की मंजूरी दे दी।
उस लोकेशन पर करेन लुनेल को शूट के समय ढेरों साँप भी दिखते और ठंड के कारण वे कंपकंपाती भी रहती। वे कोशिश करती कि एक टेक में ही शॉट पूरी कर दे।
विज्ञापन को चाहिए था प्रभावशाली संगीत
इस विज्ञापन के लिए संगीत निर्माण का कार्य वनराज भाटिया को दिया गया था। एड में चलने वाले तबले और सितार के धुन के बीच ‘ला… लाला ल ला… ‘ ये तो आपने भी सुना होगा। यह आवाज़ प्रीति सागर की थी। एड की शूटिंग कन्फर्म करने से पहले हिंदुस्तान यूनिलीवर के मार्केटिंग हेड को 20 मिनट का प्रेजेंटेशन दिया गया। उन्हें यह पसंद आया और शूट को मंजूरी दी।
विज्ञापन से रातोंरात स्टार बन गई करेन लुनेल
इस 1 मिनट के विज्ञापन को सिनेमाघरों में इंटरवेल के समय दिखाया जाता था। यह एड लोगों को इतना पसंद आया कि वे इंटरवेल के समय पॉपकॉर्न खरीदने के लिए भी कुर्सी से नही उठते थे। दर्शक लुनेल को मिस नही करना चाहते थे। इस एड में लुनेल को हरे रंग की बि’किनी में प्रस्तुत किया गया था। करेन इतनी फेमस हो गईं कि टाइगर फॉल्स को अब लिरिल फॉल्स के नाम से जाना जाने लगा था।
लुनेल को आने लगे फिल्मों के ऑफर
एड आने के बाद लुनेल की ज़िंदगी बदल चुकी थी। वे जहाँ भी जातीं लोग उन्हें पहचान लेते और एड का जिंगल गाने लगते। वे एयरलाइन जॉइन करके दुनिया देखना चाहती थी इसलिए फिल्मों के आफर को ठुकरा दिया। जब वे एयरक्राफ्ट के दरवाजे पर खड़े होकर यात्रियों का अभिवादन करतीं तो लोग उन्हें पहचान लेते और उनके सहयोगियों से कन्फर्म करते कि वह लुनेल ही हैं। वे अपने स्टारडम को अच्छे से एन्जॉय कर रहीं थीं।
इन दिनों कहाँ हैं लुनेल
1976 में लुनेल की मौत की अफवाहें फैलने लगी तो उनको काफी बुरा लगा। दअरसल लोगों को लगा कि लुनेल ढेरों प्रोजेक्ट्स में नज़र आएंगी लेकिन ऐसा नही हुआ और अफवाहें फैलने लगीं। 1980 में उनका एक गंभीर कार एक्सीडेंट भी हो गया था। वे कई दिनों तक इमरजेंसी वार्ड में लेटे लेटे सोचती रहतीं कि कहीं वे अफवाहें सच न हो जाएं।
लुनेल अब ‘करेन लुनेल हिशी’ बन चुकी हैं। वह न्यूजीलैंड के एक स्कूल में शिक्षिका हैं। वे अपने आपको सौभाग्यशाली मानती हैं कि उन्हें विज्ञापन जगत के दिग्गजों के साथ काम करने का मौका मिला और एक ऐतिहासिक विज्ञापन से उनका नाम आज तक जुड़ा है। उस एड ने दूसरे प्रोडक्ट्स को भी क्रिएटिव एड्स बनाने की प्रेरणा दी।