बात करें देश की सबसे बड़ी कार मार्केट की तो सबके दिमाग में दिल्ली का नाम ज़रूर आयेगा. और आए भी क्यों ना वह देश की राजधानी जो है. मगर क्या आप जानते हैं देश की पहली कार कलकत्ता में बिकी थी. बता दें कि देश की पहली कार का इतेहास 1897 से जुड़ा है.
कलकत्ता में बिकी पहली कार
बता दें आजादी से पहले देश की राजधानी दिल्ली न होकर कलकत्ता हुआ करती थी. कलकत्ता शहर 1897 के दौर का सबसे बड़ा व्यापार और उद्योग का केंद्र था. कलकत्ता में अंग्रेजों की हुकूमत 1911 तक चली. सबसे बड़ा व्यापार और उद्योग सेंट्रिक शहर होने के कारण ही देश की सबसे पहली कार को यहीं लॉन्च किया गया था. यही नहीं सबसे पहली कार खरीदने वालों में कलकत्ता के ही एक उद्योगपति का नाम शुमार है.
कलकत्ता के उद्योगपति ने खरीदी देश के पहली कार
इतेहास के पन्नों को पलटा जाए तो अलग-अलग जगहों से पता चलता है कि भारत की पहली कार क्रॉम्प्टन ग्रीव्ज से जुड़े मिस्टर फोस्टर ने खरीदी थी. मगर इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती. हां, मगर यह साफ़ है कि देश की पहली कार खरीदने वाला कलकत्ता का ही निवासी था. जो कार बिकने के लिए पहली बार कलकत्ता में लांच हुई वह फ्रांस की DeDion कार थी. जब इसकी लॉन्चिंग के लिए इश्तेहार छपे तो लोगों में गज़ब का उत्साह देखने को मिला था. लोग इस कार के दीवाने हो गए थे.
Jamsetji Tata ने भी खरीदी थी कार
बता दें कि उस दौर के अखबारों के मुताबिक़ भले ही कलकत्ता में पहली कार खरीदी गई थी, मगर उसके कुछ समय बाद ही मुंबई में 4 और कारों की बिक्री हुई थी. इन चार कारों को खरीदने वालों में पारसी समुदाय के लोगों समेत टाटा ग्रुप के संस्थापक Jamsetji Tata भी शामिल थे. उस दौर के एक और बड़े व्यापार सेंट्रिक शहर मद्रास को भी अपनी पहली कार 1901 में मिली थी.
जमींदारों ने जमकर खरीदी कारें
साल 1907 तक आते-आते कार खरीदना कलकत्ता के लोगों के लिए एक आम बात हो गई थी. इन कारों को खरीदने वाले उस दौर के जमींदार हुआ करते थे. पैसों का रौब और आम लोगों के बीच रूतबा दिखाने के लिए इन कारों को धड़ल्ले से खरीदा जाने लगा. कई विदेशी कार कंपनियों ने भारत में अपनी कारें लॉन्च करीं मगर सबसे ज्यादा जिस कार के लोग दीवाने थे वो कार थी Lanchesters और Ford Model T. जानकारी के मुताबिक़ आंकड़े मिलते है कि फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के ख़त्म होने से पहले देश में 1,000 से ज्यादा कारें बिक चुकी थीं.
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