इस दुनिया में लगभग हर चीज को किसी न किसी नाम से ही पहचान दी गयी है. ये नाम की ही ताकत है कि इस संसार में करोड़ों जीवित और अजीव चीजों को हम सिर्फ एक शब्द मात्र से समझ जाते है कि सामने वाला आपसे किस चीज के बारे में बात कर रहा है. इसलिए हर किसी के लिए एक यूनिक नाम की जरूरत होती है. लेकिन विविधताओं से भरे इस भारत देश में एक गाँव ऐसा भी है जहाँ एक इंसान दुसरे इंसान को सिटी या किसी धुन के सहारे पुकारता है.
जी हाँ हम भारत के एक गाँव के बारे में बात कर है, जहाँ बातचीत करने के लिए भाषा की जगह धुन का इस्तेमाल किया जता है और वर्षों से कम्युनिकेशन के लिए इसी शैली का इस्तेमाल यहाँ के लोग करते आ रहे है. हालांकि बाहर के लोगों को शायद इनकी भाषा समझने में दिक्कत महसूस हो लेकिन इस गाँव के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक इसी शैली का इस्तेमाल करते है. जैसे भारत में हर गाँव अपनी किसी खास विशेषता की वजह से पहचाना जाता है. उसी प्रकार व्हिसलिंग विलेज के नाम से प्रचलित इस गाँव की अपनी एक खास विशेषता है. तो चलिए जानते है इस खास गाँव के बारे में…
मेघालय में स्थित है ये खास गाँव ( Whistling Village Kongthong)
व्हिसलिंग गाँव से प्रचलित ये गाँव भारत के मेघालय (Meghalaya) राज्य के एक छोटे से गाँव कोंगथोन्ग (Kongthong) नाम से जाना जाता है. इस गाँव की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहाँ रहने वाले लोगों के नाम नहीं है, बल्कि यहाँ रहने वाले लोगों को एक खास धुन से पुकारा जाता है और यही धुन उस व्यक्ति की पहचान मानी जाती है. अपनी इसी खास विशेषता की वजह से भारत का ये गाँव भारत के साथ-साथ कई देशों में मशहूर है. धुन से पुकारने की वजह से इस गाँव का नाम व्हिसलिंग विलेज रख दिया गया.
हर किसी के लिए है अलग तरह की ध्वनि
हो सकता है आप ये सोच रहे होंगे कि सिटी की आवाज तो एक ही तरह की होती है, तो फिर सभी के लिए अलग-अलग धुन कैसे निकाली जाती होगी. तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस गाँव के निवासी सिटी बजाकर बुलाने के लिए काफी अभ्यास करते है. इस गाँव के करीब 200 परिवार रहते है. जिनके लिए 100 से ज्यादा धुन का इस्तेमाल किया जाता है. वही यहाँ घुमने आये लोगों के अनुसार 100 से ज्यादा धुनों का इस्तेमाल यहाँ के लोगों के लिए किया जाता है.
पशु-पक्षियों की आवाज में बनाई जाती है धुनें
शायद आपको ऐसा लग रहा हो कि सिटी बजाकर लोगों को पुकारना किसी तरह का फैशन है. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि व्हिसलिंग विलेज के लोग ऐसा किसी फैशन के लिए नहीं बल्कि अपनी संस्कृति को बनाये रखने के लिए करते है. सिटी की आवाज सिटी जैसी नहीं होती बल्कि ये धुनें पशु-पक्षी की आवाज में होती है. ऐसा इसलिए और किया जाता है कि इन धुनों से पशु-पक्षी को भी किसी तरह की दिक्कत न हों और न ही वो डरें.