देश का दिल, राजधानी दिल्ली में में अनगिनत स्मारक है, इन सभी स्मारकों को बनाने का कोई न कोई कारण रहा है, कोई न कोई वजह रही है निशानी रही है, कुछ देश प्रेम की, कुछ प्रेम की, कुछ क्रूरता की तो कुछ दयाभाव की. जैसे दिल्ली का हुमायूँ टॉम्ब शानो शौकत की निशानी है ऐसे ही, दिल्ली का चोर मीनार क्रूरता की निशानी.
चहल पहल भरी देश की राजधानी दिल्ली के रिहायशी इलाके हौज़ ख़ास, में लोगो की नज़रों से छिपा यह चोर मीनार अपने साथ दहशत भरी कहानियां सीने में कैद किये हुए है.
किसने बनवाया ‘चोर मीनार’
अल्लाउदीन खिलजी को 13वि शताब्दी शासन काल का सबसे क्रूर शासक मन जाता है, चोर मीनार, खून दहशत और क्रूरता की निशानी अपने माथे पर लिए हुए है, शासक अल्लाउदीन खिलजी ने दुनिया भर के शासकों में अपना खौफ और डाब दबा दिखने के लिए चोर मीनार का निर्माण करवया था.
क्यों बनवाया गया था चोर मीनार?
जलाउद्दीन खिलजी से तख़्त छीन ने के बाद अल्लाउदीन आमिर-ए-तुजुक बन गया था. अल्लाउदीन खिलजी के शासन में मंगोल भारत को पाने की चाह में सीमा तक आ चुके थे. मन जाता है, युद्ध में मंगोल के 8000 सैनिको को मारा. चोर मीनार में भी कुछ मंगोल सैनिकों को मारकर अल्लाउदीन खिलजी ने उनके सर स=मीनार की खिड़किओं पर खौफ पैदा करने के लिए लटका दिया था.
चोर मीनार को चोर, डकैतियों और घुसपैठियों को ख़ौफ़ज़दा करने के लिए बनवाया गया था, मीनार में कुल 225 खिड़की है जिसमे मरने वालो के सर लटकाये जाते थे, साथ ही आम जनता के लिए भी एक सन्देश जाता था कि, गलत काम करने वालो का या विरोध करने वालो का यह हश्र होगा.
ऐसी ही एक ईमारत है पश्चिम बंगाल के मालदा में, जहाँ मुग़ल विद्रोहियों को फांसी देकर सजा दिया करते थे. इन इमारतों से गुज़रते हुए मौत की झलक आती है साथ ही यह एहसास भी होता है की, सालों से ज़िंदा, सीना चौड़ाकर खड़ी यह इमारतें, इनके वजूद की मौत हो चुकी है.