Saturday, October 5, 2024

मनाली में ऐसा क्या है कि हर रोज 350 जोड़े हनीमून के लिए जाते हैं, ऋषि मनु के नाम पर रखा गया है मनाली

जब चार यार मिल बैठते हैं तो बातों ही बातों में मनाली या गोवा घूम आने की बात कहते हैं। गर्मी के दिनों में अधिकतर लोग मनाली की सैर करना चाहते हैं। भारत के सबसे बड़े हिल स्टेशंस में से एक है मनाली। आखिर लोग मनाली जाने की इतनी तमन्ना क्यों रखते हैं। आइए आज के इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं। ये भी देखा जाता है कि माध्यम वर्गीय परिवार में शादी होती है तो नए विवाहित जोड़ों को हनीमून मनाने के लिए मनाली जाने की सलाह दी जाती है।

कहाँ है भारत के प्रमुख हिल स्टेशनों में से एक मनाली ( manali kahan par h)

मनाली (Manali) भारत देश के हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लू ज़िले में स्थित एक शहर है। यह 1,950 मीटर यानी लगभग 6,398 फीट की ऊँचाई पर ब्यास नदी के किनारे कुल्लू घाटी के उत्तरी छोर पर बसा हुआ है। हिमांचल प्रदेश की राजधानी शिमला से मनाली 270 किमी उत्तर में स्थित है। यह शहर चंडीगढ़ से 309 किमी पूर्वोत्तर में और दिल्ली से 544 किमी पूर्वोत्तर में बसा हुआ है। मनाली भारत के लद्दाख़ क्षेत्र और फिर काराकोरम दर्रे के पार तारिम द्रोणी में यारकन्द और ख़ोतान जाने के प्राचीन व्यापारिक मार्ग का आरम्भ-बिन्दु (Starting Point) है। मनाली एक लोकप्रिय पर्वतीय जगह है और पर्यटकों के लिए लाहौल और स्पीति ज़िले तथा लेह का प्रवेशद्वार भी माना जाता है। यह भारत के प्रमुख हिल स्टेशनों में से एक है।

हनीमून के लिए डेली आते हैं 350 से भी अधिक नवदंपति

पिछले कुछ सालों से मनाली में युवाओं और पारिवारिक टूर्स के साथ नवविवाहित जोड़े भी भारी मात्रा में आने लगे हैं। शादी के तुरंत बाद एक-दूसरे के साथ समय बिताने के लिए न्यूली वेड कपल्स इसे सर्वश्रेष्ठ स्थान मानते हैं। आंकड़े बताते हैं कि मनाली में रोज़ाना करीबन 350 कपल हनीमून मनाने के लिए पधारते हैं। यहाँ के होटल्स में बेहद महंगे हनीमून सुइट्स भी उपलब्ध हैं जो जोड़ों को आकर्षित करते हैं। आँकड़े यह भी दर्शाते हैं कि कुछ विशेष महीनों जैसे मई, जून, दिसंबर और जनवरी के समय इन जोड़ों की गिनती लगभग 550 के पार पहुँच जाती है। वादियों में अपने प्यार के लम्हे तलाशने के लिए नवदंपति आते हैं और ढेरों यादगार लम्हे लेकर लौटते हैं। जीवन भर के लिए मनाली से उन्हें लगाव से बन जाता है।

मनाली में ये हैं मुख्य आकर्षण

मनाली एक प्रसिद्ध हिमालय की पहाड़ियों से जुड़ा पर्यटन स्थल है। हिमाचल प्रदेश आने वाले कुल यात्रियों में से लगभग एक चौथाई लोग मनाली में समय बिताने के इरादे से आते हैं। मनाली का ठंडा, शीतल और मनोरम वातावरण हिंदुस्तान की ज़ोरदार गर्मी के मौसम में भी राहत देता है। यहां साहसी खेलों जैसे पर्वतारोहण, स्कीइंग, ट्रैकिंग, हाइकिंग (लंबी पैदल यात्रा),, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग और माउन्टेन बाइकिंग का भी पर्यटक लुत्फ उठाते हैं। यॉक स्कीइंग इस क्षेत्र का एक रोमांचक खेल है। अपने “एक्सट्रीम याक स्पोर्ट्स” के कारण मनाली को टाइम्स मैगज़ीन में “एशिया में सर्वश्रेष्ठ” के रूप में स्थान दिया गया है। मनाली में इसके साथ – साथ बसंत ऋतु, धार्मिक तीर्थ स्थानें और तिब्बती बौद्ध मंदिरें भी टूरिस्ट को आकर्षित करते हैं।

मनाली अपने बौद्ध मठों के लिए जाना जाता हैं। पूरे कुल्लू घाटी में सबसे ज्यादा तिब्बती शरणार्थियों की उपस्थिति मनाली में ही है। यह 1969 में निर्मित गदन थेकोकलिंग गोम्पा के लिए भी प्रसिद्ध है। मठों का रख-रखाव स्थानीय चंदों और मंदिर कार्यशाला में हाथ से बने कालीनों को बेचकर किया जाता है।

देवताओं की घाटी के नाम से भी जाना जाता है और ऋषि मनु से संबंध

हम सभी लोग कई बार मनाली का नाम सुनते हैं और कई लोग मनाली घूम कर भी आ चुके हैं। लेकिन अधिकतर लोग मनाली के नाम के पीछे की कहानी को नही जानते हैं। मनाली का नाम मनु ऋषि के नाम पर रखा गया है। मनाली नगर का शाब्दिक अर्थ ‘मनु का निवास-स्थल’ ही होता है। पौराणिक कथा के अनुसार जल-प्रलय से दुनिया की तबाही के बाद मनुष्य जीवन को दोबारा पृथ्वी में बसाने के लिए ऋषि मनु अपने जहाज से मनाली में ही उतरे थे। मनाली को “देवताओं की घाटी” के रूप में जाना जाता है। पुराने मनाली गांव में ऋषि मनु को समर्पित एक अति प्राचीन मंदिर हैं। उस मंदिर से स्थानीय लोगों की आस्थाएं जुड़ी हुई है। वह अत्यंत प्राचीन मंदिर है।

सप्तऋषियों का गृह है मनाली

भारत के सभी पर्यटन क्षेत्र भारतीय संस्कृति और विरासत के नज़रिए से अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इसी तरह मनाली, शिमला और उसके आस-पास के क्षेत्र भी बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि पौराणिक कथाओं में इसे सप्तर्षि यानी सात ऋषियों का गृह बताया गया है। ब्रिटिश शासन ने मनाली में सेब के पेड़ और ट्राउट (एक विशेष प्रकार की मछली) की शुरुआत की जो मनाली के पेड़-पौधों एवं जीव-जंतुओं में नहीं पाई जाती थीं। जब शुरुआत में यहां सेब की खेती शुरू हुई तभी से यहाँ इतने सेब फलने लगे कि टहनियाँ ही टूट कर ज़मीन में गिर जाती थी। वहाँ से मनाली में सेब की खेती ज्यादा मात्रा में होने लगी।

मनाली के प्रमुख फल

आज भी मनाली के अधिकतर निवासियों के लिए बेर, नाशपाती एवं सेब इनके आय के सबसे बड़े स्रोत हैं। 1980 के शेष दशक में कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने लगी। उस दौरान पर्यटकों को कश्मीर से दूरी बनानी पड़ी और मनाली उनके लिए अच्छा विकल्प बना। मनाली के दूर-दूर के इलाकों में पहले सुनसान गाँव हुआ करते थे लेकिन बढ़ते पर्यटन के कारण वहां रेस्टोरेंट और अच्छे महंगे तथा सस्ते-सुंदर होटल भी बन चुके है।

मनाली जाएँ तो इन स्थलों पर अवश्य रुकें

अगर आपने कभी मनाली की सैर नही की है और अपने मित्रों तथा परिवारजनों के साथ वहां जाना चाहते हैं तो हम आपको कुछ ऐसे स्थलों की जानकारी दे रहे हैं जहां आपको अवश्य जाना चाहिए। मनाली के ये स्थल वहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। (Manali kaise jaye )

हिडिम्बा देवी मंदिर पाँच पांडवों में से एक भीम की पत्नी हिडिम्बा को वहाँ की स्थानीय देवी माना जाता है। 1553 में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। यह मंदिर अपने विलक्षण काठ की कढ़ाई और चार मंजिला शिवालय एवं के लिए जाना जाता है। अगर आप मनाली में समय बिता रहे हैं तो एक बार इसके दर्शन ज़रूर कर आईए। उस मंदिर की बनावट आपका मन मोह लेगी।

इसके बाद मनाली से 13 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में स्थित स्नो पॉइंट (Snow Point) सोलंग घाटी का ज़रूर आनंद उठाएं। वहाँ बर्फ के साथ खेलने में बड़ा ही मज़ा आता है। रहला झरनें भी आपके दिमाग को तरोताज़ा करने के लिए बेहतरीन जगह है। रोहतांग मार्ग की चढाई के आरम्भ में मनाली से कुछ 27 कि॰मी॰ पर ये रहला झरने पड़ते हैं जो 2,501 मी॰ (8,205 फीट) की ऊंचाई पर स्थित हैं।

नाग्गर किला को आकृतियां आपको अंदर से खुशी प्रदान करेगी। आपको उन्हें देखकर अपने देश की संस्कृति और विरासत पर गर्व होगा। मनाली के दक्षिण में स्थित नाग्गर किला, पाल साम्राज्य का स्मारक है। चट्टानों, लकड़ियों और विशिष्ट पत्थरो के विस्तृत कढ़ाईयों से बना यह किला हिमाचल के समृद्ध और सुरुचिपूर्ण कलाकृतियों का सम्मिश्रण है। नाग्गर किले को बाद में एक होटल में तब्दील कर दिया गया था। मानिकरण मनाली से लगा हुआ है। पार्वती नदी के समीप अपने गर्म स्रोतों के लिए प्रसिद्ध मानिकरण कुल्लू से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर मनाली जाने वाले रास्ते में पड़ता है।

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