Sunday, October 6, 2024

70 के दशक के इस चॉकलेटी हीरो की बेटी है बेहद हॉट, बेटा भी कर चुका है डेब्यू

हम सभी ने जीवन में एक दफा ये वाक्य ज़रूर सुना या बोला होगा, “ना बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया।” और जो पुरानी फिल्मों के शौकीन हैं उनको पता होगा कि महमूद ने इस गाने को जिस ह्यूमर से गाया है, वैसा ही जबरदस्त डांस भी किया है। इस कॉमेडी फ़िल्म के हीरो थे विनोद मेहरा और अभिनेत्री थी मौसमी चटर्जी।

विनोद मेहरा , vinod mehra

विनोद मेहरा 70-80 के दशक में चॉकलेटी हीरो के रूप में जाने जाते थे। 100 से भी अधिक फिल्मो में अपने अभिनय का जौहर दिखाने वाले विनोद मेहरा ने 1958 में बाल कलाकार के रूप में फिल्मों की दुनिया से अवगत हुए थे। 1990 में 45 की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा।
अमर प्रेम, नागिन, सबसे बड़ा रुपैया, जानी दुश्मन, दादा, संजोग, बेमिसाल और औलाद उनकी कुछ चर्चित फिल्में रहीं हैं।

विनोद मेहरा vinod mehra

विनोद मेहरा ने की थी 3 शादियां

विनोद मेहरा ने तीन शादियां की थी और रेखा से संबंध की खबरें भी अखबारों में छपते थे। उनकी तीसरी पत्नी किरण से उन्हें दो संतानें हुईं। उनकी बेटी सोनिया मेहरा का जन्म 1988 में हुआ और उन्होंने भी पिता की तरह बॉलीवुड में काम करने का निर्णय लिया। सोनिया ने 2007 में आई ‘विक्टोरिया नंबर 203’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी।

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सोनिया ने उसके बाद ‘शेडो’ फ़िल्म में काम किया। 2011 में आई ‘एक मैं और एक तू’ में वे इमरान खान की एक्स गर्लफ्रेंड के किरदार में थी और रागिनी एमएमएस 2 में उन्होंने तान्या कपूर की भूमिका निभाई थी। फिल्मों के अलावा वे वीजे के रूप में भी काम करती रहीं हैं। सोनिया बेहद हॉट एवं खूबसूरत हैं। वे योगा और फिटनेस के लिए भी जानी जाती हैं। वे योगा इंस्ट्रक्टर भी हैं और इसी के ज़रिए अपने शरीर को फिट व हैल्दी रखती हैं।

विनोद मेहरा जब दुनिया से रुखसत हुए तो उनके बेटे अपनी मां के कोख में थे। उनके बेटे रोहन भी बेहद फिट और हैंडसम हैं। उन्होंने भी अपने पिता की तरह अभिनय करने का निर्णय लिया और सैफ अली खान के साथ ‘बाजार’ फ़िल्म में पदार्पण किया। बाज़ार फ़िल्म शेयर मार्केट पर बनी थी जो लोगों को समझ नही आई और फ्लॉप साबित हुई।

vinod mehra son rohan mehra

विनोद मेहरा अपने अंतिम दिनों में एक फ़िल्म भी निर्देशित कर रहे थे जो अधूरी रह गयी थी। निर्देशक राज सिप्पी ने उनके फ़िल्म को पूरा किया और 1993 में ‘गुरुदेव’ नामक इस फ़िल्म को रिलीज किया। उनकी आखिरी 3 फिल्में पत्थर के फूल, इंसानियत और औरत औरत औरत (1996) थी।

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