भारत के 11 वे राष्ट्रपति के रूप में स्व ए पी जे अब्दुल कलाम का कार्यकाल 2002 से 2007 तक रहा। वे भारत के बेहद लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे। ऐसे राष्ट्रपति जिन्हें जनता ने प्यार और सम्मान से “पीपल्स प्रेसिडेंट ” कहकर पुकारा। अपने कार्यकाल के दौरान कलाम ने राष्ट्रपति भवन के दरवाजे आम जनता के लिये खोल दिया । जानिए अब्दुल कलाम राष्ट्रपति कैसे बने।
अब्दुल कलाम राष्ट्रपति कैसे बने
राष्ट्रपति पद के लिए दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एपीजे अब्दुल कलाम का नाम समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने सुझाया था। रक्षा मंत्री मुलायम सिंह के साथ एपीजे अब्दुल कलाम साहब एक वैज्ञानिक सलाहकार रह चुके थे।दरअसल वाजपेयी सरकार के पास इतना बहुमत नही था कि वे राष्ट्रपति चुन सके । फिर सवाल है कि अब्दुल कलाम राष्ट्रपति कैसे बने। दरअसल कलाम की अच्छी छवि और राष्ट्र के प्रति योगदान की वजह से उनके नाम पर सभी की सहमति थी।

कांग्रेस के सामने भी मुश्किल स्थिति थी कि उनके नाम पर सहमत न होने से गलत संदेश जायेगा और इससे उनकी सेक्युलर छवि को नुकसान पहुँचेगा। उनका विरोध करना सरासर जोखिम लेने का काम होता। लेफ्ट पार्टियों के साथ अन्य दलों का समर्थन भी कलाम के नाम पर वाजपेयी सरकार को मिलता दिख रहा था।
अटल बिहारी बाजपेयी ने मिला दिया फोन और बोले आपकी हां ही चाहिये
सभी से सलाह मशविरा करके तय किया गया कि इस विषय मे अटल जी खुद कलाम जी से बात करेंगे। कलाम तब चैन्नई स्थित अन्ना यूनिवर्सिटी में लेक्चर दे रहे थे। यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर ने उन्हें बताया कि दिल्ली से लगातार उनके लिये फोन आ रहे है । तभी चंद्रबाबू नायडू का फोन आया और उन्होंने कलाम से बात की और बताया कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आपसे बात करना चाहते है। वे आपसे एक जरुरी विषय पर बात करेंगे। कृपया उनसे “ना” न बोले ।
थोड़ी देर बाद अटल जी का फोन आया और उन्होंने कलाम जी से बात की । उन्होंने बताया कि सभी दलों की मीटिंग में ये निर्णय लिया गया है कि सब आपको भारत के राष्ट्रपति के तौर ओर देखना चाहते है। मुझे आपकी “हां ” ही चाहिए। जिसके बाद कलाम जी ने अपनी स्वीकृति दे दी कलाम 2002 से लेकर 2007 तक राष्ट्रपति पद पर 11 वे राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्र की सेवा करते रहे ।
कभी मुलायम के वैज्ञानिक सलाहकार थे कलाम
अब्दुल कलाम जुलाई 1992 से लेकर 1999 तक तत्कालीन रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे थे। इस दौरान करीब दो साल मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री रहे जिनके वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कलाम रहे । कलाम ने विजन 2020 दिया जिसके अंतर्गत साल 2020 तक भारत को रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक सुविधाओं का विकास करना था । इसी दौरान पोखरण में वाजपेयी जी के नेतृत्व वाली सरकार ने परमाणु परीक्षण किए। इन परीक्षणों की कमान कलाम जी के हाथ मे थी ।
मुलायम सिंह से सीखी हिंदी
कलाम के प्रेस सचिव एस एम खान के एक पत्र को दिए इंटरव्यू के अनुसार कलाम एक बार 2004 मे मुलायम सिंह के गांव सैफई में गए थे। सभा मे करीब 40 हजार से ज्यादा की भीड़ उन्हें सुनने आयी थी । सैफई की सभा मे स्व ए पी जे अब्दुल कलाम ने एक वाक्या बताया । उनके अनुसार उन्हें शुरू में हिंदी बोलने में कठिनाई होती थी । रक्षा मंत्री मुलायम सिंह के वैज्ञानिक सलाहकार रहते हुए मुलायम सिंह से उन्होंने हिंदी सीखी । जितनी हिंदी वे बोल पाते है उसकी बड़ी वजह मुलायम सिंह यादव है।
ये भी पढ़े –जब अटल बिहारी बाजपेयी ने एपीजे अब्दुल कलाम से कहा था कि मुझे सिर्फ आपकी हाँ सुननी है