उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। दो चरणों को लेकर मतदान की प्रक्रिया अभी बाकी है जिसमें 6वें चरण पर कल यानी 3 मार्च को वोटिंग होगी जबकि 7वें और अंतिम चरण में 7 मार्च को मतदान किया जाएगा। इसके बाद 10 मार्च को पता चलेगा कि यूपी की जनता ने किस पार्टी के सिर पर जीत का ताज सजाया है।
बात करें अब तक के चरणों में हुए मतदान की तो इस बार वोटिंग परसेंटेज कम दर्ज किया गया है। आंकड़ों के मुताबिक, प्रत्येक चरण में मतदान प्रतिशत में कम से कम 1 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। यही हाल 27 फरवरी को हुए पांचवे चरण के मतदान में देखने को मिला। राज्य के 12 जिलों की 61 सीटों पर 57.32 प्रतिशत मतदान हुआ। साल 2017 के मुकाबले इस क्षेत्र में कुल 1 प्रतिशत वोटिंग की कमी दर्ज की गई है।
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पूर्वांचल की ज़मीं पर पहुंचा यूपी चुनाव का सियासी रथ
यूपी का सियासी रथ पांचवे चरण के चुनाव के साथ पूर्वांचल में प्रवेश कर चुका है। इस क्षेत्र में गोंडा, श्रावस्ती, बहराइच, श्रावस्ती जैसे जिले शामिल हैं। इसी चरण में प्रदेश का अवध क्षेत्र भी शामिल है। इसमें अयोध्या, प्रयागराज, चित्रकूट जैसे धार्मिक नगर आते हैं।
पांचवें चरण के मतदान से पूर्व राज्य का चुनाव कहीं न कहीं हिंदू-मुल्सिम कार्ड पर आधारित रहा। लेकिन पांचवें चरण में आरक्षित और शोषित जातियों का बोलबाला देखने को मिला है। यही कारण है कि बसपा सुप्रीमो मायावती पांचवें चरण के मतदान से पूर्व एक्टिव दिखीं है। उन्होंने न सिर्फ अखिलेश यादव बल्कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी हमला बोला है। साल 2007 की बात करें तो पूर्वांचल के दमपर बहन जी ने पूरे प्रदेश में धाक जमाई थी। हालांकि, इस बार राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी के लिए कारगर साबित हो सकता है। अयोध्या और उसके आस-पास के विधानसभा क्षेत्रों में राम का फैक्टर भाजपा के लिए औषधि साबित हो सकता है।
कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति
वहीं, पांचवे चरण में रायबरेली और अमेठी की सीटों पर भी मतदान हुआ है। ये वहीं सीटें हैं जहां किसी ज़माने में कांग्रेस की तूंती बोलती थी। साल 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले अमेठी को गांधी परिवार की पारिवारिक सीट का दर्जा प्राप्त था लेकिन भाजपा नेत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को उन्हीं के गढ़ से हराकर इतिहास रच दिया था। यही कारण है कि 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इन सीटों को बचाने के लिए जद्दोजहद करती दिख रही हैं।
गौरतलब है, पांचवे चरण का मतदान समाजवादी पार्टी के लिए भी काफी अहम साबित होने वाला है। साल 2017 में अवध क्षेत्र में सपा को महज़ 5 सीटों से संतुष्टि करनी पड़ी थी जबकि भाजपा के खाते में 51 सीटें दर्ज की गई थीं।
दांव पर लगी योगी के मंत्रियों की साख
पांचवे चरण का यह चुनाव देश की सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए कई मायनों में अहम है। इस चरण में यूपी कैबिनेटे के कई मंत्रियों की किस्मत दांव पर लगी है। पूर्वांचल की हॉट सीट में शामिल प्रयागराज की सिराथू सीट से योगी सरकार में उपमुख्यमंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने पर्चा भरा है जबकि प्रतापगढ़ की पट्टी सीट से राजेंद्र प्रताप उर्फ मोती सिंह, इलाहाबाद पश्चिम से सिद्धार्थ नाथ सिंह, इलाहाबाद दक्षिण से नंद गोपाल नंदी, मानकपुर (आरक्षित) सीट से रमापति शास्त्री, चित्रकूट सदर से चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, मंत्री मुकुट बिहारी ने इस बार अपने बेटे को चुनावी मैदान में उतारा है।
घर का भेदी लंका ढाए?
अब बात उस सीट की कर लेते हैं जो हर बार के चुनाव में सबसे हॉट मानी जाती है। यह सीट है प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा। पांचवे चरण की दूसरी हॉट सीट पर वैसे तो जनसत्ता पार्टी के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का कब्ज़ा रहा है। हालांकि, इस बार उन्हें अपने करीबी गुलशन यादव से खासी टक्कर मिली है। दरअसल, गुलशन यादव को समाजवादी पार्टी ने टिकट देकर राजा भैया के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है। अब देखना यह होगा कि पिछले 2 दशकों से जिस क्षेत्र पर राजा भैया अपनी धाक जमाए बैठे हुए हैं उसपर क्या गुलशन यादव गुलों का बगीचा सजा पाएंगे?
गौरतलब है, पूर्वांचल के इस चुनावी चरण में ब्राह्मण, क्षत्रिय, निषाद, राजभर, कुर्मी, मौर्य जैसी जातियां भी नतीजे तय करने में अहम भूमिका निभाएंगी।
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