आज पूरे देश के लिए गौरव का दिन है।आज पूरा देश भारतीय थल सेना के वीर पराक्रम और अदम्य साहस की सराहना में आर्मी दिवस मना रहा है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में आज के दिन भारतीय सेना के उन वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है जिन्होंने देश की सुरक्षा में जीवन अर्पित कर दिया। उन देशभक्तो को नमन है जो अपना घर-परिवार छोड़कर वतन की सीमा पर सिर्फ इसलिए तैनात हैं कि कोई भी उनके वतन की तरफ आंख उठा कर भी ना देख सके।
भारत के तमाम उन वीर सपूतों को नमन करते हुए आज आर्मी दिवस ( आर्मी डे )मनाया जा रहा है। देश में चारों तरफ हर्ष और उल्लास का माहौल है। लोग आर्मी को सलाम करते हुए इस अवसर पर मिठाईयां बांट रहे हैं।
क्यों मनाया जाता है आर्मी दिवस ( आर्मी डे )?
क्या आपको पता है कि आर्मी डे को क्यों मनाया जाता है? आखिर इस दिन ऐसा क्या खास हुआ था जिसकी वजह से पूरा देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है?
बता दें, आज ही के दिन फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ फ्रांसिस बुचर से सेना की कमान ली थी। आज से 74 साल पहले, 15 जनवरी 1949 को केएम करियप्पा ने ब्रिटिश कमांडिंग चीफ बुचर से भारतीय सेना की कमान अपने हाथो में ली थी। आज ही के दिन उन्होंने स्वतंत्र भारत के पहले कमांडर इन चीफ का पदभार संभाला था।
20 की उम्र में ज्वाइन की आर्मी
भारतीय सेना के शीर्ष कमांडर के रुप में देश की सेवा में निरंतर डटे रहने वाले लेफ्टिनेंट जनरल केएम करियप्पा का जन्म 1899 में कर्नाटक के कुर्ग में हुआ था। उन्होंने महज़ 20 वर्ष की आयु में देश की सेवा का जिम्मा अपने कंधों पर उठाने का निर्णय ले लिया था। यही वजह थी कि उन्होंने ब्रिटिश इंडियन आर्मी को इतनी छोटी सी उम्र में ही ज्वाइन कर लिया।
‘ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर’ से नवाज़े गए करियप्पा
अपने शौर्य और पराक्रम से दुश्मनों को धूल चटाने में माहिर करियप्पा ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा में जापानी सेना से लोहा मोल लिया था। जिसमें उन्हें जीत हांसिल हुई थी। इस दौरान ब्रिटिशर्स द्वारा उन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर के सम्मान से नवाजा गया था। इसके अलावा करियप्पा ने वर्ष 1947 के भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था।
आजादी के बाद भी सेना पर हुकुमत अंग्रेजों की थी
मालूम हो, भारतीय सेना का गठन ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा 1776 में किया गया था। इस सेना में सैनिक सभी भारतीय थे लेकिन उनपर हुकुमत अंग्रेजों की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1947 में जब भारत की आजादी के बाद भी भारतीय सेना का अध्यक्ष ब्रिटिश ही था। जिसका पुरजोर विरोध किया जाने लगा। आजादी के करीब 2 साल बाद 15 जनवरी 1949 में स्वतंत्र भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर ने भारतीय सेना की कमान भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा को सौंप दी। जिसके बाद जनरल करियप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सैन्य कमांडर बने।
गौरतलब है, इतिहास के गर्भ में छिपी इस महत्वपूर्ण घटना को याद करते हुए इस दिन को भारतीय आर्मी दिवस ( आर्मी डे )के रुप में मनाया जाता है। इस बार भारतीय आर्मी अपना 74वां आर्मी दिवस मना रही है।