पिछले एक साल के मोदी सरकार के राज के दौरान भारतीय करेंसी ने डॉलर के मुकाबले भारी गिरावट का सामना किया है. पिछले कुछ दिनों की बात करें तो भारतीय रुपये ने लगातार नया लो रिकॉर्ड बनाया है. रुपये की तेज़ गिरावट के चलते देश में राजनीतिक बयानबाजी तेज़ हो गई है . विपक्षी दल लगातार इसको लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं. बताते चलें कि पिछले एक साल के दौरान रूपया डॉलर के मुकाबले 5 रुपये से ज्यादा गिरा है. ऐसा पहली बार है जब रूपया डॉलर के मुकाबले 80 के भी पार निकलने के करीब पहुच गया है. हालांकि बात करें कई अन्य देशों की तो उनकी करेंसी की तुलना में अभी भी डॉलर अच्छी स्थिति में है.
इसलिए मजबूत हो रहा डॉलर
दरअसल बदलते हालातों ने पूरी दुनिया को मंदी जैसे हालातों में लाके खड़ा कर दिया है. अमेरिका में इन्फ्लेशन 41 सालों के उच्च स्तर पर है. जिसको काबू में लाने के लिए फ़ेडरल रिज़र्व तेजी से ब्याज दरें बढ़ा रहा है. महंगाई के ताजा आकड़ों के मुताबिक़ अमेरिका में ब्याज दर में एक झटके में एक फ़ीसदी की बढ़ोतरी होना तय है. अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से डॉलर को ख़ासा फायदा है.
बताते चलें कि मंदी के डर से विदेशी निवेशक उभरते हुए बाजारों से पैसा निकाल कर सेफ इन्वेस्टमेंट के तौर पर डॉलर खरीद रहे हैं. रिसेशन की इस घटना ने डॉलर को काफी मजबूत कर दिया है. यही कारण है कि पहली बार डॉलर और यूरो का भाव लगभग बराबर है .जबकि यूरो डॉलर से काफी महंगी करेंसी हुआ करती थी.
इतनी गिरी रुपये की वैल्यू
साल भर पहले भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर था. मौजूदा समय में यह 79.90 पर जा चुका है और कभी भी 80 के पार पहुँच सकता है. इस तरह भारतीय रुपये डॉलर के मुकाबले पिछले एक साल में 6.6 फीसदी कमजोर हुआ है. वहीँ पाकिस्तान की करेंसी इस दौरान डॉलर के मुकाबले सबसे ज्यादा खराब परफॉर्म करने वाली करेंसी की सूची में शामिल है. पिछले एक साल में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी करेंसी 31.65 फीसदी कम हुई है. जहां एक साल पहले Dollar की वैल्यू 159.10 पाकिस्तानी रुपये के बराबर थी, वहीँ अब यह 159.10 से बढ़कर 209.46 पाकिस्तानी रुपये के बराबर हो गई है.
श्रीलंका और नेपाल पर गिरी गाज
एक और अन्य पड़ोसी देश नेपाल, जिसकी करेंसी की हालत खराब है पहले Dollar के मुकाबले इसकी कीमत 117.70 रुपये थी अब घटकर 127.66 रुपये हो गई है. इस तरह पिछले एक साल में नेपाली करेंसी करीब 8.50 फीसदी कमजोर हुई है. सबसे बुरे हालात श्रीलंका के हैं. जहां एक तरफ राजनीतिक संकट हैं वहीँ यह देश करेंसी के मामले में भी पिछड़ रहा है. श्रीलंका की करेंसी Dollar के मुकाबले करीब 84 फीसदी कम हुई है. पहले एक Dollar के मुकाबले श्रीलंका के 196.55 रुपये हुआ करते थे जो बढ़कर 360.82 श्रीलंकाई रुपये हो चुकी है.
नेपाल और अफ़ग़ानिस्तान का भी बुरा हाल
नेपाल और श्रीलंका के आलावा अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश को भी रूपया कमजोर होने की मार झेलनी पड़ी है. साल भर पहले डॉलर के मुकाबले बंगलादेशी टका 83.27 रुपये था. जो बढ़कर 93.91 टके के बराबर हो गया है. इस तरह बंगलादेशी टके का भाव डॉलर के मुकाबले 12.77 फीसदी गिरा है. अफ़ग़ानिस्तान जो कि हाल में राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा है की करेंसी का भी बुरा हाल है. डॉलर के मुकाबले अफ़ग़ान अफगानी 79 के लेवल पर था. यही अब 25.64 फीसदी घटकर 87.95 पर आगया है.
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